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भारत, चीन और कांग्रेस: सैम पित्रोदा के बयान पर एक विश्लेषण

इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष और राहुल गांधी के करीबी सहयोगी सैम पित्रोदा ने हाल ही में चीन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि चीन को भारत का दुश्मन मानने की जरूरत नहीं है और इसे बेवजह बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। यह बयान कांग्रेस के लंबे समय से चीन के प्रति नरम रुख को दर्शाता है। राहुल गांधी भी पहले चीन की प्रशंसा कर चुके हैं, जिससे कांग्रेस पर चीन के प्रति झुकाव रखने के आरोप लगते रहे हैं।


सैम पित्रोदा का बयान: चीन को दुश्मन मानने की जरूरत नहीं?

सैम पित्रोदा ने हाल ही में चीन को लेकर एक बड़ा बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत को चीन से कोई बड़ा खतरा नहीं है और इस विषय को बेवजह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। उनका मानना है कि अमेरिका चीन के खिलाफ माहौल बना रहा है और भारत भी टकराव का रवैया अपना रहा है।

पित्रोदा ने चीन को लेकर नरमी दिखाई और कहा कि शुरू से ही यह मान लेना कि चीन हमारा दुश्मन है, गलत है। उन्होंने भारत को सुझाव दिया कि चीन के साथ संवाद, सहयोग और सह-निर्माण पर जोर देना चाहिए, न कि टकराव और कमांड-एंड-कंट्रोल मानसिकता अपनानी चाहिए।


राहुल गांधी और कांग्रेस का चीन प्रेम

राहुल गांधी पहले भी कई बार चीन की प्रशंसा कर चुके हैं। 2023 में कैम्ब्रिज बिजनेस स्कूल में दिए गए एक भाषण में उन्होंने चीन को 'महाशक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाला' और 'प्राकृतिक शक्ति' बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन में 'सामाजिक समरसता' है।

इसके अलावा, राहुल गांधी ने 2022 में चीन के विवादित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन किया था। उन्होंने यह तर्क दिया था कि चीन अपने आसपास के देशों की तरक्की चाहता है। हालांकि, 2023 में लद्दाख दौरे के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि चीन ने भारत की चरागाह भूमि पर कब्जा कर लिया है।


चीन और कांग्रेस का गुप्त समझौता

2008 में कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के बीच एक समझौता (MoU) हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों दलों को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया गया। यह समझौता कांग्रेस के चीन के प्रति झुकाव को दर्शाता है।

राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) को भी 2006 के बाद चीनी सरकार से 1 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग मिली थी। इस फाउंडेशन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ट्रस्टी के रूप में जुड़े हुए हैं, जबकि सोनिया गांधी इसकी चेयरपर्सन हैं।


डोकलाम विवाद और राहुल गांधी की चीन से मुलाकात

2017 में डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गांधी ने गुपचुप तरीके से चीन के राजदूत लुओ झाओहुई से मुलाकात की थी। इसके अलावा, 2018 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान भी उन्होंने चीनी मंत्रियों से मुलाकात की थी। यह घटनाएं कांग्रेस के चीन से गहरे संबंधों की ओर इशारा करती हैं।


नेहरू की 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' नीति और 1962 का युद्ध

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा दिया था, लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध में भारत की करारी हार हुई। इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने चीन के प्रति अपना झुकाव जारी रखा।


निष्कर्ष

सैम पित्रोदा का हालिया बयान कांग्रेस के चीन प्रेम को फिर से उजागर करता है। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं की चीन के प्रति नरम नीति और गोपनीय समझौते कई सवाल खड़े करते हैं। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए चीन के प्रति सतर्क रहना चाहिए।


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