उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का एक नया और चिंताजनक रूप देखने को मिल रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, ईसाई मिशनरियाँ लालच और धन के जरिए मुस्लिम परिवारों को ईसाई बना रही हैं। यह सिलसिला श्रावस्ती, सीतापुर, अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर जैसे जिलों में तेजी से फैल रहा है। कई मुस्लिम परिवार अब मस्जिदों से दूरी बना रहे हैं और उनके घरों में ईसा मसीह की तस्वीरें लग चुकी हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ इस बढ़ते धर्मांतरण को लेकर सतर्क हो गई हैं और सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
1. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का नया रूप
उत्तर प्रदेश में अब तक हिंदुओं को ईसाई या मुस्लिम बनाने के मामले सामने आते रहे थे, लेकिन अब मुस्लिमों को ईसाई बनाने का खेल भी शुरू हो गया है। मिशनरियों द्वारा लालच, ब्लैकमेलिंग और अन्य प्रलोभनों के जरिए मुस्लिम परिवारों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में एजेंटों को मोटी रकम दी जाती है, जिससे यह पूरा नेटवर्क तेज़ी से फैल रहा है।
इसके तहत यदि कोई मुस्लिम परिवार ईसाई धर्म अपनाता है, तो एजेंट को 20,000 रुपये दिए जाते हैं। इसी तरह, यदि कोई मुस्लिम लड़की अपना धर्म बदलकर ईसाई युवक से विवाह करती है, तो एजेंट को 15,000 रुपये का अतिरिक्त बोनस मिलता है। यह खेल गाँव-गाँव तक फैल चुका है और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आसानी से इनके झांसे में आ रहे हैं।
2. किन जिलों में सबसे ज्यादा मामले सामने आए?
हाल ही में श्रावस्ती, सीतापुर, अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर में कई धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं। फरवरी 2025 में सीतापुर के हरगाँव और सिधौली इलाकों में छह मुस्लिम परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया। वहीं, अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर में 10 मुस्लिम परिवारों ने इसाई धर्म स्वीकार किया।
इन परिवारों में अब पारंपरिक इस्लामी रीति-रिवाजों में कमी देखने को मिल रही है। इनमें से कई युवा अब दाढ़ी नहीं रखते, महिलाएँ चर्चों से जुड़ रही हैं और बच्चों को मदरसों की जगह ईसाई मिशनरी स्कूलों में भेजा जा रहा है। यह धार्मिक परिवर्तन मुस्लिम समुदाय के लिए एक नई चुनौती बन चुका है।
3. हवाला के जरिए धर्मांतरण को बढ़ावा
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, इस धर्मांतरण के पीछे हवाला नेटवर्क का बड़ा हाथ है। चर्चों और बड़े मिशनरी स्कूलों से मोटी रकम भेजी जा रही है, जिसे एजेंट गाँवों में फैलाकर लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे हैं।
इसके लिए हर जिले में अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, प्रयागराज में सबसे अधिक 443 सक्रिय टीमें कार्यरत हैं। इसके अलावा, महराजगंज में 398, बहराइच में 378, श्रावस्ती में 320, बलरामपुर में 330 और गोंडा में 340 टीमें सक्रिय हैं। यह नेटवर्क लगातार विस्तृत होता जा रहा है।
4. अयोध्या समेत अन्य संवेदनशील इलाकों में धर्मांतरण का विस्तार
धर्मांतरण का नेटवर्क अब अयोध्या तक भी पहुँच चुका है। प्रभु श्रीराम की नगरी में 333 टीमें सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इसके अलावा, अंबेडकरनगर में 347, सीतापुर में 326, सिद्धार्थनगर में 345, अमेठी में 317, रायबरेली में 323 और पीलीभीत में 346 टीमें मिशनरी गतिविधियों में संलिप्त बताई जा रही हैं।
नेपाल सीमा से सटे जिलों, जैसे श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर और गोंडा, में धर्मांतरण की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। इन इलाकों को सरकार ने संवेदनशील घोषित कर दिया है, और पुलिस को हर संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
5. मुस्लिम समाज में बदलाव के संकेत
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने वाले कई मुस्लिम परिवार अब जुमे की नमाज नहीं पढ़ते और उनके बच्चे मदरसों की जगह कान्वेंट स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं। महिलाएँ मिशनरी संस्थाओं से जुड़कर काम कर रही हैं, जिससे उनके आर्थिक हालात भी बदल रहे हैं।
आईबी के पूर्व अधिकारी सतीश सिंह के अनुसार, मुस्लिम परिवारों के ईसाई बनने का पहला मामला 2020 में पीलीभीत जिले में सामने आया था। इसके बाद, महाराजगंज और सिद्धार्थनगर जिलों में भी ऐसे ही कुछ परिवारों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। हालांकि, इन परिवारों के सदस्यों ने अपने नाम नहीं बदले, जिससे वे सामाजिक पहचान को बनाए रख सकें।
6. पुलिस और खुफिया एजेंसियों की सतर्कता
धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को देखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। श्रावस्ती में हाल ही में एक प्रार्थना सभा के दौरान एक एजेंट फरार हो गया, जिसके बाद जाँच और तेज कर दी गई।
सरकार द्वारा बनाए गए सख्त धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बावजूद, ये मिशनरी संगठन अपने काम को जारी रखे हुए हैं। गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर वे अपने नेटवर्क को और मजबूत कर रहे हैं। आईजी अमित पाठक ने बताया कि चारों जिलों के एसपी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि धर्मांतरण के हर मामले की गहन जाँच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का यह नया रूप एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। ईसाई मिशनरियाँ संगठित तरीके से मुस्लिम परिवारों को अपने धर्म में शामिल कर रही हैं। गरीबी, शिक्षा की कमी और आर्थिक लाभ का लालच देकर भोले-भाले लोगों को फंसाया जा रहा है।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ इस मुद्दे पर सतर्क हैं, लेकिन मिशनरियों का नेटवर्क लगातार फैलता जा रहा है। समाज के हर वर्ग को इस विषय पर जागरूक होने की जरूरत है ताकि धर्मांतरण के इस खेल को रोका जा सके।
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