हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता ओम प्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में दोपहर करीब 12 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में परेशानी थी और बीते कई सालों से उनका इलाज चल रहा था। चौटाला का राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ाव भरा रहा और उन्होंने हरियाणा की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
परिचय: एक किसान परिवार से राजनीति के शिखर तक
ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली क्षेत्र के चौटाला गांव में हुआ था। वे भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के सबसे बड़े बेटे थे। एक किसान परिवार में जन्मे चौटाला ने अपने पिता के राजनीतिक आदर्शों का पालन करते हुए राजनीति में कदम रखा और हरियाणा की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने।
पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने
ओम प्रकाश चौटाला ने कुल पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद को संभाला। उनकी मुख्यमंत्री बनने की यात्रा इस प्रकार रही:
पहली बार मुख्यमंत्री (1989-1990)
चौटाला पहली बार 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 22 मई 1990 तक चला। इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई अहम नीतियां लागू कीं।
दूसरी बार मुख्यमंत्री (1990)
12 जुलाई 1990 को उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण केवल 5 दिन बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
तीसरी बार मुख्यमंत्री (1991)
22 अप्रैल 1991 को चौटाला ने तीसरी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। यह कार्यकाल भी राजनीतिक अस्थिरता के चलते बहुत लंबा नहीं चला।
चौथी और पांचवीं बार मुख्यमंत्री (1999-2000)
1999 में चौटाला ने चौथी बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। इसके बाद मार्च 2000 में वे पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। यह उनके राजनीतिक करियर का सबसे स्थिर और प्रभावी कार्यकाल माना जाता है।
शिक्षा और संघर्ष: जेल में पास की 10वीं और 12वीं
चौटाला की शिक्षा-दीक्षा बहुत नियमित नहीं रही। शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में जब वे तिहाड़ जेल में बंद थे, तब उन्होंने अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा करने का निर्णय लिया।
दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई
2019 में उन्होंने जेल में रहते हुए दसवीं की परीक्षा दी, लेकिन अंग्रेजी का पेपर नहीं दे पाने के कारण परिणाम अटक गया। इसके बाद 2021 में उन्होंने दसवीं की अंग्रेजी परीक्षा दी और 88 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता प्राप्त की। इसी के साथ उन्होंने बारहवीं की परीक्षा भी पास की। यह उनकी शिक्षा और संघर्ष की मिसाल है।
राजनीतिक सफर: जीत और हार की कहानी
ओम प्रकाश चौटाला ने अपना पहला चुनाव 1968 में ऐलानाबाद सीट से लड़ा था। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पहली जीत
चुनाव में हार के बाद चौटाला ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामला हाई कोर्ट में दायर किया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने विपक्षी उम्मीदवार की सदस्यता रद्द कर दी। उपचुनाव में चौटाला ने जीत हासिल कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की।
राजनीतिक संघर्ष
चौटाला का राजनीतिक जीवन कई विवादों और संघर्षों से भरा रहा। हालांकि, उन्होंने अपने अनुभव और साहस से हर बार चुनौतियों का सामना किया।
चौटाला का योगदान: हरियाणा के विकास में भूमिका
चौटाला ने हरियाणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यकाल में शिक्षा, कृषि और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई सुधार किए गए।
शिक्षा क्षेत्र में योगदान
चौटाला ने शिक्षा को प्राथमिकता दी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया।
कृषि और किसान हितैषी नीतियां
एक किसान परिवार से आने के कारण उन्होंने हमेशा किसानों के हित में निर्णय लिए। उनके कार्यकाल में कृषि उत्पादन और सिंचाई सुविधाओं में सुधार हुआ।
शोक: नेताओं ने जताया दुख
ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर देशभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर
मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन का दुखद समाचार मिला। प्रदेश के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "चौटाला जी का निधन देश और हरियाणा के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने हरियाणा और देश की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।"
निष्कर्ष: राजनीति में अमिट छाप
ओम प्रकाश चौटाला का जीवन संघर्ष और सफलता का प्रतीक रहा। उन्होंने हरियाणा की राजनीति में एक सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया। उनकी संघर्षशीलता और जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
सारांश
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने पांच बार मुख्यमंत्री पद संभाला और हरियाणा के विकास में अहम योगदान दिया। जेल में रहते हुए उन्होंने शिक्षा के प्रति अपने संकल्प को दर्शाते हुए दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास की। चौटाला के निधन पर विभिन्न नेताओं ने शोक व्यक्त किया और उनके योगदान को याद किया। उनके संघर्षशील जीवन और जनता के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें हमेशा यादगार बनाए रखेगी।