गौ माता भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इसे भारतीय जीवनशैली में एक विशेष स्थान प्राप्त है। ऋगवेद में भी गौ माता की महिमा का वर्णन मिलता है। इस लेख में हम गौ माता और विदेशी गाय में अंतर, गौ माता के लाभ, और इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विस्तार से समझेंगे।
गौ माता: सूर्य नारायण की प्रतिनिधि :
गौ माता को ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण की सीधी प्रतिनिधि माना जाता है। इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ है ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे और सभी योनियों का पालन-पोषण होता रहे। ऋगवेद के 28वें अध्याय में इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
गौ माता और विदेशी काऊ में अंतर :
1.कंधा (कुबड़)
गौ माता का सबसे पहला अंतर उसके कंधे पर उठे हुए कुबड़ में होता है, जिसमें सूर्यकेतु नाड़ी होती है। विदेशी काऊ में यह कुबड़ नहीं होता और उसकी पीठ सपाट होती है।
2.गले की त्वचा
गौ माता के गले के नीचे की त्वचा बहुत ही झूलती हुई होती है, जबकि विदेशी काऊ की त्वचा सामान्य और कसीली होती है।
3.सिंग
गौ माता के सिंग सामान्य से लेकर काफी बड़े आकार के होते हैं, जबकि विदेशी काऊ के सिंग होते ही नहीं या फिर बहुत छोटे होते हैं।
4.त्वचा
गौ माता की त्वचा फैली हुई, ढीली और अतिसंवेदनशील होती है, जबकि विदेशी काऊ की त्वचा काफी संकुचित और कम संवेदनशील होती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से गाय की परिक्रमा के लाभ :
1.तत्वों का संतुलन
गाय के शरीर में सृष्टि के निर्माण के 32 मूल तत्व पाए जाते हैं। गाय की परिक्रमा करने का अर्थ है पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना। यह तत्व मानव शरीर के लिए आवश्यक होते हैं।
2.एंटीवायरल वायु
गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु एंटीवाइरस होती है। गाय द्वारा छोड़ी गई श्वास से सभी अदृश्य और हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। यह वायु मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है।
3.दैवीय ऊर्जा
गाय के शरीर से सतत एक दैवीय ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य शरीर के लिए बहुत लाभकारी होती है। इसी कारण गाय की परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
हमारा निष्कर्ष :
गौ माता न केवल भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, बल्कि इसके वैज्ञानिक लाभ भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। गौ माता और विदेशी काऊ में विभिन्न अंतर होते हैं जो इसे विशेष बनाते हैं। गाय की परिक्रमा करने के लाभों को समझकर हम अपनी जीवनशैली में इसे शामिल कर सकते हैं। इस प्रकार, गौ माता की महिमा और महत्व को समझना और इसका सम्मान करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने में सहायक है।