अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में कैपिटल यहूदी म्यूज़ियम के बाहर अज्ञात हमलावर ने "फ्री फिलिस्तीन" चिल्लाते हुए गोलीबारी की, जिसमें इज़राइली दूतावास के दो कर्मचारियों की मौत हो गई।
ट्रंप साहब, ये आतंकवाद है न? या फिर यहां भी आप अपनी डिप्लोमेसी दिखाएंगे? सीआईए और फिलिस्तीन के बीच मध्यस्थता करेंगे क्या? जब भारत कश्मीर में आतंक से जूझता है, तो अमेरिका से "ह्यूमन राइट्स" का पाठ पढ़ाया जाता है।
अब जब आपके ही देश की राजधानी में यह सब हो रहा है, तो क्या करेंगे ट्रंप साहब? दुनिया देख रही है, दोहरे मापदंड कब तक? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा हो रही है, लेकिन क्या अमेरिका अपने ही घर में फैलते कट्टरवाद को रोकेगा?
भारत को ज्ञान देने वालों का अब खुद का आइना देखना ज़रूरी है।