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राहुल गांधी की घटिया राजनीति: पुणे हादसे पर अमीर गरीब की राजनीति

पुणे हादसा: एक दुखद त्रासदी, पुणे में हाल ही में घटित एक दर्दनाक हादसे में 24 साल के IT प्रोफेशनल्स अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई। यह हादसा एक नाबालिग के हाथों गाड़ी से कुचले जाने के कारण हुआ। यह एक बेहद दुखद और त्रासदीपूर्ण घटना है, जिस पर सभी को संवेदनशीलता और समर्पण के साथ विचार करना चाहिए।

राहुल गांधी का बयान: घटिया राजनीति का प्रदर्शन :
राहुल गांधी ने इस घटना पर बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि “नरेंद्र मोदी दो भारत बना रहे हैं जहां न्याय धन पर आधारित है।” राहुल गांधी का यह बयान न केवल घटिया राजनीति का प्रदर्शन है बल्कि इस दर्दनाक घटना पर राजनीति करने का भी प्रयास है।

अमीर-गरीब का कानून: वास्तविकता और उदाहरण :
1.निर्भया कांड: न्याय की देरी
राहुल गांधी को निर्भया कांड याद होगा, जहां अपराधियों को सजा दिलाने में आठ साल लग गए। निर्भया के साथ हुई बर्बरता और हत्या के बाद भी न्याय प्राप्त करने में देरी हुई थी। यह इस बात का प्रमाण है कि न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, न कि केवल राजनीति करने की।

सलमान खान का मामला: अमीरों के लिए अलग न्याय?
सलमान खान का मामला भी इसी कड़ी में आता है। 2015 में सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उसी दिन जमानत मिल गई और छह महीने में हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में अपील अभी भी लंबित है, जो यह दर्शाता है कि अमीरों के लिए कानून का अलग ही रूप हो सकता है।

3.यूनियन कार्बाइड और एंडरसन की भागने की घटना
यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एम एंडरसन को विशेष विमान में भगाने का मामला भी इसी तरह का है। यह घटना उस समय की है जब अर्जुन सिंह मंत्री थे और एंडरसन को विशेष विमान में बिठा कर अमेरिका भेज दिया गया था। इसके बदले में आदिल शहरयार को अमेरिका से वापस लाया गया, जो राहुल गांधी के पिता के करीबी मित्र का बेटा था।

निष्कर्ष : 
राजनीति से परे संवेदनशीलता की आवश्यकता, राहुल गांधी को चाहिए कि वे इस तरह की दर्दनाक घटनाओं पर घटिया राजनीति करने के बजाय संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय दें। यह समय है कि हम सब मिलकर न्याय प्रणाली में सुधार की ओर ध्यान दें, ताकि किसी भी नागरिक को न्याय के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े। अमीर-गरीब के भेदभाव को खत्म करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा, न कि ऐसे मामलों पर राजनीति करके लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करना चाहिए।