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हरियाणा ही नहीं कई और मस्जिदों का कनेक्शन निकला पाकिस्तानी आतंकियों से



नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में, तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं उन मस्जिदों के बारे में जिसका कनेक्शन पाकिस्तानी आतंकियों से है या फिर हम कह सकते है कि इन मस्जिदों का निर्माण पाकिस्तानी आतंकियों के फंडिंग से हुआ है.
हरियाणा ही नहीं कई और मस्जिदों का कनेक्शन निकला पाकिस्तानी आतंकियों से

क्या है मामला:
जी हां दोस्तों आपने सही सुना हमने आपको कुछ दिन पहले हरियाणा के एक मस्जिद के बारे में बताया था जो कि पाकिस्तानी आतंकियों के फंडिंग से निर्माण किया गया था लेकिन भारत में ऐसे और भी मस्जिद हैं जिनका निर्माण पाकिस्तानी आतंकियों के फंड से किया गया है. इस्लामिक आतंकी डाल लश्कर के पैसे से हरियाणा के पलवल में मस्जिद बनाने के मामले का खुलासा होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए थे जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि देश के और भी कई हिस्सों में इसी तर्ज पर आतंकवादी संगठनों के पैसे का इस्तेमाल करके स्थानीय नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है.पलवल की मस्जिद में हाफिज सईद से मिले पैसे का खुलासा करने के बाद एनआईए ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाने पर विचार किया है.




एनआईए की रिपोर्ट:
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक आतंकी फंड से मस्जिद बनाने का मामला मात्र हरियाणा के पलवल तक ही सीमित नहीं है, एनआईए ने अपना जांच का दायरा बढ़ाया है जिसमें अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिले शामिल हुए हैं और एजेंसी को शक है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा और भी कई ऐसे राज्य हैं जहां पर अवैध तरीके से आतंकियों के पैसे से मस्जिद का निर्माण किया गया है और वो राज्य बिहार ,उत्तराखंड ,जम्मू कश्मीर और केरल हो सकते हैं क्योंकि इन जगहों पर पहले पाकिस्तानी आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.




क्यूं है एनआईए को संदेह :
पिछले कुछ सालों से देश के कई हिस्सों अचानक बड़ी-बड़ी मस्जिद नुमा इमारतों या मदरसे खड़े होते हुए दिखे हैं और यह जरूरी नहीं है कि ऐसी हर इमारत का संबंध आतंकी संगठनों से हो लेकिन अचानक इस तरह की इमारतों की बहुतायत संदेह जरूर पैदा करती है. इसलिए खुफिया विभाग इस तरह की इमारतों के लिए जमा की गई फंडिंग की जांच में जुट गई है इसके अलावा एक और सनसनीखेज खबर यह भी है कि सोशल मीडिया के जरिए कट्टरता फैलाने की कोशिश भी लगातार जारी है, जिससे आतंकी संगठनों का जमीनी कैडर तैयार किया जा सके इसके लिए भी हवाला के जरिए फंडिंग की जा रही है.




संपादक : विशाल कुमार सिंह


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