श्रीलंका में कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु गालागोडाटे ज्ञानसारा को इस्लाम धर्म का अपमान करने और धार्मिक नफरत फैलाने के आरोप में नौ महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। इस सजा के साथ उन पर 1500 श्रीलंकाई रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। ज्ञानसारा पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के करीबी माने जाते हैं और धार्मिक मामलों में विवादास्पद टिप्पणियों के लिए कुख्यात रहे हैं। श्रीलंका की अदालत ने अपने फैसले में धार्मिक आजादी के महत्व पर जोर दिया।
गालागोडाटे ज्ञानसारा का विवादों से पुराना नाता
इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी और धार्मिक नफरत फैलाने का मामला
गालागोडाटे ज्ञानसारा का विवादों से गहरा नाता है। 2016 में उन्होंने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान इस्लाम धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसे धार्मिक असहिष्णुता और नफरत फैलाने वाला माना गया। इस मामले में उन्हें 2024 में गिरफ्तार किया गया और हाल ही में अदालत ने उन्हें नौ महीने की सजा सुनाई। श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं को अपराध के लिए शायद ही दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह दूसरी बार है जब ज्ञानसारा को जेल भेजा गया है।
उन पर केवल जेल की सजा ही नहीं, बल्कि 1500 श्रीलंकाई रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में उन्हें एक और महीने जेल में बिताना होगा। अदालत का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को धार्मिक नफरत फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती, चाहे वह किसी भी धर्म से क्यों न जुड़ा हो।
पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के करीबी सहयोगी
राजनीतिक समर्थन और धार्मिक मामलों में प्रभाव
गालागोडाटे ज्ञानसारा श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के बेहद करीबी माने जाते हैं। राजपक्षे के शासनकाल में ज्ञानसारा को धार्मिक एकता बनाए रखने के लिए गठित टास्क फोर्स का अध्यक्ष भी बनाया गया था। इस टास्क फोर्स का उद्देश्य धार्मिक सौहार्द स्थापित करना और इससे जुड़े कानूनों में सुधार करना था।
हालांकि, ज्ञानसारा का राजनीतिक प्रभाव केवल सकारात्मक कार्यों तक सीमित नहीं रहा। उनकी कट्टर टिप्पणियां और धार्मिक नफरत फैलाने वाले भाषणों ने उन्हें विवादों में बनाए रखा। 2022 में जब श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था और राजपक्षे सरकार को व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा, तब ज्ञानसारा की भूमिका पर भी सवाल उठे।
धार्मिक नफरत और हेट क्राइम के आरोप
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हमलावर रहे ज्ञानसारा
ज्ञानसारा पर लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे बयान देने और हेट क्राइम के आरोप लगते रहे हैं। 2019 में भी उन्हें अदालत की अवमानना और धमकी देने के मामले में दोषी ठहराया गया था। हालांकि, तत्कालीन राष्ट्रपति से क्षमादान मिलने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।
इस बार, अदालत ने उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने साफ किया कि श्रीलंका के संविधान के तहत हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की आजादी है और इस पर किसी भी प्रकार की कट्टरता को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
2016 की घटना और मौजूदा सजा
मीडिया कॉन्फ्रेंस में दिए गए विवादास्पद बयान
2016 में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्ञानसारा ने इस्लाम धर्म को लेकर ऐसी टिप्पणी की थी जिसे धार्मिक समुदायों के बीच असंतोष बढ़ाने वाला माना गया। यह मामला वर्षों तक न्यायालय में चला और दिसंबर 2024 में उनकी गिरफ्तारी हुई।
जनवरी 2025 में अदालत ने इस मामले में उन्हें दोषी ठहराया और नौ महीने की जेल की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रीलंका में किसी भी धर्म के खिलाफ नफरत भरी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
भविष्य में ज्ञानसारा के प्रभाव पर सवाल
धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य में उनकी भूमिका
ज्ञानसारा की सजा ने श्रीलंका के धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य में नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सजा धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देगी या कट्टरपंथी समूहों के बीच और तनाव पैदा करेगी?
यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके करीबी राजनीतिक सहयोगी, जैसे गोटाबाया राजपक्षे, उनकी सजा पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। यह मामला श्रीलंका में धार्मिक कट्टरता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश भेज सकता है।