पाकिस्तान का क्रिकेट, राजनीति और सेना से रिश्ता हमेशा विवादों से घिरा रहा है। यह देश खेल को केवल एक खेल की तरह नहीं देख पाता, बल्कि उसमें धर्म, राजनीति, कश्मीर और सेना की दखलंदाजी करना अपनी आदत बना चुका है। हाल ही में पाकिस्तानी क्रिकेटर अबरार अहमद ने एक बार फिर यही साबित किया।
1 मार्च 2025 को अबरार अहमद ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह चाय का कप हाथ में लिए मुस्कुरा रहे हैं और कैप्शन में लिखा है – "फैंटास्टिक टी"। यह पोस्ट पाकिस्तान के इतिहास की एक बेहद कड़वी याद को ताजा कर देती है। यह मज़ाक सिर्फ एक चाय से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसके पीछे भारत और पाकिस्तान के बीच की कई ऐतिहासिक घटनाओं की छाया है।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने क्रिकेट के माध्यम से भारत का अपमान करने की कोशिश की है। लेकिन यह पोस्ट एक खास वजह से विवादित है। अबरार अहमद का यह कदम 2019 के उस ऐतिहासिक दिन की याद दिलाता है जब भारत ने पाकिस्तान को मजबूर किया था कि वह भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा करे।
अभिनंदन वर्धमान और पाकिस्तान की हार
फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक की। इस हमले में पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। इस हमले के बाद पाकिस्तान बौखला गया और उसने भारतीय सीमा में घुसने की नाकाम कोशिश की। इस दौरान भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया, लेकिन उनका मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वह पाकिस्तान के कब्जे में आ गए।
पाकिस्तान ने उन्हें पकड़ लिया, लेकिन कुछ घंटों बाद ही भारत के दबाव और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के चलते पाकिस्तान को अभिनंदन को बिना किसी शर्त के रिहा करना पड़ा। जब वह पाकिस्तान की हिरासत में थे, तब एक वीडियो में दिखाया गया कि अभिनंदन चाय पी रहे हैं और जब उनसे पूछा गया कि चाय कैसी है, तो उन्होंने जवाब दिया – "चाय बहुत शानदार है" (The tea is fantastic)। यही बात पाकिस्तान के लिए हमेशा एक कड़वी याद बनी रही।
1 मार्च 2019 को पाकिस्तान ने मजबूरी में अभिनंदन को भारत को सौंप दिया। यह दिन पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का प्रतीक बन गया, और शायद इसी दर्द को कम करने के लिए पाकिस्तानी क्रिकेटर अबरार अहमद ने 1 मार्च 2025 को उसी चाय का जिक्र करते हुए अभिनंदन का मजाक उड़ाने की कोशिश की।
क्रिकेट और पाकिस्तान की राजनीति
अगर केवल क्रिकेट की बात करें, तो यह खेल दुनिया भर में एक भावना, एक जुनून और एक खेल भावना का प्रतीक है। लेकिन पाकिस्तान की खासियत है कि वह क्रिकेट में भी राजनीति, धर्म और नफरत को शामिल कर देता है।
- जब पाकिस्तान भारत से कोई मैच जीतता है, तो वह इसे "इस्लाम की जीत" बताने से नहीं चूकता।
- जब पाकिस्तान हारता है, तो वहां के कट्टरपंथी अपने ही खिलाड़ियों को धमकाने लगते हैं।
- क्रिकेट में हिंदू खिलाड़ियों को निशाना बनाया जाता है, और भारतीय खिलाड़ियों के खिलाफ नफरत भरी बयानबाजी आम बात बन चुकी है।
पाकिस्तानी क्रिकेटरों का व्यवहार खेल की गरिमा को कम करता है। उनकी हरकतें दर्शाती हैं कि वे सिर्फ खेल खेलने नहीं आते, बल्कि उसमें भारत के खिलाफ जहर घोलने की कोशिश करते हैं।
एक और "फैंटास्टिक टी" – लेकिन बेहद महंगी!
अब आइए एक और "फैंटास्टिक टी" की कहानी पर। यह चाय सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि कीमत में भी अनोखी थी।
हम बात कर रहे हैं 1971 के भारत-पाक युद्ध की। उस समय पाकिस्तानी सेना के जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने भी एक चाय पी थी। लेकिन वह चाय इतनी महंगी थी कि उसकी कीमत पाकिस्तान को 93,000 सैनिकों के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश की आज़ादी के रूप में चुकानी पड़ी।
16 दिसंबर 1971 – पाकिस्तान का काला दिन
1971 में पाकिस्तान ने अपने ही देश के पूर्वी हिस्से में (जो आज बांग्लादेश है) जुल्म की सारी हदें पार कर दीं। लाखों निर्दोष बंगालियों को मारा गया, महिलाओं के साथ अत्याचार किए गए। यह नरसंहार देखकर भारत चुप नहीं बैठा और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।
16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने ढाका में पाकिस्तान को पूरी तरह घेर लिया। उस दिन पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाज़ी को भारत के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा।
- नियाज़ी ने आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए।
- 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने हथियार डाल दिए।
- बांग्लादेश एक नया स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
इसके बाद एक तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई – जनरल नियाज़ी भारतीय सेना के अधिकारियों के साथ बैठकर चाय पी रहे थे।
यह चाय इतिहास की सबसे महंगी चाय थी। इस चाय की कीमत पाकिस्तान ने अपना आधा देश खोकर चुकाई।
इतिहास से सबक क्यों नहीं सीखता पाकिस्तान?
पाकिस्तान के लिए इतिहास सबक लेने का मौका देता है, लेकिन वहां की सेना, सरकार और क्रिकेटर बार-बार वही गलतियां दोहराते हैं।
- 1971 में नियाज़ी ने चाय पी और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया।
- 2019 में अभिनंदन ने चाय पी और पाकिस्तान को मजबूरी में उन्हें रिहा करना पड़ा।
- 2025 में अबरार अहमद ने चाय पी और अपनी नासमझी को फिर से जाहिर कर दिया।
इतिहास ने यह सिखाया है कि भारत के खिलाफ साजिशें रचने से पाकिस्तान को केवल नुकसान ही हुआ है। लेकिन पाकिस्तानी क्रिकेटरों और नेताओं की सोच इतनी छोटी है कि वे बार-बार भारत से हारने के बावजूद उससे टकराने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं।
निष्कर्ष
अबरार अहमद की पोस्ट सिर्फ एक मजाक नहीं, बल्कि पाकिस्तान की खोखली मानसिकता को दर्शाती है। पाकिस्तान के लिए चाय का इतिहास शर्मिंदगी से भरा हुआ है –
- एक चाय ने पाकिस्तान को 93,000 सैनिकों का आत्मसमर्पण कराया।
- दूसरी चाय ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने पर मजबूर किया।
- अब तीसरी चाय सिर्फ पाकिस्तान की सोच की संकीर्णता को उजागर कर रही है।
अगर पाकिस्तान को अपनी असली हार का अंदाज़ा नहीं है, तो उसे अपने इतिहास की किताबें फिर से पढ़नी चाहिए। वरना आने वाले समय में पाकिस्तान को एक और "फैंटास्टिक टी" पीनी पड़ सकती है, जिसकी कीमत उसे फिर किसी बड़ी हार के रूप में चुकानी पड़ेगी।