आपको बता दें कि हमारे देश में खेल से जुड़ा एक पुरस्कार है और उस पुरस्कार का नाम है राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार जिसको मोदी सरकार ने बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है। प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह नाम समझ में तो आता है कि मेजर ध्यानचंद खेल की दुनिया में हॉकी के जादूगर कहे जाते थे इसलिए यह नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस खेल रत्न को दिया गया है। किंतु यह समझ पाना मुश्किल है कि आज से पहले इस खेल रत्न का नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार क्यों था? क्या राजीव गांधी खेल की दुनिया के बड़े नामों में शुमार थे या फिर राजीव गांधी ने भारत में खेल को बढ़ाने के लिए कोई क्रांतिकारी योग्य कदम उठाया था।
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नामकरण परिवारवाद का उपज था :
जी नही, इन सब में से राजीव गांधी ने कुछ भी नहीं किया था। बल्कि ये इसलिए हुआ क्योंकि राजीव गांधी उस परिवारवाद का हिस्सा थे जिसने हिंदुस्तान को परिवार तक सीमित करके रख दिया था और शायद इसीलिए इस खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार रखा गया था।
किंतु अब देश की दशा और दिशा बदल रही है और सरकार देश के महापुरषों की सम्मान तथा ऐतिहासिक धरोहरों को विश्व में पहचान दिला रही है और शायद इसी का नतीजा है कि एक बार फिर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर, इस खेल रत्न पुरस्कार को सम्मान देते हुए उसका नामकरण मेजर ध्यानचंद पुरस्कार कर दिया है।
नाम बदले जाने की जानकारी खुद प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट के जरिए दी :
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम बदले जाने की जानकारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने खुद ट्वीट कर के बताया, मोदी जी ने लिखा की, "देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!"
प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पहले ही ऐसे संकेत दे दिए थे की, ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं। अगर आपको याद हो तो शुक्रवार को पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा था की, "ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं. विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है."
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
जय हिंद!
मेजर ध्यानचंद ने भारत को गौरव और सम्मान दिलाया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी ने एक और ट्वीट में कहा, 'मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने भारत को सम्मान और गौरव दिलाया। देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाना चाहिए।"बता दें कि हर साल मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन यानी कि 30 अगस्त को खेल रत्न से जुड़े अवॉर्ड्स दिए जाते हैं.
क्यूं कहां जाता है मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर :
हॉकी के 'जादूगर' कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है। उन्होंने अपने आखिरी ओलंपिक (बर्लिन 1936) में कुल 13 गोल दागे थे। इस तरह एम्स्टर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन ओलंपिक को मिलाकर ध्यानचंद ने कुल 39 गोल किए, जिससे उनके बेहतरीन प्रदर्शन का पता चलता है। उनके जन्मदिन (29 अगस्त) को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं। इस अवॉर्ड की शुरुआत 1991-92 में की गई थी।
ध्यानचंद की उपलब्धियों का सफर भारतीय खेल इतिहास को गौरवान्वित करता है. लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के जीवट का हर कोई कायल रहा.