उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में एक घटना ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। संभल के जिलाधिकारी (DM) ने एक सरकारी शिक्षक को निलंबित कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि डिजिटल हाजिरी का विरोध क्यों किया जा रहा है।
DM का स्कूल निरीक्षण और शिक्षक का निलंबन :
संभल के जिलाधिकारी ने हाल ही में एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि एक शिक्षक अपने कार्यों में लापरवाही बरत रहा था। DM ने शिक्षक का फोन चेक किया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए:
- 1 घंटा 17 मिनट कैंडी क्रश खेलते हुए
- 26 मिनट फोन कॉल पर
- 11 मिनट गूगल सर्च में
- 6 मिनट यूट्यूब पर
- 5 मिनट इंस्टाग्राम पर
शिक्षक लगभग तीन घंटे से पढ़ाने की बजाय फोन चला रहा था, जिससे स्पष्ट होता है कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा था।
शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल :
शिक्षक की लापरवाही केवल फोन के इस्तेमाल तक सीमित नहीं थी। जब DM ने शिक्षक द्वारा चेक की गई कॉपियों की जांच की, तो उन्होंने पाया कि छह पेज में 95 गलतियां थीं। इतनी बड़ी संख्या में गलतियां शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
शिक्षक की निलंबन की प्रक्रिया :
DM ने शिक्षक को तुरंत फटकार लगाई और सस्पेंड कर दिया। इस घटना ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। शिक्षक का निलंबन यह दर्शाता है कि प्रशासन अब शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की जवाबदेही पर सख्त है।
डिजिटल हाजिरी का महत्व :
इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि डिजिटल हाजिरी क्यों जरूरी है। डिजिटल हाजिरी से न केवल शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी की जा सकती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि वे अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन कर रहे हैं।
निष्कर्ष :
यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे शिक्षकों की लापरवाही छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। प्रशासन की सख्ती और डिजिटल हाजिरी का विरोध करने के पीछे की वजहें स्पष्ट हो गई हैं। शिक्षकों को यह समझना होगा कि उनका प्राथमिक कर्तव्य शिक्षा देना है, न कि फोन चलाना। ऐसे मामलों में प्रशासन की सख्ती से ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
इस तरह की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। केवल तभी हम अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं और उन्हें एक बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।