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विश्लेषण : कांग्रेस दफ्तर पर हमले को लेकर बिहार की सियासत में घमासान

दरभंगा में कांग्रेस नेता मोहम्मद नौशाद के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली दिए जाने के बाद बिहार की राजनीति अचानक उफान पर आ गई है। भाजपा कार्यकर्ता शुक्रवार की सुबह पटना में सड़कों पर उतर आए और सदाकत आश्रम स्थित कांग्रेस दफ्तर पर धावा बोल दिया। इस घटना ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है और पूरे देशभर में बहस छेड़ दी है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने दफ्तर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ की, वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम की मां का अपमान करने के बाद उनका आक्रोश स्वाभाविक है।

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घटना की शुरुआत : दरभंगा में हुआ विवादित बयान

पूरे विवाद की जड़ दरभंगा की एक रैली से जुड़ी है जहां विपक्षी महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा निकाली गई थी। इस रैली में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मंच पर मौजूद थे। इसी दौरान कांग्रेस नेता मोहम्मद नौशाद के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया। इस बयान ने न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं को बल्कि पूरे हिंदू समाज को आहत किया। अगले ही दिन इसका विरोध तेज हो गया और आरोपी रिजवी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन भाजपा का गुस्सा शांत नहीं हुआ और पटना में कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए।

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पटना में विरोध मार्च की शुरुआत

शुक्रवार को भाजपा कार्यकर्ता पटना की सड़कों पर उतरे। कुर्जी अस्पताल से सदाकत आश्रम तक विरोध मार्च निकाला गया जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री नितिन नबीन तथा संजय सरावगी भी शामिल थे। मार्च शुरू में शांतिपूर्ण ढंग से चला लेकिन जैसे ही यह कांग्रेस दफ्तर के करीब पहुंचा, माहौल बिगड़ने लगा। नारेबाजी हुई और दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़पें शुरू हो गईं। इस बीच आक्रोशित भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस दफ्तर के अंदर घुस गए और वहां तोड़फोड़ की।

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सदाकत आश्रम में मचा बवाल

भाजपा कार्यकर्ताओं के अंदर घुसते ही कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई। दोनों ओर से लाठियां और डंडे चले। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने दफ्तर में खड़े ट्रक और तीन गाड़ियों के शीशे फोड़ दिए। करीब 15 कर्मचारी उस समय दफ्तर में मौजूद थे, जिन्होंने विरोध करने की कोशिश की। लेकिन भिड़ंत इतनी उग्र हो गई कि कई लोग घायल हो गए। कांग्रेस का कहना है कि पत्थरबाजी और डंडों से उनके कई नेताओं और कर्मचारियों को चोटें आई हैं।

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कांग्रेस के गंभीर आरोप

कांग्रेस ने इस घटना को भाजपा की सोची-समझी साजिश बताया है। उनका कहना है कि मंत्री और उनके बॉडीगार्ड्स भी हमले में शामिल थे। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही और भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास नहीं किया। कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके सेवादल के कार्यालय मंत्री विपिन झा और पूर्व जिलाध्यक्ष परवेज अहमद पर हमला किया, जिससे उनका सिर फट गया। इसके अलावा कई कर्मचारियों की भी पिटाई की गई।

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भाजपा का पलटवार

भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया। मंत्री संजय सरावगी का कहना है कि यह कांग्रेस की गंदी राजनीति का नतीजा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देना बेहद शर्मनाक और असहनीय है। जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया तो कांग्रेसियों ने ही पत्थरबाजी शुरू कर दी। भाजपा का दावा है कि उनके कई कार्यकर्ता घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भाजपा का कहना है कि यह हमला कांग्रेस की गुंडागर्दी का सबूत है।

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पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस पूरी घटना के बाद पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मौके पर चार-पांच पुलिसकर्मी मौजूद थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। जबकि भाजपा का कहना है कि पुलिस ने देर से पहुंचकर हालात को संभालने की कोशिश की। इस घटना ने बिहार पुलिस की निष्पक्षता और तत्परता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर पुलिस समय रहते इस भिड़ंत को क्यों नहीं रोक सकी और क्यों मूकदर्शक बनी रही।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और बयानबाजी

घटना के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस ने भाजपा पर लोकतंत्र और कानून व्यवस्था की हत्या करने का आरोप लगाया। वहीं भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस अपने नेताओं की गालीबाजी छुपाने के लिए झूठे आरोप लगा रही है। जदयू और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि बिहार की राजनीति हिंसा की ओर बढ़ रही है। राजनीतिक गलियारों में इस घटना को लेकर तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।

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जनता की प्रतिक्रिया और माहौल

इस विवाद का असर आम जनता पर भी पड़ा है। लोग सोशल मीडिया पर इस घटना पर खुलकर अपनी राय दे रहे हैं। कुछ लोग भाजपा की कार्रवाई को उचित बता रहे हैं और कह रहे हैं कि मां का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है और भाजपा को कानून के दायरे में रहकर विरोध करना चाहिए था। जनता के बीच माहौल बेहद गरम है और लोग राजनीतिक दलों से जवाब मांग रहे हैं।

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लोकतंत्र और राजनीति पर असर

यह घटना केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच की भिड़ंत नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र और राजनीति की दिशा पर भी सवाल खड़े करती है। क्या राजनीति अब गाली-गलौज और हिंसा तक सीमित रह जाएगी? क्या नेताओं और कार्यकर्ताओं को जनता की समस्याओं से ज्यादा ऐसे विवादों में रुचि है? इस घटना ने साफ कर दिया है कि भारतीय राजनीति में मर्यादा और संयम की कमी होती जा रही है। ऐसे में लोकतंत्र की असली भावना खतरे में पड़ती दिख रही है।

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आगे की राह और संभावित असर

इस घटना के बाद बिहार की राजनीति और भी गरम होने वाली है। कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। वहीं भाजपा नेताओं ने साफ कहा है कि यदि कांग्रेस माफी नहीं मांगती तो उनका आंदोलन और तेज होगा। यह विवाद आने वाले चुनावों पर भी असर डाल सकता है। जनता के बीच इस घटना ने गहरी छाप छोड़ी है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए बड़ा हथियार बन सकता है।

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