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विश्लेषण, IC814 : सेकुलरिज्म की आड़ में कांग्रेस द्वारा छोड़ा आतंकी कैसे बना भारतियों का हत्यारा

अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज ‘IC814’ 1999 में आतंकियों द्वारा भारतीय विमान के अपहरण की घटना पर आधारित है। इस सीरीज में चारों आतंकियों के असली नामों को छिपाकर हिन्दू नाम दिए गए हैं। इस घटना ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। वहीं, कांग्रेस पार्टी अब इस मुद्दे को लेकर BJP पर निशाना साध रही है। आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि इस हाईजैक की घटना, और उसके बाद की राजनीतिक घटनाओं का क्या प्रभाव रहा।

1. अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज ‘IC814’ का परिचय : अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित वेब सीरीज ‘IC814’ दिसंबर 1999 में भारतीय विमान के अपहरण की घटना पर आधारित है। इस सीरीज में आतंकियों के असली नामों को छिपाकर हिन्दू नाम दिए गए हैं, जैसे ‘भोला’, ‘शंकर’, ‘बर्गर’, ‘डॉक्टर’, और ‘चीफ’। इससे यह स्पष्ट होता है कि सीरीज को वामपंथी नज़रिए से तैयार किया गया है, जहां मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उनकी सरकार को निशाना बनाया गया है। इस सीरीज के माध्यम से एक विवादित संदेश दिया गया है, जो वास्तविक घटनाओं से मेल नहीं खाता।

2. 1999 में भारतीय विमान का अपहरण: घटना की संक्षिप्त जानकारी : दिसंबर 1999 में, भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 को काठमांडू से नई दिल्ली आने के दौरान आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। इस विमान में 179 यात्री और 11 क्रू मेंबर थे। इस हाईजैक के दौरान, विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया। दुबई में 27 यात्रियों को रिहा किया गया, जिनमें से एक घायल यात्री को चाकू घोंपा गया था। अंततः, आतंकियों के मोलभाव के बाद भारत सरकार को तीन खतरनाक आतंकियों को रिहा करना पड़ा।

3. कंधार में अपहृत विमान और आतंकियों की मांगें : कंधार में विमान को लैंड करने के बाद, आतंकियों ने भारत सरकार से तीन आतंकियों – अहमद उमर सईद शेख, मसूद अज़हर, और मुस्ताक अहमद ज़रगर – को रिहा करने की मांग की। यह स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण और चुनौतीपूर्ण थी, जिसमें भारतीय सरकार के सामने नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। इस परिस्थिति में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आतंकियों की मांग को मानते हुए अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए आतंकियों को रिहा कर दिया।

4. कांग्रेस की आलोचना और राजनीतिक माहौल : इस घटना के बाद, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और NDA सरकार पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगाना शुरू कर दिया। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि आतंकवादियों के प्रति नरमी दिखाना ठीक नहीं है। कांग्रेस ने पठानकोट हमले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा। यह राजनीतिक माहौल बहुत ही तनावपूर्ण हो गया, जिसमें दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहा।

5. 1999 में आई स्थिति और भाजपा सरकार की प्राथमिकताएं : 1999 में, भारतीय सरकार के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता अपने नागरिकों की जान बचाना था। विमान के अपहरण और कंधार में विमान के लैंड करने के बाद, स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई थी। इस परिस्थिति में, सरकार को मजबूरी में तीन आतंकियों को रिहा करना पड़ा। लेकिन, कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को राजनीतिक मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमला किया। इस स्थिति ने भारतीय राजनीति को बहुत ही पेचीदा बना दिया था।

6. कांग्रेस द्वारा ‘सद्भावना’ के नाम पर आतंकी रिहा करना : कांग्रेस पार्टी ने 2010 में पाकिस्तान से संबंध सुधारने के नाम पर जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी शाहिद लतीफ़ को रिहा कर दिया था। इस रिहाई को ‘सद्भावना’ के नाम पर किया गया था, जबकि उस समय न कोई विमान हाईजैक हुआ था और न ही कोई नागरिकों की जान खतरे में थी। यह घटना कांग्रेस सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करती है, जहाँ उन्होंने एक खतरनाक आतंकी को रिहा कर दिया। इसके बावजूद, कांग्रेस पार्टी आज भाजपा पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगा रही है।

7. पठानकोट हमला और शाहिद लतीफ़ का कनेक्शन : 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी शाहिद लतीफ़ का नाम सामने आया था। यह वही आतंकी था जिसे 2010 में कांग्रेस सरकार ने ‘सद्भावना’ के नाम पर रिहा किया था। पठानकोट हमले के बाद, पाकिस्तान ने अपनी भूमिका को नकारा, जबकि आतंकियों को प्रशिक्षण पाकिस्तान के नूर खान एयरफोर्स बेस पर दिया गया था। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना दिया और कांग्रेस सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए।

8. शाहिद लतीफ़ की रिहाई और कांग्रेस की भूमिका : शाहिद लतीफ़, जो पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड था, को 2010 में कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान को सौंप दिया था। उस समय न कोई विमान हाईजैक हुआ था, न ही कोई अन्य मजबूरी थी, फिर भी उसे ‘सद्भावना’ के नाम पर रिहा कर दिया गया। कांग्रेस की इस नीति ने भारतीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया। आज वही कांग्रेस पार्टी, जो आतंकियों को रिहा करती रही है, भाजपा पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगा रही है।

9. शाहिद लतीफ़ का कंधार हाईजैक से कनेक्शन : कंधार हाईजैक में भी आतंकियों ने शाहिद लतीफ़ को छुड़ाने की मांग की थी, लेकिन तत्कालीन राजग सरकार ने शाहिद लतीफ़ समेत 31 आतंकियों को रिहा करने से इनकार कर दिया था। शाहिद लतीफ़ को कश्मीर की जेल से वाराणसी की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, ताकि उसे छुड़ाने के किसी भी प्रयास को विफल किया जा सके। इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा सरकार आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध थी।

10. शाहिद लतीफ़ की मौत और मोदी सरकार का रुख : अक्टूबर 2023 में, जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी शाहिद लतीफ़ को पाकिस्तान में अज्ञात लोगों ने मार दिया। यह घटना मोदी सरकार के आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख को दर्शाती है। पाकिस्तान में आतंकियों की मौत के मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की सुरक्षा नीतियों में बदलाव आया है। इस घटना ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों पर भी सवाल खड़ा किया, जिन्होंने इस आतंकी को रिहा किया था।

11. शाहिद लतीफ़ की पृष्ठभूमि और गतिविधियाँ : शाहिद लतीफ़ पाकिस्तान के गुजराँवाला के अमीनाबाद का निवासी था। उसे जैश-ए-मुहम्मद के सियालकोट क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था और वह भारत में आतंकी कैडर तैयार करने का काम कर रहा था। उसने पठानकोट हमले के लिए आतंकियों को हथियार, कपड़े और अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराया था। इसके बाद से, भारत ने उसे ‘वॉन्टेड’ सूची में शामिल कर लिया था और पाकिस्तान से उसके परिजनों का DNA सैंपल भी माँगा था।

12. कांग्रेस पार्टी की आलोचना और भाजपा का कड़ा रुख : कांग्रेस पार्टी आज भाजपा पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगा रही है, जबकि उन्होंने खुद अपने शासनकाल में कई आतंकियों को रिहा किया था। भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर में संविधान लागू करके और पत्थरबाजी की घटनाओं को खत्म करके आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। कांग्रेस पार्टी का यह दोहरा मापदंड अब जनता के सामने स्पष्ट हो चुका है, और भाजपा ने अपने कड़े रुख से जनता का विश्वास जीत लिया है।

13. भारतीय सुरक्षा नीतियों में बदलाव और कांग्रेस का इतिहास : मोदी सरकार के आने के बाद, भारतीय सुरक्षा नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। अब आतंकवादियों को कड़ा जवाब दिया जा रहा है और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। वहीं, कांग्रेस पार्टी अपने इतिहास को छिपाने की कोशिश कर रही है, जिसमें उन्होंने आतंकियों को रिहा किया और प्रधानमंत्री कार्यालय में आतंकियों से मुलाकात की। इस स्थिति ने भारतीय जनता के मन में कांग्रेस के प्रति संदेह उत्पन्न कर दिया है।

14. कांग्रेस का आतंकवाद के प्रति नरम रुख : कांग्रेस पार्टी ने अपने शासनकाल में आतंकवाद के प्रति नरम रुख अपनाया, जिसमें उन्होंने आतंकियों को रिहा किया और उनके साथ संवाद कायम करने की कोशिश की। लेकिन आज वही कांग्रेस भाजपा पर आतंकियों के समर्थन का आरोप लगा रही है, जो खुद
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दोहरे मापदंड ने कांग्रेस की विश्वसनीयता को बहुत प्रभावित किया है।

15. भाजपा की नीतियाँ और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई : भाजपा सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीतियाँ अपनाई हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएँ खत्म हुईं और आतंकी गतिविधियाँ नियंत्रित हुईं। इस सरकार ने आतंकियों को कड़ा जवाब दिया है और जनता का विश्वास हासिल किया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी अपने पुराने निर्णयों को छिपाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जनता अब इन सब तथ्यों से वाकिफ हो चुकी है।