लालू यादव का भ्रष्टाचार मामला और राबड़ी देवी का उदय, 1997 में जब लालू यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में वारंट जारी हुआ, तब उनका जेल जाना निश्चित हो गया था। इस संकट की घड़ी में, लालू यादव ने एक अकल्पनीय कदम उठाते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। एक विशुद्ध घरेलू महिला होने के बावजूद, राबड़ी देवी को बिहार जैसे ऐतिहासिक और जटिल राज्य का नेतृत्व संभालना पड़ा। उस समय लालू की पार्टी के पास राबड़ी देवी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, जो उनकी जगह मुख्यमंत्री पद को संभाल सके।
राबड़ी देवी का मुख्यमंत्री बनने के बाद का कार्यकाल :
1.प्रशासनिक चुनौतियाँ और नेतृत्व
राबड़ी देवी के लिए सरकार चलाना, अधिकारियों के साथ बैठक करना, निर्देश देना, और पार्टी के अंदरूनी कलह को संभालना एक पहाड़ जैसा काम था। उनकी मदद के लिए उन्हें एक ट्यूटर भी मुहैया कराया गया था, जो उन्हें बोलने और भाषण देने का प्रशिक्षण देता था। जब राबड़ी देवी मंच पर भाषण देने आती थीं, तो पीछे से एक जिलाधिकारी धीरे-धीरे भाषण पढ़ते थे और राबड़ी देवी उसे दोहराती थीं।
2.जंगलराज का दौर
राबड़ी देवी और लालू यादव के शासनकाल को 1990 से 2005 तक 'जंगलराज' कहा जाता है। इस अवधि में बिहार में अपहरण, हत्या, बलात्कार, रंगदारी, और भ्रष्टाचार अपने चरम पर थे। व्यापारी, इंजीनियर, डॉक्टर और आम नागरिक अपराधियों के निशाने पर थे। इन 15 सालों में हजारों लोगों की हत्या और अनगिनत लोगों का अपहरण हुआ था। राजद के सांसद और विधायक भी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त थे और कई हत्याएँ करवाते थे।
3.बाहुबलियों का आतंक
राबड़ी देवी के शासनकाल में शहाबुद्दीन, पप्पू यादव जैसे बाहुबलियों का अपने क्षेत्र में जबरदस्त आतंक था। राबड़ी के भाई पप्पू और सुभाष अधिकारियों से हथियार के बल पर आर्डर पास कराते थे। प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से बाहुबलियों के नियंत्रण में था और कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी।
4.नौकरशाही में भय का माहौल
बिहार में कोई भी नौकरशाह नियुक्त होने से घबराता था, क्योंकि किसी को नहीं पता होता था कि कब उसका ट्रांसफर हो जाएगा या उसकी हत्या कर दी जाएगी। पोस्टिंग और तबादले में जमकर पैसा चलता था। राबड़ी देवी भले ही मुख्यमंत्री थीं, लेकिन राज्य की असल बागडोर जेल से लालू प्रसाद यादव ही संभालते थे और उन्हीं के दिशा-निर्देश पर प्रशासनिक कार्य किए जाते थे।
निष्कर्ष :
राबड़ी देवी का मुख्यमंत्री बनने का सफर एक अभूतपूर्व घटना थी, जिसमें एक साधारण घरेलू महिला ने बिहार जैसे राज्य का नेतृत्व किया। हालांकि, उनके कार्यकाल को 'जंगलराज' के नाम से जाना जाता है और इस दौर में राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार ने अपने चरम पर था। यह एक ऐसा समय था जब बिहार की स्थिति अत्यंत जटिल और संकटग्रस्त थी, और इसने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला।