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किसान आंदोलन: शंभू बॉर्डर पर तनातनी का माहौल, व्यापारियों और किसानों के बीच बढ़ा तनाव

पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर पर महीनों से चल रहे किसान आंदोलन में उस समय तनाव बढ़ गया जब आसपास के गाँवों के व्यापारी और किसान प्रदर्शन स्थल पर पहुँच गए। वे किसान नेताओं से मिलकर रोड को आँशिक तौर पर खोलने की माँग कर रहे थे। इस दौरान करीब 100 लोगों की भीड़ जमा हो गई। धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने आरोप लगाया कि वहाँ पहुँचे लोगों ने मंच पर कब्जा जमाने की कोशिश की।

व्यापारियों की माँग और तनाव की शुरुआत :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्यापारियों ने एक सप्ताह पहले किसान नेताओं को एक माँग पत्र सौंपा था, जिसका वे जवाब चाहते थे। इसी माँग पत्र के जवाब के लिए व्यापारी शंभू बॉर्डर पर पहुँचे, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। व्यापारियों ने बॉर्डर खोलने की माँग की और मंच तक पहुँच गए। इसके बाद किसानों ने उन पर मंच पर कब्जा करने का आरोप लगाया और इसकी शिकायत शंभू पुलिस चौकी में की।

आंदोलन का इतिहास और मौजूदा स्थिति :
किसानों का आंदोलन 13 फरवरी से चल रहा है। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की माँग को लेकर दिल्ली कूच कर रहे थे, लेकिन शंभू बॉर्डर पर उन्हें रोक दिया गया। बॉर्डर पर कंक्रीट की दीवार बनाई गई थी, जिससे किसान आगे नहीं बढ़ पाए और वहीं धरना स्थल बना लिया। किसानों का आरोप है कि व्यापारियों ने इस मंच पर कब्जा करने की कोशिश की।

ग्रामीणों की समस्याएँ और माँगें :
तेपला रोड के गाँव निवासियों ने बताया कि पिछले चार महीनों से शंभू बॉर्डर पर धरने के कारण नेशनल हाईवे बंद है। इससे आसपास के गाँवों के लोग परेशान हैं। बीमारियों के समय अंबाला सबसे नजदीक है, लेकिन धरने के कारण वहाँ नहीं जा सकते। ग्रामीणों ने बताया कि एक गर्भवती महिला की मौत हो गई क्योंकि वह समय पर अस्पताल नहीं पहुँच सकी। रोजगार खत्म हो गया है और बच्चे स्कूल नहीं जा सकते। लोगों ने किसान नेताओं से कम से कम दोपहिया वाहनों के लिए रास्ता खोलने की माँग की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

किसान नेताओं का पक्ष :
किसान नेता मान सिंह और सुरिंदर सिंह का कहना है कि रास्ता केंद्र की भाजपा सरकार ने बंद किया है, किसानों ने नहीं। वे केवल दिल्ली जाकर अपनी माँगों को रखना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें जाने नहीं देती। उन्होंने आंदोलन खराब करने वालों को चेतावनी दी कि वे खुद इसके परिणाम भुगतेंगे।