प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी करने वाले अविमुक्तेश्वरानंद के ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य होने को लेकर संत गोविंदानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद को फरार घोषित किया जा चुका है और उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया था। गोविंदानंद सरस्वती ने बताया कि अविमुक्तेश्वरानंद ने आत्मसमर्पण कर झूठ कहा कि वो शंकराचार्य हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि देशहित में वो सारे दस्तावेज सार्वजनिक कर रहे हैं और अगर उन्होंने असली चिट्ठा खोला तो बहुत समस्या हो जाएगी।
अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ आरोप :
संत गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने वाराणसी की अदालत के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद को फरार घोषित किया जा चुका है और उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया था। गोविंदानंद सरस्वती का दावा है कि अविमुक्तेश्वरानंद ने कोर्ट में आत्मसमर्पण करते समय झूठ बोला कि वो शंकराचार्य हैं और पूरी दुनिया में लोगों को मार्गदर्शन देना है, जबकि सच्चाई ये है कि वो भागते फिर रहे थे।
आज पता चला कि अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य है ही नही , उसे ये दर्जा खुद से कांग्रेस पार्टी ने हिंदुओं में भ्रम फैलाने के लिए दी और प्रियंका वाडरा ने पत्र लिखा । कांग्रेस सदैव हिंदुओं के कमजोर करने की साज़िश रचती रही हैpic.twitter.com/sYWr7o70ir
— Riniti Chatterjee Pandey (@mainRiniti) July 21, 2024
अदालत के आदेश और आत्मसमर्पण :
गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद ने अदालत में चालाकी से आत्मसमर्पण किया और खुद को शंकराचार्य बताते हुए झूठे दावे किए। उनके अनुसार, अविमुक्तेश्वरानंद ने कोर्ट में आत्मसमर्पण करते समय कहा कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, जबकि उन्हें लोगों को मार्गदर्शन देना है। गोविंदानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद इस दौरान कई जगह छिप कर भागते फिर रहे थे, जिसमें मध्य प्रदेश का एक आश्रम भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट में न्याय की माँग :
गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में जाकर भी ये सब बोल सकते हैं और उन्हें न्याय चाहिए। लेकिन तारीख पर तारीख बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि उधर सुनवाई अटकी पड़ी है और इधर देश में आग लग रही है। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि देशहित में वो सारे दस्तावेज सार्वजनिक कर रहे हैं। उनके अनुसार, अदालत की सुनवाई में देरी से देश को नुकसान हो रहा है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
द्रौपदी के चीरहरण की तुलना :
गोविंदानंद सरस्वती ने महाभारत के द्रौपदी के चीरहरण के प्रसंग को याद करते हुए कहा कि अगर उनकी गलती है तो ईश्वर उन्हें क्षमा करें। उन्होंने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद लोगों को मार रहे हैं, अपहरण करवा रहे हैं और भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा पर आपत्ति उठाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद संन्यासी बनकर शादियों में जाते हैं और केदारनाथ में 228 किलोग्राम सोना गायब होने को लेकर झूठ बोलते हैं।
सोना और पीतल का भेद :
गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद पर तंज कसते हुए कहा कि इन्हें ये तक पता नहीं कि सोना और पीतल क्या होता है, क्योंकि ये डुप्लीकेट हैं। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने असली चिट्ठा खोलने की कोशिश की तो बहुत समस्या हो जाएगी। गोविंदानंद सरस्वती ने दावा किया कि वो दंडी संन्यासी हैं और उनसे कोई कुछ नहीं छीन सकता। उनके अनुसार, न्याय और धर्म अलग-अलग हैं और उन्हें इस मामले में न्याय चाहिए।
दस्तावेज और पुलिस कार्रवाई :
गोविंदानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद ने जमानत के लिए वकीलों के साथ बैठक की, लेकिन 51 में से सिर्फ एक इन्हें ही बेल नहीं मिला। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने इन्हें पीटा और इन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए था। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि उन्होंने देशहित में सारे दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं और अगर उनकी गलती है तो ईश्वर उन्हें क्षमा करें। उनके अनुसार, इस मामले में न्याय की जरूरत है और इसे तुरंत सुलझाना चाहिए।
निष्कर्ष :
अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ संत गोविंदानंद सरस्वती के आरोप गंभीर हैं और उन्होंने इसे देशहित का मामला बताया है। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में जाकर भी न्याय की माँग कर सकते हैं और उन्हें इस मामले में तारीख पर तारीख मिल रही है। उन्होंने देशहित में सारे दस्तावेज सार्वजनिक करने का दावा किया है और इस मामले में न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया है। अब देखना होगा कि अदालत और अन्य संबंधित संस्थाएं इस मामले में क्या कदम उठाती हैं।