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उद्धव ठाकरे से शिवसेना का नाम और चिन्ह पूर्ण रूप छीना गया

जैसा कि हम सब जानते हैं शिवसेना में दरार आने के बाद महाराष्ट्र में एक ही पार्टी दो नामों से जानी जाने लगी थी। पहला नाम एकनाथ शिंदे की गुट वाली शिवसेना और दूसरा नाम उद्धव ठाकरे की गुट वाली शिवसेना। अब इसी पर चुनाव आयोग ने फैसला लेते हुए यह निर्णय किया है कि अधिकारिक तौर पर एकनाथ शिंदे वाली गुट ही शिवसेना कहलाएगी और शिवसेना की अधिकारिक चुनाव चिन्ह पर भी इसी गुट का हक़ होगा।


क्या कहना है चुनाव आयोग का :
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने बीते दिन फैसला देते हुए कहा कि, "उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना मौजूदा संविधान के आधार पर अलोकतांत्रिक है। उद्धव ठाकरे वाली गुट ने बिना चुनाव कराए अपने लोगों को और अलोकतांत्रिक ढंग से पदाधिकारी भी नियुक्त किया। चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में पार्टी के संविधान को गुपचुप रूप से संशोधित कर दिया गया और इसे चुनाव आयोग को नहीं दिया गया जिससे यह पार्टी मानो निजी जागीर जैसी हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में ही नामंजूर कर चुका था। इसके बाद बाला साहब ठाकरे ने इससे लोकतांत्रिक नॉर्म्स को जोड़ा था। पार्टी की ऐसी संरचना अलोकतांत्रिक होती है और भरोसा जगाने में नाकाम रहती है। "

नंबर्स के आधार पर भी एकनाथ शिंदे आगे :
अगर आपको याद हो तो बीते वर्ष 2022 में एकनाथ शिंदे के बागी हो जाने के कारण शिवसेना दो गुटों में विभाजित हो गई थी। एकनाथ शिंदे के साथ 55 में से कुल 40 विधायक समर्थन में है, शिवसेना के 18 सांसदों में से 13 सांसदों का भी एकनाथ शिंदे को समर्थन प्राप्त है। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के पास ज्यादा नंबर होने का आधार बताते हुए भी इस गगुट को आधिकारिक रूप से पार्टी का नाम और पार्टी का चिन्ह दिया। 

क्या कहा संजय राउत ने :
एकनाथ शिंदे को आधिकारिक रूप से पार्टी का नाम और पार्टी का चिन्ह मिलने के बाद उद्धव ठाकरे के बड़बोले नेता संजय राउत ने सवाल उठाया है। संजय राउत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, "फिक्र की कोई बात नहीं है जनता उद्धव ठाकरे के साथ है। उन्होंने कहा है कि वह नए नाम और चिन्ह के साथ जनता के बीच जाएंगे और नई शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे।