Default Image

Months format

View all

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

404

Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist. Back Home

Ads Area

भारत के वह तीन जासूस जिन पर देश आज भी करता है गर्व , इनके जैसा ना कोई हुआ ना होगा

जासूस की जिंदगी फिल्मी पर्दे पर बहुत मजेदार और इंटरेस्टिंग दिखाई देती है पर असल जिंदगी में उनकी जिंदगी इतने ही खतरों से भरी होती है। एक अनजान देश में अनजान नाम के साथ अपने काम को करने वाले ये लोग हर पल पकड़े जाने के डर के साए में जीने के लिए मजबूर होते हैं। जिस तरह हमारे देश के फौजी हर वक्त बॉर्डर पर मुस्तैद रहकर देश की रक्षा करते हैं ठीक उसी तरह ये जासूस भी देश के लिए चौबीसों घंटे अपने मिशन को पूरा करने के लिए रहते हैं। दोस्तों आज हम आपको बताने वाले हैं ऐसे ही 3 जांबाजों की कहानी जिन्हें भारतीय इतिहास में सदा याद किया जाएगा। तो दोस्तों आइए बारी-बारी से जानते हैं कौन थे वो जांबाज और कैसे उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया।




सहमत खान:-
दोस्तों सहमत खान एक कश्मीरी मुस्लिम बिजनेसमैन की बेटी थी। सहमत खान ने भारत देश के लिए जासूसी जैसा खतरनाक काम चुना। इस महिला जासूस ने एक पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर से शादी की ताकि उनके पाकिस्तान जाने का रास्ता खुल सके और वह हमारी देश के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें। उन्होंने 1971 जंग के दौरान एक पाकिस्तानी ऑफिसर की बीवी बनकर भारत के लिए जरूरी जानकारी इकट्ठा की थी।आपको शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह महिला जासूस पाकिस्तान से वापस भारत भी आई और जब यह भारत पहुंची तब वे पाकिस्तानी ऑफिसर के बच्चे की मां बनने वाली थी। उनके पाकिस्तान में रहने के दौरान उन्हें उस पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर से प्यार हो गया था। गर्व की बात तो यह है दोस्तों की इस बहादुर महिला का बेटा भी आगे चलकर इंडियन आर्मी में भर्ती हुआ।


अजित डोभाल:-
अजीत डोभाल 30 मई 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हैं। ताजुक की बात तो यह है कि इनकी 33 साल के कैरियर में उन्होंने केवल 7 साल पुलिस यूनिफॉर्म पहनी है। दरअसल आईपीएस ऑफिसर फील्ड एजेंट नहीं बनते लेकिन उन्होंने देश के लिए कई अंडरकवर ऑपरेशन को अंजाम दिया है। जिसके बारे में सुनकर आपको गर्व महसूस होगा। ये जासूस के तौर पर 7 साल तक पाकिस्तानी मुस्लिम बनकर पाकिस्तान में रहे थे और भारत को इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन देते रहे। उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सौर वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया है।




रामेश्वर नाथ काव :-
अगर आज भारत के पास अपनी सुरक्षा के लिए रॉ जैसी शानदार एजेंसी है तो इसका श्रेय पूरी तरह से रामेश्वर नाथ काव को जाना चाहिए। मूल रूप से बनारस के रहने वाले काव ने अपने कैरियर की शुरुआत वेदर आईपीएस ऑफिसर से की। उसके बाद उन्होंने आगे चलकर साल 1969 में उस खुफिया एजेंसी की स्थापना की जो आगे चलकर रॉ कहलाई। काव की बनाई हुई इसी एजेंसी ने 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की कमर तोड़ कर रख दी थी। इनके बारे में कहा जाता था कि उनकी निजी जिंदगी इतनी खुफिया थी कि अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ दो बार फोटो में कैद हुए।



ऐसी तमाम खबर पढ़ने और वीडियो के माध्यम से देखने के लिए हमारे एप्प को अभी इनस्टॉल करे और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करे:-
  





आपकी इस समाचार पर क्या राय है,  हमें निचे टिपण्णी के जरिये जरूर बताये और इस खबर को शेयर जरूर करे। 


आपकी प्रतिक्रिया

खबर शेयर करें