जैसा की आप सबको पता है कोरोना वायरस अभी भी पूरे विश्व के लिए सर दर्द बना हुआ है और यह बीमारी अभी खासकर भारत के लिए काफी चिंताजनक का विषय है. किंतु हम आपको बता दें कि यह बीमारी आने वाले भविष्य में अमीर और गरीब के भेद के साथ एक बाधा बन सकती है. इसका ताजा उदाहरण एक स्टडी में सामने आया है. आपको बता दें कि, इस स्टडी के अनुसार कुछ चुनिंदा अमीर देश जिनकी इकोनॉमी काफी स्ट्रांग है वह संभावित रेस में आगे चल रही वैक्सीन कि आधे से अधिक खुराकों को को पहले ही अपने लिए खरीद चुके हैं, जिससे कि गरीब देशों को वक्त पर वैक्सीन ना मिलने का खतरा पैदा हो गया.
मात्र 13% आबादी के लिए बुक की जा चुकी है 51% से ज्यादा वैक्सीन :-
आपको बता दें कि ब्रिटेन के 'ऑक्सफैम' संगठन रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण में वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे चल रही पांच कंपनियां 5.9 अरब खुराक बनाएंगी. जिसके 51% खुराक को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, जापान, स्विट्जरलैंड और इजराइल ने पहले ही खरीद लिए हैं. इन सबके बीच सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इन तमाम देशों में विश्व भर के मात्र 13% लोग ही रहते हैं. वही बाकी 2.6 अरब खुराकों को भारत बांग्लादेश और चीन जैसे देश अपने लिए बुक कर चुके हैं.
इस मामले पर क्या कहना है विशेषज्ञों का:-
इस स्टडी पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑक्सफैम अमेरिका के रोबोट सिल्वरमैन ने कहा कि, एक जीवन रक्षक वैक्सीन तक पहुंच इस बात पर निर्भर नहीं करना चाहिए कि आप कहां रहते हैं और आपके पास कितना पैसा है. अगर वही हम बात करें यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वोन डर लेयेन की तो उन्होंने वैक्सीन राष्ट्रवाद के प्रति आगाह करते हुए कहा कि यह गरीब देशों में सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन से वंचित कर कई लोगो को खतरे में डाल सकता है.
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति पर निशाना साधते हुए वोन डर लेयेन ने कहा कि यूरोप ज्यादा न्यायसंगत तरीके से वैक्सीन के वितरण के लिए डब्ल्यूएचओ जैसे बहुपक्षीय संगठनों का समर्थन करेगा. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं होगा जब तक सभी लोग सुरक्षित नहीं हो जाते, चाहे हम विश्व के किसी भी कोने में कहीं भी रहते हो और हमारे पास कुछ भी हो.
अमेरिका ने लगभग हर आगे चल रही वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से कर रखा है सौदा :-
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका ने अपने लिए सबसे ज्यादा वैक्सीन खरीदे हैं और साथ ही साथ अमेरिका ने विश्व में आगे चल रही लगभग हर वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के साथ सौदा कर रखा है. ट्रंप चुनाव को देखते हुए 3 नवंबर से पहले ही वैक्सीन देने की प्रक्रिया पर जोर दे रहे हैं. ट्रंप अपने कई हालिया के बयान में कुछ ही हफ्तों में वैक्सीन उपलब्ध होने की बात भी कह चुके है. हालांकि विशेषज्ञ और डॉक्टरों का कहना है कि अगले साल ही बड़ी मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता हो सकेगी.
आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण में अगर वैक्सीन बनाने की कंपनियों की बात की जाए तो इसमें सबसे आगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की संभावित वैक्सीन सबसे आगे चल रही है, चूंकि इसी महीने के दूसरे सप्ताह में कुछ नेगेटिव लक्षण दिखने के कारण इस वैक्सीन के ट्रायल पर रोक लग गई थी. हालांकि एक बार फिर से इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल प्रारंभ हो चुका है और अगर यह वैक्सीन अपने हर तरह के ट्रायल को पास कर जाती है तो यह साल के अंत तक बाजार में आ सकती है.
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