दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया और काउंटर शिकायत दर्ज कराई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चोट पहुँची है और इसे एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज करने की माँग की।
#WATCH | Delhi: BJP MP Anurag Thakur says, "We have filed a complaint with Delhi Police against Rahul Gandhi for assault and incitement. We have mentioned in detail the incident that happened today outside Makar Dwar, where NDA MPs were protesting peacefully... We have given a… pic.twitter.com/sKQYaTbJG9
— ANI (@ANI) December 19, 2024
बीजेपी का आरोप: कौन-कौन सी धाराएँ लगाई गईं?
बीजेपी द्वारा राहुल गांधी पर जिन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई गई है, वे गंभीर अपराधों से संबंधित हैं। इनमें से कुछ धाराओं का संक्षिप्त विवरण और उनकी सजा की सीमा नीचे दी गई है:
1. धारा 109: हत्या का प्रयास
इस धारा के तहत किसी व्यक्ति पर तब मामला दर्ज होता है, जब वह किसी अन्य व्यक्ति की हत्या का प्रयास करता है। अगर घटना में दूसरे व्यक्ति को चोट नहीं आती है, तो दोषी को 10 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है। अगर चोट आई है, तो सजा आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है।
2. धारा 115: स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
यह धारा स्वेच्छा से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाने से जुड़ी है। दोषी पाए जाने पर अधिकतम 1 साल की जेल और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
3. धारा 117: गंभीर चोट पहुँचाने का प्रयास
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुँचाता है, तो यह अपराध धारा 117 के अंतर्गत आता है। इसके तहत दोषी को 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
4. धारा 125 और 351: आपराधिक धमकी
ये धाराएँ आपराधिक धमकी और डराने-धमकाने से संबंधित हैं। इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम 2 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।
5. धारा 131: सरकार के खिलाफ विद्रोह
यह धारा सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के प्रयास से संबंधित है। दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
क्या है घटना?
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि संसद में धक्का-मुक्की के दौरान दो सांसद घायल हो गए और महिला सांसद के साथ अभद्रता की गई। घटना के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने मर्यादा तोड़ी और हिंसक व्यवहार किया।
कांग्रेस का पलटवार: बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
बीजेपी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद कांग्रेस ने भी जवाबी शिकायत दर्ज कराई। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और प्रमोद तिवारी ने दावा किया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को धक्का-मुक्की में चोट आई है। चूंकि खड़गे दलित समुदाय से हैं, कांग्रेस ने मामले को एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज करने की माँग की।
एससी-एसटी एक्ट का महत्व
एससी-एसटी एक्ट (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम) समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि खड़गे पर हमला दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
घटना के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह का व्यवहार किया है। संसद की गरिमा को ठेस पहुँचाना कांग्रेस की पुरानी आदत है।”
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “बीजेपी अपनी नाकामी छिपाने के लिए ऐसे मुद्दे खड़े कर रही है। लेकिन सच्चाई छिपाई नहीं जा सकती।”
चश्मदीदों की राय और CCTV फुटेज की जाँच
मामले की जाँच में पुलिस ने चश्मदीदों के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं। साथ ही संसद परिसर के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके। दोनों पार्टियाँ अपनी-अपनी बात को सही साबित करने के लिए सबूत पेश कर रही हैं।
क्या है राजनीतिक पृष्ठभूमि?
यह विवाद उस समय सामने आया है, जब संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा हो रही थी। विपक्ष सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार विपक्ष पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगा रही है।
विश्लेषण: क्या कहती है भारतीय राजनीति?
संसद, जहाँ लोकतंत्र की नींव रखी जाती है, वहाँ इस तरह की घटनाएँ भारतीय राजनीति की गिरती साख को दर्शाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवाद न केवल संसद की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करते हैं।
संसदीय मर्यादा का महत्व
संसद में बहस और मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन यह जरूरी है कि बहस मर्यादा के दायरे में हो। धक्का-मुक्की और हिंसा जैसे मामलों से लोकतंत्र की छवि धूमिल होती है।
आगे क्या?
पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतें दर्ज कर ली हैं और मामले की जाँच जारी है। सवाल यह है कि क्या यह विवाद कानूनी प्रक्रिया तक सीमित रहेगा, या फिर इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ेगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस की जाँच और न्यायालय की प्रक्रिया इस विवाद को किस अंजाम तक पहुँचाती है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि संसद में इस तरह की घटनाएँ लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ हैं और सभी दलों को आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।
निष्कर्ष
संसद में धक्का-मुक्की का यह मामला भारतीय राजनीति के लिए एक चेतावनी है। यह जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल जनता के प्रति जवाबदेह हों और संसद की गरिमा बनाए रखें। राजनीति में बहस और असहमति का स्थान है, लेकिन हिंसा और अभद्रता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।