भारत में गरीबी के बारे में कई भ्रांतियाँ और प्रोपगेंडा फैलाई जाती हैं, लेकिन नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी बढ़ी नहीं, बल्कि घटी है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले 12 सालों में गरीबी दर 12.7 प्रतिशत कम हुई है, जो कि कोरोना महामारी जैसी चुनौतीपूर्ण समय में भी जारी रही। गरीबी दर 2011-12 में 21.2% थी जो अब घटकर 8.5% हो गई है। इस गिरावट का कारण आर्थिक विकास और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को बताया गया है।
गरीबी पर प्रोपगेंडा और वास्तविकता :
भारत में गरीबी के मुद्दे पर अक्सर कई प्रकार की भ्रांतियाँ और प्रोपगेंडा फैलाए जाते हैं। यह आवश्यक है कि हम प्रामाणिक आंकड़ों और शोधों पर ध्यान दें। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी की दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
NCAER की रिपोर्ट: गरीबी दर में गिरावट :
NCAER के सोनाल्डे देसाई के नेतृत्व में किए गए शोध पेपर 'बदलते समाज में सामाजिक सुरक्षा दायरा पर पुनर्विचार' के अनुसार, पिछले 12 सालों में भारत में गरीबी दर में 12.7 प्रतिशत की कमी आई है। 2011-12 में यह दर 21.2% थी, जो अब घटकर 8.5% हो गई है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गिरावट :
रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर के अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दर 24.8% से घटकर 8.6% हो गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 13.4% से घटकर 8.4% हो गई है।
इंडियन ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे के डेटा का उपयोग :
इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने इंडियन ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे की वेव 3, वेव 2 और वेव 1 के डेटा का उपयोग किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में सरकार से मिलने वाले लाभों के कारण यह बदलाव आया है।
गरीबी में वापसी की संभावना :
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गरीबी में कमी के बावजूद, जीवन में होने वाली घटनाएँ लोगों को फिर से गरीबी में धकेल सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में गरीबी दर के 8.5 प्रतिशत में से 3.2 प्रतिशत लोग जन्म से गरीब थे जबकि 5.3 प्रतिशत लोग जीवन में किसी दुर्घटना के बाद गरीब बने।
आर्थिक विकास और सामाजिक सुरक्षा :
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास और गरीबी में कमी के बीच एक गतिशील परिवेश पैदा होता है। इसके लिए कारगर सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की जरूरत होती है। सामाजिक बदलाव की रफ्तार के साथ सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को बनाए रखना भारत के लिए एक प्रमुख चुनौती है।
नीति आयोग का अनुमान :
नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने भी कुछ महीने पहले गरीबी के मुद्दे पर कहा था कि नवीनतम उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि देश में गरीबी घटकर 5 प्रतिशत रह गई है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों की आय बढ़ी है।
NCAER: एक परिचय :
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, आर्थिक नीति अनुसंधान थिंक टैंक है। 1956 में नई दिल्ली में स्थापित इस संगठन ने अपनी स्थापना के कुछ दशकों के भीतर ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल कर ली।
NCAER का कार्यक्षेत्र :
NCAER सरकारों और उद्योग के लिए अनुदान-वित्तपोषित अनुसंधान और कमीशन अध्ययन का कार्य करता है। यह वैश्विक स्तर पर उन कुछ थिंक टैंकों में से एक है जो प्राथमिक डेटा भी एकत्र करते हैं।
निष्कर्ष :
भारत में गरीबी की वास्तविक स्थिति को समझने के लिए प्रामाणिक आंकड़ों और शोधों पर ध्यान देना आवश्यक है। NCAER की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी दर में उल्लेखनीय कमी आई है, जो देश की आर्थिक विकास और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को दर्शाती है। यह आवश्यक है कि हम इस दिशा में और अधिक प्रयास करें ताकि गरीबी को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।