Default Image

Months format

View all

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

404

Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist. Back Home

Ads Area

मध्य प्रदेश से कितना अलग है राजस्थान का समीकरण क्या सरकार गिरना राजस्थान में तय, पढ़िए ये रिपोर्ट

राजस्थान में राजनीतिक हलचल काफी तेज हो चुकी है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट दिल्ली में अपने विधायकों के साथ डेरा जमाए हुए हैं और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो चुकी है कि क्या सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस का दामन को छोड़ बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। इन बातों में कितना दम है और मौजूदा स्थिति का समीकरण क्या कहता है इसको गहराई से हम समझने की कोशिश करते हैं।



क्या चल रहा है राजस्थान में :-
जैसा की आप सबको पता है बीते कुछ दिन पहले राज्यसभा के चुनाव पूर्ण हुए हैं, और उसी के बाद से राजस्थान में शुरू हुई राजनीतिक हलचल अब थमने का नाम ही नहीं ले रही।

आज की अगर बात करें तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिन भर सरकार बचाने की जुगत में अपने विधायकों को समझाने में लगे रहे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक नए सिरे से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन पत्र सौंपेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शुक्रवार से ही राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट लगभग 22 मंत्रियों के साथ दिल्ली में मौजूद हैं, वहीं शनिवार को देर शाम सचिन पायलट ने कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल से भी मुलाकात की थी। जिसके बाद सचिन पायलट किसी से भी अब बात करने के मूड में नहीं है। 

बीते दिन देर शाम शनिवार को यह खबर आई थी कि कांग्रेस के तकरीबन 22 विधायक हरियाणा के मेवात स्थित आईटीसी भारत होटल में रुके हुए है। इस खबर को कांग्रेस पूरी तरह से नकार रही है और अफवाह बता रही है, वहीं कांग्रेस नेता अविनाश पांडे ने भी इस खबर को सरासर गलत बताया है। इन सारे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर राजस्थान कांग्रेस में किस बात को लेकर इतनी खींचातानी चल रही है कि सरकार गिरने तक की नौबत आ गई।



कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हो रही है राजस्थान में खींचातानी:-
यह सारा उठापटक कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर चल रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सचिन पायलट करीब 6 वर्षों से राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं और सचिन पायलट के समर्थक चाहते हैं कि आगे भी यह पद सचिन पायलट के पास ही रहे , किंतु कुछ गहलोत समर्थक नेता यह चाहते हैं कि राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण कोटे से रघु शर्मा, महेश जोशी और जाटों से लालचंद कटारिया ज्योति मिर्धा का नाम आगे किया जा रहा है। इसके अलावा रघुवीर मीणा का भी नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। इस पर आखिरी फैसला कांग्रेस की माता श्री सोनिया गांधी को ही लेना है।

अगर हम सूत्रों की माने तो बिहार में प्रदेश अध्यक्ष के ऐलान के दौरान ही कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। हालांकि इस पर अभी तक आलाकमान की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। अगर सचिन पायलट की माने तो वह इस पद पर आगे भी बने रहना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस का आलाकमान और गहलोत समर्थक सचिन पायलट को इस पद से हटाने का पूरा प्रयास कर रहे है।



कैसे अलग है मध्यप्रदेश और राजस्थान के समीकरण :-
अगर हम मध्य प्रदेश और राजस्थान की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समझने की कोशिश करें तो दोनों राज्यों की राजनीतिक स्थिति पूर्ण तरीके से अलग है। अलग इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास कोई अधिकार नहीं था, उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखे हुए थे, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत ने कमलनाथ वाली गलती नहीं की है। उन्होंने सचिन पायलट को अपनी कैबिनेट में जहां उपमुख्यमंत्री का पद दे रखा है, वही साथ-साथ सचिन पायलट अभी भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए समीकरण बदलता नजर आ रहा है।

अगर हम मध्य प्रदेश और राजस्थान में सीटों की समीकरण की बात करें तो दोनों जगह समीकरण काफी हद तक अलग है, अलग इसलिए क्योंकि जहां मध्यप्रदेश में सीटों का गैप बीजेपी और कांग्रेस के बीच काफी कम था वही राजस्थान में इन दोनों पार्टियों के बीच सीटों का गैप काफी बड़ा है। आपको बता दें कि इस वक्त राजस्थान में बीजेपी के पास 72 विधायक हैं साथ ही साथ आरएलपी के तीन विधायक बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं।इस प्रकार से बीजेपी के खाते में कुल 75 विधायक हैं। वही कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के पास कुल खुद के 107 विधायक हैं और निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के समर्थन से उसके पास 120 का आंकड़ा है। अगर हम विधानसभा के कुल सीटों की बात करें तो राजस्थान में 200 सीटें हैं यानी बहुमत के लिए कुल 101 सीट चाहिए। इस प्रकार से कांग्रेस के पास खुद ही सामान्य बहुमत से ज्यादा सीटें हैं। अगर हम कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के अंतर की तुलना करें तो यह अंतर 45 विधायकों का है, जोकि खत्म करना काफी मुश्किल लगता है।



ऐसी तमाम खबर पढ़ने और वीडियो के माध्यम से देखने के लिए हमारे पेज को अभी लाइक करे,कृपया पेज लाईक जरुर करे :- 




आपकी इस समाचार पर क्या राय है,  हमें निचे टिपण्णी के जरिये जरूर बताये और इस खबर को शेयर जरूर करे। 


आपकी प्रतिक्रिया

खबर शेयर करें