झारखंड कोर्ट ने अवैध रूप से भारत में घुसने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह गैर कानूनी रूप से भारत में घुसे हुए बांग्लादेशियों की पहचान करे और उन्हें वापस भेजने के लिए कार्ययोजना तैयार करे। अदालत ने यह निर्देश डानियल दानिश की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए। याचिका में कहा गया था कि संताल परगना जैसे जिलों में बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन झारखंड की जनजातीय लड़कियों से शादी करके उनका धर्मांतरण करवा रहे हैं। इसके साथ ही, नए मदरसों की बढ़ोतरी को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई थी।
बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और कार्रवाई के निर्देश :
झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह राज्य में गैर कानूनी रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों की पहचान करे और उन पर कार्रवाई करते हुए उन्हें वापस भेजने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करे। यह आदेश अदालत ने डानियल दानिश की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
प्रतिबंधित संगठनों की गतिविधियाँ और धर्मांतरण :
याचिका में अदालत को बताया गया था कि संताल परगना जैसे जिलों में बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन सुनियोजित तरीके से झारखंड की जनजातीय लड़कियों से शादी करके उनका धर्मांतरण करवा रहे हैं। याचिका में कहा गया कि यह प्रक्रिया रोकी जानी चाहिए क्योंकि यह जनजातीय समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
मदरसों की बढ़ोतरी और देश विरोधी गतिविधियाँ :
संताल परगना के बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए जिलों में अचानक मदरसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। याचिका में दावा किया गया कि नए 46 मदरसे खोले गए हैं और इन मदरसों के जरिए देश विरोधी कार्य हो रहे हैं। यह भी कहा गया कि इन मदरसों के माध्यम से न केवल जनजातीय महिलाओं का शोषण हो रहा है, बल्कि घुसपैठिए जमीन पर भी कब्जा कर रहे हैं।
प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश :
अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। इस रिपोर्ट में सरकार को बताना होगा कि कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित किया गया, उनमें से कितनों को रोका गया और कितनों को वापस भेजने के प्रयास किए गए हैं।
केंद्र सरकार का जवाब :
कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने माना कि यह बहुत गंभीर मसला है जिसे सिर्फ राज्य सरकारें नहीं हैंडल कर सकतीं। इसलिए केंद्र को भी इसमें राज्य के साथ मिलकर काम करना चाहिए और इस पर रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान केंद्र की स्थिति :
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अदालत में बताया गया कि घुसपैठ के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दिए हैं कि वे ऐसे लोगों की पहचान कर स्वयं कार्रवाई कर सकते हैं। हालाँकि, याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य सरकार घुसपैठ से इनकार कर रही है और धर्मांतरण की बात भी स्वीकार नहीं कर रही। ऐसे में केंद्र को ही घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाने चाहिए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी :
धर्मांतरण के मसले पर इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने ईसाई धर्मांतरण के खतरे को देखते हुए कहा था कि अगर इसी तरह धर्मांतरण का खेल जारी रहा तो आने वाले समय में देश में बहुसंख्यक जनसंख्या अल्पसंख्यक हो जाएगी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी और कहा था कि जहाँ भी भारतीय लोगों का धर्मांतरण करवाया जा रहा है, उसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
निष्कर्ष :
झारखंड हाई कोर्ट का यह कदम अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे न केवल राज्य की सुरक्षा बल्कि जनजातीय समाज की संरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। अदालत के इस फैसले से यह उम्मीद की जा सकती है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इस गंभीर समस्या का समाधान निकालेंगी।