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विश्लेषण, एयर इंडिया विमानों की तकनीकी गड़बियों पर सवाल:

हाल ही में एयर इंडिया के 787-8 ड्रीमलाइनर विमानों में तकनीकी समस्याओं की एक कड़ी देखने को मिली है, जिसने विमानन सुरक्षा मानकों और एयरलाइन की परिचालन प्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। 12 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली एक एयर इंडिया की फ्लाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है। इस लेख में हम 7 जून को हुई एक और घटना समेत हाल के दिनों में हुई सभी तकनीकी त्रुटियों और उनके प्रभावों की विस्तार से चर्चा करेंगे।


🔶 7 जून की घटना: एआई 143 की तकनीकी गड़बड़ी और पायलट की सूझबूझ

7 जून 2025 को एयर इंडिया की उड़ान AI 143 (787-8 ड्रीमलाइनर) दिल्ली से पेरिस के लिए रवाना हुई थी। उड़ान के दौरान विमान में इलेक्ट्रिकल सिस्टम में गड़बड़ी और केबिन में जलने की गंध महसूस की गई। स्थिति को भांपते हुए पायलट ने समझदारी से निर्णय लेते हुए विमान को यूएई के शारजाह एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करवाई।

शारजाह में शुरुआती मरम्मत के बाद, विमान को सुरक्षित रूप से दिल्ली वापस लाया गया। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम बात यह रही कि पायलट ने समय रहते सही निर्णय लिया, जिससे यात्रियों की जान बच सकी। यह घटना भले ही दुर्घटना में तब्दील नहीं हुई, पर इसने ड्रीमलाइनर विमानों की सुरक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है।


🔶 12 जून: अहमदाबाद विमान हादसा—एक भयावह त्रासदी

12 जून को एयर इंडिया की एक और फ्लाइट, जो अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई, ने पूरे देश को झकझोर दिया। यह विमान BJ मेडिकल कॉलेज के छात्रावास की इमारत पर आ गिरा। इस हादसे में 133 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें कई मेडिकल छात्र भी शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार, यह विमान टेक-ऑफ के 5 मिनट के भीतर ही अपने नियंत्रण से बाहर हो गया था। दुर्घटना से पहले विमान ने 625 फीट की अधिकतम ऊंचाई ली थी और फिर 475 फीट प्रति मिनट की दर से गिरने लगा। पायलट ने 'Mayday' सिग्नल भेजा था, लेकिन कुछ ही देर बाद नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया।

इस हादसे में पूर्व गुजरात मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे, जिनकी मृत्यु की भी पुष्टि हो चुकी है।


🔶 ड्रीमलाइनर 787-8 विमान: तकनीकी खूबियों और खामियों की पड़ताल

बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक, फ्यूल-एफिशिएंट विमान है जिसे लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का अधिक प्रयोग किया जाता है, जो इसके हल्के वजन और उच्च दक्षता का कारण बनता है। लेकिन यही अत्यधिक इलेक्ट्रॉनिक निर्भरता तकनीकी विफलताओं की वजह भी बन सकती है।

भारत में एयर इंडिया के पास 27 ड्रीमलाइनर विमान हैं, जिनमें से कई की हालत में सुधार की आवश्यकता है। पुराने उपकरणों की मरम्मत, सॉफ्टवेयर अपडेट की देरी और तकनीकी निरीक्षण में ढिलाई जैसे मुद्दे आए दिन सामने आते हैं।


🔶 लगातार तकनीकी गड़बड़ियाँ: महज़ इत्तेफाक या लापरवाही?

AI 143 और अहमदाबाद हादसे को देखने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या ये महज़ संयोग हैं, या एयर इंडिया के भीतर कोई गहरी तकनीकी और प्रबंधन संबंधी समस्या है?

पिछले कुछ महीनों में एयर इंडिया की कई उड़ानों में निम्नलिखित समस्याएँ दर्ज की गई हैं:

  • मार्च 2025: मुंबई से लंदन जा रही उड़ान में हाइड्रोलिक सिस्टम फेल हुआ था।
  • अप्रैल 2025: कोलकाता से बैंकॉक जा रही फ्लाइट में इंजन में कंपन महसूस किया गया।
  • मई 2025: एक घरेलू उड़ान में ऑक्सीजन मास्क समय पर न खुलने की शिकायत दर्ज हुई।

इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि एयर इंडिया के विमानों की नियमित तकनीकी जांच और रखरखाव में ढिलाई बरती जा रही है।


🔶 DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की भूमिका

भारत की विमानन नियामक संस्था DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) का दायित्व है कि सभी विमानों की नियमित तकनीकी जांच हो और उड़ान से पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं से DGCA की निगरानी व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

अब समय आ गया है कि DGCA को एयर इंडिया के विमानों की विशेष ऑडिट करनी चाहिए, विशेषकर 787-8 ड्रीमलाइनर बेड़े की। इसके साथ ही एयरलाइन के रखरखाव कर्मियों और अभियंताओं की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए।


🔶 यात्रियों की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए

हवाई यात्रा को आम जनता तक सुलभ बनाने के लिए जितने प्रयास हो रहे हैं, उसमें सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यात्रियों की सुरक्षा किसी भी ब्रांड, प्रतिष्ठा या लाभ से अधिक महत्वपूर्ण है।

दुर्भाग्य से, भारत में विमानन सुरक्षा को लेकर अक्सर तब ही गंभीरता दिखाई जाती है जब कोई बड़ी दुर्घटना घटित होती है। अहमदाबाद की घटना ने हमें एक बार फिर चेताया है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए, तो यह सिलसिला और भी भयावह रूप ले सकता है।


🔶 निष्कर्ष

एयर इंडिया के 787-8 ड्रीमलाइनर विमानों में हाल की घटनाएँ भारतीय विमानन सुरक्षा प्रणाली के लिए एक बड़े अलार्म की तरह हैं। 7 जून की घटना में पायलट की सूझबूझ से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन 12 जून को वही किस्मत अहमदाबाद के यात्रियों और मेडिकल छात्रों के साथ नहीं थी।

अब जरूरत है:

  • एक स्वतंत्र तकनीकी जांच समिति गठित की जाए।
  • एयर इंडिया के बेड़े का पूर्ण निरीक्षण किया जाए।
  • पायलटों और तकनीकी कर्मचारियों का फिर से प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए।
  • DGCA की निगरानी प्रणाली को स्वतंत्र और पारदर्शी बनाया जाए।

जब तक हम सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक "ड्रीमलाइनर" एक डरावना सपना बना रहेगा।