कर्नाटक के वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाले ने राज्य की राजनीति में बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है। इस घोटाले में करोड़ों रुपए का दुरुपयोग किया गया, जिसका खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने किया है। कांग्रेस विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री बी नागेंद्र को इस घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि घोटाले के पैसे का इस्तेमाल शराब और गाड़ियों की खरीद में किया गया, विशेष रूप से लोकसभा चुनाव के दौरान। इस मामले ने राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर गहराई से असर डाला है।
घोटाले का खुलासा :
कर्नाटक में वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाले के खुलासे से राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार, 17 जुलाई 2024 को खुलासा किया कि इस घोटाले के पैसे का इस्तेमाल शराब खरीदने और लोकसभा चुनाव के दौरान गाड़ियों की खरीद में किया गया था। इस घोटाले में कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया गया है।
फंड डायवर्जन और कैश मैनेजमेंट :
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने बताया कि बी नागेंद्र से जुड़े लोग फंड डायवर्जन और कैश मैनेजमेंट में शामिल थे। ईडी ने दावा किया कि वाल्मीकि निगम के फंड से करीब 90 करोड़ रुपए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 18 फर्जी खातों में भेजे गए थे। इसके बाद यह फंड फर्जी खातों के जरिए बांट दिया गया। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में शराब खरीदने और गाड़ियों की खरीद में किया गया।
नागेंद्र की गिरफ्तारी और पूछताछ :
ईडी अधिकारी बी नागेंद्र की पत्नी मंजुला को शहर के डॉलर्स कॉलोनी स्थित आवास से बेंगलुरु के शांतिनगर स्थित ईडी दफ्तर ले गए, जहां उनसे काफी देर तक पूछताछ की गई। बी नागेंद्र की हिरासत अवधि 18 जुलाई 2024 को समाप्त हो रही है, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। ईडी उनकी हिरासत बढ़ाने की मांग करेगी।
नागेंद्र का इस्तीफा और पूर्व भूमिका :
बीते 12 जुलाई 2024 को ईडी ने कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया था। नागेंद्र ने जून माह में सिद्दारमैया सरकार से मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। वह सिद्दारमैया सरकार में अनुसूचित जनजातीय कल्याण मंत्री थे। उन्होंने यह इस्तीफा कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति कल्याण विकास निगम (KMVSTDC) में करोड़ों की गड़बड़ी में नाम सामने आने के बाद दिया था।
घोटाले की जांच :
बी नागेंद्र जिस महर्षि वाल्मीकि फंड घोटाले में गिरफ्तार किए गए हैं, उसकी जांच CBI, ED और राज्य सरकार की SIT कर रही है। यह मामला लगभग ₹95 करोड़ सरकारी धन के दुरुपयोग और उसके अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए जाने से जुड़ा हुआ है।
वाल्मीकि कॉरपोरेशन का कार्यक्षेत्र :
कर्नाटक सरकार KMVSTDC प्रदेश की जनजातीय जनता के कल्याण के लिए चलाती है। इसके अंतर्गत जनजातीय जनसंख्या के लिए रोजगार समेत विशेष योजनाएँ लाई जाती हैं। कर्नाटक सरकार इसके लिए अलग से बजट देती है। इसी महर्षि वाल्मीकि फंड में घोटाले की बात सामने आई है।
आत्महत्या से खुला घोटाले का राज :
यह पूरा मामला एक आत्महत्या से चालू हुआ था। मई, 2024 में इसी निगम से जुड़े एक 48 वर्षीय कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी मौत के बाद एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसके उच्चाधिकारियों ने उस पर इस बात के लिए दबाव बनाया था कि वह निगम के खातों से पैसा ट्रांसफर करे।
चंद्रशेखर का सुसाइड नोट :
आत्महत्या करने वाले कर्मचारी चंद्रशेखर ने सुसाइड नोट में बताया था कि उसे उच्चाधिकारियों ने इस बात के लिए निर्देशित किया था कि वह निगम के एक खाते से दूसरे खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए पत्र लिखे। यह पैसा यूनियन बैंक के वसंत नगर ब्रांच से एमजी रोड ब्रांच में डाला जाना था। इसी के तहत वाल्मीकि निगम के खातों से निकाला गया पैसा इसके बाद अन्य खातों में भेज दिया गया।
घोटाले का प्रभाव और आगे की कार्रवाई :
इस पूरे खेल में ₹187 करोड़ का लेनदेन हुआ। इसमें से लगभग ₹88 करोड़ अवैध खातों में भेजा गया। जब यह मामला खुला तो चंद्रशेखर डर गया और उसने आत्महत्या कर ली। अब इस मामले में ईडी बी नागेंद्र की हिरासत बढ़ाने की मांग कर रही है और मामले की जांच जारी है।
वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाले ने कर्नाटक की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र को झकझोर दिया है। इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि कितने लोग और किस हद तक इसमें शामिल थे।