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लिंचिंग में धर्म के आधार पर दो तरफा दोगलापन क्यूं ?

18 जून 2024 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में दो दर्दनाक घटनाएँ घटीं, जिन्होंने सामाजिक और राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। पहली घटना में मोहम्मद फरीद उर्फ औरंगजेब की चोरी के शक में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, जबकि दूसरी घटना में एक दलित युवक नकुल जाटव को मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने चाकू मार दिया। दोनों घटनाओं ने एक बड़े सामाजिक प्रश्न को जन्म दिया है - क्या न्याय और सहानुभूति का भी धर्म और जाति के आधार पर विभाजन होता है?

मोहम्मद फरीद उर्फ औरंगजेब की हत्या :
मोहम्मद फरीद उर्फ औरंगजेब पर चोरी का शक था, जिसके चलते उसे भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। इस घटना में 10 नामजदों सहित कई अन्य अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आधे दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने औरंगजेब के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की माँग की है।

दलित युवक नकुल जाटव पर हमला :
इसी दिन, अलीगढ़ शहर में ही एक दलित युवक नकुल जाटव को मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति शहजाद ने चाकू मार दिया। नकुल के पिता दिनेश ने 18 जून को ही थाना सासनी गेट में तहरीर दी थी। नकुल पर हुए हमले के बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी सर्जरी कराई गई।

नकुल जाटव की घटना की जानकारी :
नकुल जाटव, किसी काम से शहर के पठान मोहल्ले में गया था, जहाँ शहजाद ने उसे गंदी-गंदी गालियाँ दी और विरोध करने पर चाकू से हमला कर दिया। नकुल के पिता ने पुलिस की मदद से उसे अस्पताल पहुँचाया। नकुल की हालत गंभीर होने के कारण उसे जे एन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। पुलिस ने शहजाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

मीडिया और समाज की प्रतिक्रिया :
नकुल जाटव के भाई पंकज जाटव ने सवाल उठाया कि मीडिया और समाज औरंगजेब की घटना पर सक्रियता दिखा रहे हैं, लेकिन नकुल की घटना पर चुप क्यों हैं? पंकज ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल और नेता सिर्फ औरंगजेब के मामले में ही रुचि ले रहे हैं और नकुल की घटना को नजरअंदाज कर रहे हैं।

न्याय और सहानुभूति का प्रश्न :
नकुल के परिवार ने औरंगजेब के लिए उठ रही मुआवजे की माँग को एकतरफा बताया है। नकुल के परिवार को अपने इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा है और वे आर्थिक रूप से बेहद परेशान हैं। पंकज जाटव ने कहा, "क्या मैं हिन्दू हूँ यही मेरा दोष है?" उन्होंने नेताओं और मीडिया पर भेदभाव का आरोप लगाया और न्याय की लड़ाई में अकेला बताया।

समाज की भूमिका और न्याय की जरूरत :
इन दोनों घटनाओं ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या न्याय और सहानुभूति भी धर्म और जाति के आधार पर विभाजित होती हैं? क्या एक घटना को अधिक महत्त्व देना और दूसरी को नजरअंदाज करना सही है? समाज को इन सवालों के उत्तर ढूँढ़ने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को समान न्याय और सहानुभूति मिले, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो।

खबर का निष्कर्ष :
अलीगढ़ की ये घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि समाज में न्याय और सहानुभूति का समान वितरण होना चाहिए। औरंगजेब और नकुल दोनों ही हिंसा के शिकार हुए हैं और दोनों ही मामलों में न्याय की जरूरत है। समाज, मीडिया और राजनीतिक दलों को अपने भेदभावपूर्ण रवैये पर विचार करना चाहिए और हर पीड़ित को समान रूप से न्याय दिलाने के लिए काम करना चाहिए।