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भोजशाला मामले पर आई ASI र‍िपोर्ट ह‍िंदू पक्ष हुआ मजबूत :

मध्य-प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एक महत्वपूर्ण सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में मूर्तियों, सिक्कों और विभिन्न वास्तुशिल्प के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में परमार वंश के शासनकाल के निशान मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम शासन से पहले यहाँ हिन्दू शासकों का शासन था। इस मामले में हिन्दू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद है कि यह स्थल धार्मिक रूप से किसका है। हिन्दू पक्ष इसे माँ वाग्देवी का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद के रूप में देखता है। इस मुद्दे पर कोर्ट में सुनवाई जारी है।

मध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला की रिपोर्ट :
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वे रिपोर्ट को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जमा कर दिया गया है। इस रिपोर्ट में सर्वे के दौरान मिली सभी संरचनाओं की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वे के दौरान मूर्तियाँ, सिक्के और चिन्ह पाए गए हैं। 

सिक्के और वास्तुशिल्प :
आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सर्वे के दौरान चाँदी, तांबे, एल्युमिनियम और स्टील के 31 सिक्के पाए गए हैं। यह सिक्के अलग-अलग ऐतिहासिक समय के हैं, जिसमें दिल्ली के सल्तनत काल, मुग़ल काल और विभिन्न ऐतिहासिक समय शामिल हैं। सिक्कों के अलावा 94 वास्तुशिल्प भी मिले हैं, जिनमें मूर्तियाँ, मूर्तियों के खंडित हिस्से और पत्थरों पर उकेरी प्रतिमाएँ शामिल हैं।

स्तंभों पर उकेरी गई मूर्तियाँ :
इस सर्वे में यह भी पाया गया है कि यहाँ के स्तंभों पर मूर्तियाँ उकेरी गई थीं। इन पर बने हुए देवता सशस्त्र थे। बताया गया कि इन छवियों में ब्रह्मा, गणेश, नरसिंह और भैरव के साथ ही पशुओं की आकृतियाँ भी हैं। इनमें कुछ मानव आकृतियाँ भी शामिल हैं।

भित्तिचित्र और शिलालेख :
इसके अलावा इस परिसर के एक हिस्से में भित्तिचित्रों में मानव और सिंह समेत कई पशुओं के मुख वाली आकृतियाँ भी हैं। एक हिस्से में यह विकृत की गई थीं जबकि कुछ जगह यह सुरक्षित थीं। यहाँ कई शिलालेख भी मिले हैं। इनमें कई रचनाएँ लिखी हुई हैं, जिनसे भोजशाला के रूप में जानकारी मिलती है।

परमार वंश के शासनकाल के संकेत :
रिपोर्ट में पाया गया है कि सर्वे में मिले एक शिलालेख में यहाँ परमार वंश के राजा नरवर्मन का शासन था। इससे इंगित होता है कि यहाँ मुस्लिमों के शासन करने से पहले हिन्दू शासक शासन कर रहे थे। रिपोर्ट में यहाँ से मिले अन्य कई शिलालेख और चिन्ह को जगह दी गई है।

सर्वे रिपोर्ट और याचिकाकर्ता की जानकारी :
इस मामले में हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि हिन्दू पक्ष की याचिका पर हाई कोर्ट ने यहाँ सर्वे का आदेश ASI को दिया था। यहाँ 98 दिन तक सर्वे चला और इस सर्वे में 1700 से अधिक अवशेष मिले हैं। इनमें 39 से अधिक मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ शामिल हैं। अब इस विषय में 22 जुलाई, 2024 को कोर्ट में सुनवाई है। 

विवाद का आरंभ और मुस्लिम पक्ष का विरोध :
मालूम हो कि इस संबंध में हिंदू पक्ष ने याचिका डाली हुई है कि भोजशाला उनकी माँ वाग्देवी का मंदिर है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपना मजहबी स्थल बताकर सर्वे के खिलाफ बोल रहे हैं। इस मामले में 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे की अनुमति दी थी। 22 मार्च से सर्वे शुरू हुआ और 1 अप्रैल को मुस्लिम पक्ष इसे रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।

वाग्देवी मंदिर से कमालुद्दीन मस्जिद तक :
गौरतलब है कि भोजशाला विवाद बहुत पुराना विवाद है। हिंदू पक्ष का मत है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है जिसकी स्थापना राजा भोज ने सन् 1000-1055 के मध्य कराई थी। सदियों पहले मुसलमान आक्रांताओं ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन की मजार बना दी थी। 

समकालीन विवाद और निर्णय :
इस मामले में अब ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि यह स्थल उनका मंदिर है क्योंकि इसके खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे साफ दिखते हैं। वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह उनका धार्मिक स्थल है। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है और आगामी 22 जुलाई को इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

निष्कर्ष :
भोजशाला का यह विवाद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। दोनों पक्षों के दावे और ASI की रिपोर्ट के आधार पर यह मामला न्यायालय के समक्ष है। इस निर्णय का असर न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी हो सकता है। अब देखना यह है कि न्यायालय इस मामले में किस प्रकार का निर्णय लेता है और इसका प्रभाव क्या होता है।