29 मई 2025 को उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा क्षेत्र में इतिहास रच दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में एक साथ पांच मेगा थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन कर देश को "ऊर्जा आत्मनिर्भरता" की दिशा में एक और मजबूत कदम दिलवाया। इन परियोजनाओं की कुल लागत ₹44,000 करोड़ से अधिक है, जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश की बिजली ज़रूरतों को पूरा करेंगी, बल्कि देशभर में औद्योगिक विकास को भी रफ्तार देंगी।
ऐतिहासिक उपलब्धि: एक दिन में पांच थर्मल पावर प्लांट्स का उद्घाटन
ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी एक राज्य में एक ही दिन में पांच मेगा थर्मल पावर प्लांट्स का उद्घाटन हुआ है। ये पांच परियोजनाएं उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों — एटा, कानपुर, सोनभद्र और बुलंदशहर — में फैली हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए उद्घाटन में निम्नलिखित पावर प्लांट्स शामिल हैं:
- 🔹 जवाहरपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एटा) – 2×660 मेगावाट – ₹14,628 करोड़
- 🔹 घाटमपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (कानपुर) – 1×660 मेगावाट – ₹9,300 करोड़
- 🔹 पंकी थर्मल पावर प्रोजेक्ट (कानपुर) – 1×660 मेगावाट – ₹8,300 करोड़
- 🔹 ओबरा-सी थर्मल प्रोजेक्ट (सोनभद्र) – 2×660 मेगावाट – ₹6,502 करोड़
- 🔹 खुर्जा थर्मल पावर प्रोजेक्ट (बुलंदशहर) – 2×660 मेगावाट – ₹5,544 करोड़
इन सभी परियोजनाओं से उत्तर प्रदेश की कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 3960 मेगावाट की वृद्धि होगी।
उत्तर प्रदेश की ऊर्जा ज़रूरतें और इन परियोजनाओं का महत्व
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और यहां औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में राज्य को औसतन 24,000 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, लेकिन उत्पादन इससे काफी कम रहा है।
इन नई परियोजनाओं से न सिर्फ राज्य की बिजली कमी दूर होगी, बल्कि:
- 24x7 बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लाइट और सिंचाई सुविधा को मजबूती मिलेगी।
- उद्योगों के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- बेरोजगारी में कमी आएगी क्योंकि इन परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव से हजारों लोगों को रोज़गार मिलेगा।
प्रोजेक्ट्स का विस्तृत विश्लेषण
1. जवाहरपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट – एटा (₹14,628 करोड़)
यह उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL) की सबसे बड़ी थर्मल परियोजनाओं में से एक है। 2×660 मेगावाट की यह इकाई अत्याधुनिक सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है, जो अधिक दक्षता और कम उत्सर्जन सुनिश्चित करती है। यह प्रोजेक्ट न केवल एटा बल्कि आसपास के जिलों जैसे मैनपुरी, कासगंज और फर्रुखाबाद को भी लाभान्वित करेगा।
2. घाटमपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट – कानपुर (₹9,300 करोड़)
यह परियोजना नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त सहयोग से शुरू की गई है। 660 मेगावाट की यह यूनिट दक्षिणी उत्तर प्रदेश की बिजली ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगी।
3. पंकी थर्मल पावर प्रोजेक्ट – कानपुर (₹8,300 करोड़)
पंकी पावर हाउस का इतिहास 1960 के दशक से जुड़ा है, लेकिन अब इसे अत्याधुनिक सुपर क्रिटिकल तकनीक के साथ पुनर्निर्मित किया गया है। यह थर्मल प्लांट कानपुर के औद्योगिक क्षेत्र की रीढ़ बनेगा।
4. ओबरा-सी थर्मल प्रोजेक्ट – सोनभद्र (₹6,502 करोड़)
सोनभद्र पहले से ही "ऊर्जा का कटोरा" कहा जाता है, और ओबरा-सी परियोजना से इस पहचान को और मजबूती मिलेगी। 2×660 मेगावाट की यह परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों की भी बिजली आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।
5. खुर्जा थर्मल पावर प्रोजेक्ट – बुलंदशहर (₹5,544 करोड़)
यह परियोजना दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की बिजली आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। खुर्जा प्लांट से उत्पन्न बिजली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाज़ियाबाद जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति की जाएगी।
पर्यावरण और तकनीकी पक्ष
इन परियोजनाओं में आधुनिक पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखा गया है:
- सभी प्लांट्स में सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है जो पारंपरिक प्लांट्स की तुलना में कम कोयले की खपत करती है और उत्सर्जन भी कम होता है।
- फ्लाई ऐश प्रबंधन, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स और डस्ट कलेक्शन सिस्टम्स जैसी तकनीकों को शामिल किया गया है।
- सौर ऊर्जा और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हाइब्रिड मोड का विचार भी इन परियोजनाओं में शामिल है।
रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान
इन परियोजनाओं से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिला है और आगे भी मिलेगा। निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय श्रमिकों को काम मिला, वहीं संचालन और रखरखाव के लिए इंजीनियर, तकनीशियन और प्रबंधकीय कर्मियों की आवश्यकता होगी।
साथ ही, बिजली की निर्बाध आपूर्ति से राज्य में नए उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तीव्रता आएगी और राजस्व में वृद्धि होगी।
राजनीतिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में कहा,
"उत्तर प्रदेश अब अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ रहा है। हमारी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बिजली को एक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है। ये परियोजनाएं न सिर्फ ऊर्जा उत्पादन बढ़ाएंगी, बल्कि ‘विकसित भारत’ की नींव भी मजबूत करेंगी।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन परियोजनाओं को "न्यू इंडिया की ऊर्जा रीढ़" बताया और कहा कि अब यूपी ऊर्जा निर्यातक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है।
निष्कर्ष: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
इन पांच मेगा थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक कदम है। यह दिखाता है कि किस तरह योजनाबद्ध तरीके से, तकनीकी दक्षता और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ, भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का विजन "24x7 बिजली, हर घर तक" अब एक वास्तविकता बनती दिख रही है। यह आयोजन सिर्फ एक ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन नहीं था — यह उस सपने का पहला पड़ाव है जिसमें हर नागरिक को, हर गांव को, हर उद्योग को ऊर्जा का अटूट संबल मिले।