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नागपुर दंगा: औरंगजेब की कब्र के चारों ओर टिन और तार की बाड़ लगाई गई

नागपुर में हुए दंगे का बांग्लादेशी कनेक्शन सामने आया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि बांग्लादेश के सोशल मीडिया अकाउंट्स से मुस्लिम समुदाय को भड़काने का काम किया गया था। अब तक 97 ऐसे अकाउंट्स की पहचान हो चुकी है, जिनमें से अधिकतर बांग्लादेशी IP एड्रेस से संचालित हो रहे थे। इस हिंसा में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए, और 84 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस ने अब तक 140 आपत्तिजनक पोस्ट हटाई हैं और 10 एफआईआर दर्ज की हैं। इस लेख में हम इस दंगे के हर पहलू की विस्तार से चर्चा करेंगे।


बांग्लादेशी सोशल मीडिया अकाउंट्स से फैलाई गई हिंसा

नागपुर दंगे में एक बड़ा खुलासा हुआ है—हिंसा फैलाने के पीछे बांग्लादेश के सोशल मीडिया अकाउंट्स का हाथ था। महाराष्ट्र साइबर सेल की जांच में पाया गया कि बांग्लादेश से सैकड़ों पोस्ट की गई थीं, जिनमें मुस्लिम समुदाय को दंगे भड़काने के लिए उकसाया गया था। पुलिस ने अब तक 97 ऐसे अकाउंट्स की पहचान कर ली है, जिनमें से 34 के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।

इन सोशल मीडिया अकाउंट्स से झूठी अफवाहें फैलाई गईं, जिनमें कहा गया कि नागपुर में कुरान का अपमान किया गया है। इस अफवाह के फैलते ही इलाके में मुस्लिम भीड़ इकट्ठी हो गई और देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी। इस दौरान पुलिस ने हालात को काबू में लाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उन पर भी हमला कर दिया। इस हिंसा में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें एक डीसीपी भी शामिल थे, जिन पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया था।

पुलिस ने इन सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 140 से अधिक आपत्तिजनक पोस्ट हटाई हैं। इसके अलावा, 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, यह मामला यहीं खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि पुलिस अब भी अन्य संदिग्धों की तलाश में जुटी हुई है।


हिंसा का मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान गिरफ्तार

नागपुर दंगे में मुख्य आरोपी फहीम शमीम खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि फहीम ने ही सोशल मीडिया के माध्यम से हिंसा भड़काने का प्लान तैयार किया था। वह कई कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ा हुआ है और पहले भी कई बार आपत्तिजनक बयान दे चुका है।

पुलिस ने बताया कि फहीम सोशल मीडिया पर सक्रिय था और दंगे से पहले उसने कई पोस्ट शेयर की थीं, जिनमें हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बातें लिखी गई थीं। इसके अलावा, उसके फोन से कई व्हाट्सएप ग्रुप्स के स्क्रीनशॉट भी मिले हैं, जिनमें दंगे की योजना बनाई गई थी।

फहीम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उम्मीद है कि इस हिंसा में शामिल अन्य लोगों का भी पता लगाया जा सकेगा। पुलिस अब अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी जांच कर रही है, ताकि हिंसा में शामिल हर व्यक्ति को कानून के दायरे में लाया जा सके।


विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के 8 कार्यकर्ताओं की भी गिरफ्तारी

इस मामले में पुलिस ने न केवल मुस्लिम उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है, बल्कि विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के 8 कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया था। हालांकि, उन्हें जल्द ही जमानत मिल गई थी।

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए इन हिंदू कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा के जवाब में कुछ गतिविधियों को अंजाम दिया था। हालांकि, जांच में यह भी सामने आया कि इन कार्यकर्ताओं का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना था, लेकिन हालात बिगड़ने के कारण वे भी इसमें शामिल हो गए।

इस गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई कर रहा है और किसी भी पक्ष को कानून से ऊपर नहीं समझा जा रहा है।


कुरान जलाने की अफवाह ने भड़काई हिंसा

हिंसा की शुरुआत एक झूठी अफवाह से हुई, जिसमें कहा गया कि नागपुर में कुरान जलाई गई है। इस अफवाह के फैलते ही बड़ी संख्या में इस्लामी कट्टरपंथियों ने सड़कों पर उतरकर उत्पात मचाना शुरू कर दिया।

इस दौरान न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि पुलिसकर्मियों पर भी हमले किए गए। मुस्लिम भीड़ ने एक महिला पुलिसकर्मी के साथ छेड़छाड़ की और उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश की। इसके अलावा, दंगाइयों ने हिंदुओं की दुकानों और घरों को भी निशाना बनाया और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि इस अफवाह को सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से फैलाया गया था, जिससे माहौल और अधिक बिगड़ गया।


औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ाई गई

नागपुर दंगे के बाद प्रशासन ने छत्रपति संभाजीनगर स्थित औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी है। एएसआई (ASI) ने बताया है कि कब्र के चारों ओर टिन और तार की बाड़ लगाई गई है, जिससे कोई अनाधिकृत व्यक्ति वहां तक न पहुंच सके।

प्रशासन ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि दंगे के दौरान कई कट्टरपंथी समूहों ने इसे भी लेकर भड़काऊ बयानबाजी शुरू कर दी थी। पुलिस और एएसआई के अधिकारी अब लगातार वहां गश्त कर रहे हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।


निष्कर्ष

नागपुर दंगे ने एक बार फिर सोशल मीडिया के दुरुपयोग को उजागर कर दिया है। बांग्लादेशी सोशल मीडिया अकाउंट्स से फैलाई गई अफवाहों के कारण बड़ी हिंसा हुई, जिसमें न केवल संपत्ति का नुकसान हुआ, बल्कि कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए।

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि कट्टरपंथी ताकतें सोशल मीडिया का उपयोग समाज को विभाजित करने के लिए कर रही हैं। ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस तरह की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करे और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी को और अधिक मजबूत बनाए।

अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी सख्ती बरतती है और क्या इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।


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