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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसद में भाषण: विकसित भारत की दिशा में एक कदम

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण का समर्थनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (2 जुलाई, 2024) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण का समर्थन करते हुए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने विकसित भारत पर बल दिया है। पीएम मोदी ने संसद में अपनी बात रखते हुए बताया कि राष्ट्रपति का अभिभाषण न केवल देश की चुनौतियों को पहचानता है बल्कि हमें आगे बढ़ने की दिशा भी दिखाता है।

संसद का गर्म माहौल :
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में इस बात का भी जिक्र किया कि संसद का माहौल इस बार गर्म है। इसका कारण नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा हिन्दुओं को हिंसक बताने और भगवान शिव की तस्वीर लहराकर हिन्दू देवी-देवताओं के ‘अभय मुद्रा’ को इस्लाम और कॉन्ग्रेस के चुनाव चिह्न से जोड़ने के विवादित बयान थे। पीएम मोदी ने कहा कि वह कुछ लोगों की पीड़ा समझ सकते हैं क्योंकि लगातार झूठ चलाने के बावजूद उनकी घोर पराजय हुई।

विपक्षी दलों का हंगामा और स्पीकर का हस्तक्षेप :
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्षी दल लगातार हंगामा करने लगे। इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने राहुल गाँधी को सदन की गरिमा की याद दिलाई। पीएम मोदी ने कहा कि जनता ने NDA को हर कसौटी पर कसने के बाद यह जनादेश दिया है। उन्होंने कहा कि जनता ने उनके 10 वर्ष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखा और गरीबों के कल्याण के लिए उनके समर्पण भाव को समझा।

25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की सफलता :
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यही भाजपा को लगातार तीसरी बार जनता के आशीर्वाद का कारण बना। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में जब पहली बार उनकी विजय हुई थी तब भी उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई थी। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार से पीड़ित देश के सामान्य मानवी को राहत दी है।

भारत की साख और ‘भारत सर्वप्रथम’ का लक्ष्य :
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में भारत की साख बढ़ी है और भारत का गौरव-गान हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य ‘भारत सर्वप्रथम’ है और हर नीति-निर्णय-कार्य का एक ही तराजू रहा है – भारत प्रथम। उन्होंने इस दौरान हुए सुधारों का भी जिक्र किया और बताया कि एक दशक में ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र को लेकर देश के सभी लोगों का कल्याण करने का प्रयास किया गया है।

संविधान की आत्मा के अनुसार ‘सर्वपंथ समभाव’ :
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार उन सिद्धांतों को समर्पित है, जिसमें भारत के संविधान की आत्मा के अनुसार ‘सर्वपंथ समभाव’ विचार को सर्वोपरि रखा गया है। उन्होंने कहा कि देश ने लंबे अरसे तक तुष्टिकरण की राजनीति और शासन का मॉडल देखा, लेकिन उनकी सरकार ने सेक्युलरिज़्म के तहत कार्य किया। उन्होंने तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टिकरण किया है, जिसका अर्थ है – हर योजना का लाभ आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाना।

चुनाव परिणामों का जिक्र :
पीएम मोदी ने ताज़ा चुनाव परिणामों का जिक्र करते हुए भारत की जनता को परिपक्व, विवेकपूर्ण और उच्च-आदर्शवादी करार दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है। उन्होंने गाँवों और शहरों के विकास के प्रयासों को भी उजागर किया और बताया कि ‘विकसित भारत’ का अर्थ है कोटि-कोटि नागरिकों को कोटि-कोटि अवसर उपलब्ध कराना।

‘विकसित भारत’ के संकल्प की पूर्ति :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि ‘विकसित भारत’ के संकल्प की पूर्ति के लिए उनकी सरकार पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से भरसक प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि उनका समय का पल-पल और शरीर का कण-कण इसमें लगेगा। पीएम मोदी ने 2014 के पहले के दिनों को याद किया जब देश निराशा के गर्त में डूब चुका था और लोगों ने आत्मविश्वास खो दिया था।

निराशा से विश्वास की ओर :
पीएम मोदी ने कहा कि तब सब कोई यही कहता था कि इस देश का कुछ हो नहीं सकता। उन्होंने कहा कि भारतीयों की हताशा उनकी पहचान बन गई थी। उन्होंने याद दिलाया कि उस दौरान सैकड़ों करोड़ के घोटाले हुए, रोज नए घोटालों की खबरें आती थीं। पीएम मोदी ने बताया कि कैसे सामान्य नौजवान आशा खो चुका था और गरीब को घर लेने के लिए हजारों रुपए की रिश्वत देनी पड़ती थी।

2014 के बाद का भारत :
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले जब निराशा के गर्त में डूबा हुआ समाज था तब जनता ने उन्हें सेवा करने के लिए चुना। यह पल देश के परिवर्तित युग का प्रारंभ था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की सबसे बड़ी सिद्धि यह थी कि देश निराशा के गर्त में से निकल कर आस्था और विश्वास के साथ खड़ा हो गया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत का आत्मविश्वास बुलंदी पर पहुँचा और धीरे-धीरे लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया कि इस देश में सब कुछ संभव है।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत :
पीएम मोदी ने कहा कि देश आज गर्व से कहता है – भारत कुछ भी कर सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि कोयला घोटालों में बड़े-बड़ों के हाथ काले हो गए थे, लेकिन आज कोयला उत्पादन में रिकॉर्ड बन रहा है। उन्होंने ‘फोन बैंकिंग’ से हुए घोटालों का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे बैंकों का पैसा लूट लिया गया था। लेकिन 2014 के बाद भारत की बैंकें दुनिया की अच्छी बैंकों में शामिल हो गईं और सर्वाधिक मुनाफा करने वाली बन गईं।

आतंकवाद पर सख्त कदम :
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले आतंकी आकर जहाँ चाहें हमला कर देते थे, लेकिन अब 2014 के बाद का हिंदुस्तान घर में घुस कर मारता है। उन्होंने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि देश अब अपने आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि वोट बैंक की राजनीति को हथियार बनाने वालों ने जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकार छीन लिए थे।

जम्मू कश्मीर में शांति :
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जम्मू कश्मीर भारत के संविधान में भरोसा रखता है और पत्थरबाजी बंद हो गई है। उन्होंने कहा कि इस विश्वास ने विकास के ड्राइविंग फोर्स का काम किया है। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की अनेक सफलताएँ हैं, लेकिन सबसे बड़ी सिद्धि यह है कि देश निराशा के गर्त से निकल कर आस्था और विश्वास के साथ खड़ा हो गया है। 

निष्कर्ष :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण न केवल उनकी सरकार की उपलब्धियों का बखान था बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत ने अब निराशा को छोड़कर विश्वास की ओर कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने अपने भाषण में कई मुद्दों को उठाया और जनता को यह विश्वास दिलाया कि उनकी सरकार ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह भाषण एक नई दिशा और ऊर्जा के साथ देश को आगे बढ़ने का संदेश देता है।