विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में पश्चिमी देशों को भारत के लोकतंत्र की वास्तविकता से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि भारत में लोकतंत्र समय के साथ और भी मजबूत हुआ है, जबकि पश्चिमी देशों ने ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक शक्तियों को समर्थन दिया। जयशंकर ने मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत का लोकतंत्र न केवल जीवंत है, बल्कि वह अपने नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित भी करता है।
भारत का लोकतंत्र: जीवंत और मजबूत
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में लोकतंत्र केवल एक विचारधारा नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक और सफल प्रक्रिया है। उन्होंने मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता का उदाहरण दिया और बताया कि भारत में हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार है। भारत में मतदान के दौरान नागरिकों की अंगुली पर स्याही लगाई जाती है, जो यह दर्शाता है कि उन्होंने अपने अधिकार का प्रयोग किया है।
पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर सवाल
जयशंकर ने पश्चिमी देशों की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने केवल अपने लोकतंत्र को श्रेष्ठ मानकर ग्लोबल साउथ के देशों में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित किया। यह दिखाता है कि वे लोकतंत्र के नाम पर केवल अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास कर रहे हैं। भारत, जिसने स्वतंत्रता के बाद से लोकतंत्र को अपनाया, यह दिखाता है कि लोकतंत्र का भारतीय मॉडल कितना प्रभावी है।
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता
जयशंकर ने बताया कि भारत में चुनावों के दौरान लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में से 70 करोड़ से अधिक लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। यह संख्या अपने आप में पश्चिमी देशों के लिए एक उदाहरण है, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। भारत में मतदान के तुरंत बाद सभी वोटों की गिनती की जाती है, और परिणाम घोषित होते ही हर कोई उसे स्वीकार करता है।
लोकतंत्र को लेकर दुनिया में गलतफहमियाँ
सम्मेलन के दौरान कुछ वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र का भविष्य संकट में है। इस पर जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में लोकतंत्र किसी भी प्रकार के संकट में नहीं है, बल्कि यह और अधिक सशक्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि जब से भारत में मतदान प्रणाली लागू हुई है, तब से अब तक 20 प्रतिशत अधिक लोग इसमें भाग ले रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि भारत का लोकतंत्र समय के साथ और अधिक समृद्ध हुआ है।
लोकतंत्र का वास्तविक उद्देश्य
अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा कि लोकतंत्र लोगों को भोजन उपलब्ध नहीं कराता। इस पर जयशंकर ने जवाब देते हुए बताया कि भारत 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता प्रदान करता है। भारत यह सुनिश्चित करता है कि हर नागरिक को बुनियादी आवश्यकताएँ प्राप्त हों, जिससे यह साबित होता है कि लोकतंत्र केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है जो लोगों की जरूरतें पूरी करता है।
निष्कर्ष
जयशंकर के वक्तव्य ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत का लोकतंत्र मजबूत और विकसित हो रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों को यह संदेश दिया कि उन्हें अपने मॉडल को थोपने के बजाय भारत जैसे सफल लोकतंत्रों से सीखना चाहिए। भारत की चुनाव प्रक्रिया, पारदर्शिता और निष्पक्षता ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र को लेकर किसी भी प्रकार का संकट नहीं है। भारत का लोकतंत्र अपने नागरिकों के अधिकारों को न केवल सुरक्षित करता है, बल्कि उन्हें सशक्त भी बनाता है।
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