कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का "खटक-खट मॉडल" अब सवालों के घेरे में है। कैग की 2023-24 रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने अपने फ्रीबी योजनाओं और घाटे को पूरा करने के लिए ₹63,000 करोड़ कर्ज लिया, जो पिछले साल के शुद्ध कर्ज ₹26,000 करोड़ से ₹37,000 करोड़ अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का अनियंत्रित कर्ज राज्य की आर्थिक स्थिरता पर गंभीर असर डाल सकता है। विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस सरकार मुफ्त योजनाओं के नाम पर जनता को बहला रही है और आने वाली पीढ़ियों पर भारी वित्तीय बोझ डाल रही है।
🚨 कांग्रेस का "खटक-खट मॉडल" – कर्ज़ पर मुफ्तखोरी 🚨
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को जिस दिशा में धकेल दिया है, उसे देखकर साफ़ समझ आता है कि यह सरकार सत्ता बचाने और वोट बैंक को साधने के लिए राज्य की आर्थिक रीढ़ तोड़ने पर तुली हुई है।
कैग (CAG) की 2023-24 की रिपोर्ट इसका सबसे बड़ा सबूत है। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने अपने तथाकथित "गौरवशाली मुफ्त योजनाओं" और बढ़ते घाटे को पूरा करने के लिए ₹63,000 करोड़ का कर्ज़ लिया है। यह आंकड़ा केवल एक साधारण कर्ज़ नहीं है, बल्कि पिछले साल के मुकाबले ₹37,000 करोड़ ज़्यादा है। पिछले साल राज्य का शुद्ध कर्ज़ ₹26,000 करोड़ था। यानी, कांग्रेस ने एक ही साल में कर्ज़ को ढाई गुना से भी अधिक बढ़ा दिया।
अब सवाल उठता है – यह पैसा आखिर जा कहाँ रहा है?
👉 क्या यह राज्य की बुनियादी सुविधाओं, सड़क, शिक्षा या अस्पतालों पर खर्च हो रहा है?
👉 क्या यह उद्योग लगाने, रोजगार सृजन करने या किसानों को स्थायी राहत देने में उपयोग हो रहा है?
❌ बिल्कुल नहीं!
असलियत यह है कि यह पैसा सिर्फ़ फ्रीबी (Freebies) योजनाओं में बहाया जा रहा है – यानी "मुफ्तखोरी का झुनझुना" बजाकर जनता को कुछ समय के लिए खुश करना और वोट बैंक पक्का करना। लेकिन इस "खटक-खट मॉडल" का नतीजा यह होगा कि आने वाली पीढ़ियों पर कर्ज़ का पहाड़ टूटेगा।
🔴 विपक्ष के आरोप और जनता की चिंता
विपक्ष ने भी कांग्रेस पर यह गंभीर आरोप लगाया है कि सरकार "मुफ्त योजनाओं" के नाम पर जनता को बहला रही है। असल में, मुफ्त योजनाएं चुनावी स्टंट बन चुकी हैं। आज राज्य की जनता को जो "मुफ्त का सामान" या "मुफ्त की सुविधाएं" दी जा रही हैं, उनका असली बिल आने वाले सालों में जनता के टैक्स और महंगाई के रूप में वसूला जाएगा।
कांग्रेस सरकार के इस मॉडल को लोग अब "खटक-खट मॉडल" कहने लगे हैं। मतलब, आज जनता को खटक-खट कर थोड़ी राहत दी जाती है, लेकिन कल उसी जनता को दुगना-तिगुना चुकाना पड़ता है।
🔴 आर्थिक स्थिरता पर खतरा
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह का अनियंत्रित कर्ज़ किसी भी राज्य की वित्तीय सेहत के लिए खतरनाक है। कर्ज़ की ब्याज दरें और किस्तें आने वाले सालों में राज्य के बजट का बड़ा हिस्सा खा जाएंगी। नतीजा यह होगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर खर्च कम हो जाएगा, जबकि जनता पर टैक्स का बोझ और महंगाई बढ़ती जाएगी।
🔴 कांग्रेस का असली चेहरा
कांग्रेस का असली चेहरा अब खुलकर सामने आ चुका है –
- वादे मुफ्त के, बिल जनता के खून-पसीने से।
- सत्ता बचाने की राजनीति, आर्थिक दिवालियापन की ओर बढ़ता कर्नाटक।
- जनता को तात्कालिक लालच, आने वाली पीढ़ियों पर भारी बोझ।
कांग्रेस के इस मॉडल को अगर नहीं रोका गया, तो आने वाले सालों में कर्नाटक की हालत भी उन राज्यों जैसी हो जाएगी, जहां कर्ज़ ने विकास की गति को पूरी तरह रोक दिया है।
👉 तो सवाल अब जनता से है – क्या आप इस "कांग्रेस के खटक-खट मॉडल" को और सहेंगे?
👉 क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को कांग्रेस की मुफ्तखोरी का कर्ज़ चुकाना पड़े?
कांग्रेस का खटक-खट मॉडल = वोट के लिए कर्ज़ पर मुफ्तखोरी, जनता पर आर्थिक लूट।