भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की समस्या से निपटने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 'लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) कानून, 2024' को अधिसूचित किया है। इस कानून का उद्देश्य परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के साथ-साथ दोषियों को कठोर सजा देना है। इस कानून में चीटिंग में संलिप्त व्यक्तियों के लिए 3 से 5 साल की कारावास और संगठित रूप से चीटिंग गिरोह चलाने वालों के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही, एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा भी निर्धारित की गई है।
पेपर लीक की बढ़ती समस्या :
पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। NEET और UGC NET जैसी प्रमुख परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं ने छात्रों और अभिभावकों के बीच चिंता और हताशा पैदा कर दी है। ये घटनाएं न केवल छात्रों की मेहनत और भविष्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। ऐसे में, इस समस्या से निपटने के लिए एक सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
'लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) कानून, 2024' का उद्देश्य :
यह नया कानून प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। इसके तहत पेपर लीक और अन्य अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस कानून का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
- परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकना
- दोषियों को कठोर सजा देना
- परीक्षाओं की विश्वसनीयता और साख को बनाए रखना
कठोर सजा का प्रावधान :
इस कानून के तहत चीटिंग में संलिप्त आरोपितों के लिए 3 से 5 साल की कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं, संगठित रूप से चीटिंग गिरोह चलाने वालों को 10 साल तक की सजा दी जा सकती है। इसके अलावा, 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा भी मुकर्रर की गई है। परीक्षा संपन्न कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारी, कोई गिरोह या फिर कोई भी समूह या संस्था इस अपराध में शामिल होती है तो उन्हें कम से कम 5 साल की सजा भुगतनी होगी, जो 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है।
संगठित चीटिंग पर कठोर प्रावधान :
जो व्यक्ति या संगठन संगठित रूप से चीटिंग में संलिप्त पाए जाते हैं, उनके लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में, दोषियों को 10 साल तक की सजा दी जा सकती है और उनकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी। इसके अलावा, परीक्षा आयोजित करने में आने वाले खर्च को भी पेपर लीक गिरोह से ही वसूला जाएगा।
अभ्यर्थियों के लिए प्रावधान :
कानून में परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को कठोर सजा से छूट दी गई है। उन्हें मौजूदा कानूनों के तहत ही परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के नियमों के हिसाब से सजा मिलेगी। इससे उन छात्रों को राहत मिलेगी, जो पेपर लीक की समस्या से जूझ रहे थे और जिनका करियर इससे प्रभावित हो रहा था।
'अनुचित साधनों' की परिभाषा :
इस कानून के तहत 'अनुचित साधनों' की परिभाषा में पेपर लीक के अलावा निम्नलिखित शामिल हैं:
- परीक्षा के दौरान सवालों के जवाब को लेकर अभ्यर्थियों की मदद करना
- कंप्यूटर नेटवर्क के साथ गड़बड़ी करना
- किसी अभ्यर्थी के बदले परीक्षा में पहुंचना
- फर्जी दस्तावेज बनाना
- फर्जी परीक्षा आयोजित करना
- मेरिट लिस्ट के साथ छेड़छाड़ करना
जांच और निगरानी :
यह कानून गैर-जमानती होगा और इसकी जांच DSP या ACP रैंक के अधिकारी करेंगे। केंद्र सरकार किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को भी ऐसी स्थिति में जांच सौंप सकती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जांच प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप न हो और दोषियों को उचित सजा मिल सके।
निष्कर्ष :
'लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) कानून, 2024' का अधिनियमन भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कानून न केवल दोषियों को कठोर सजा देगा, बल्कि परीक्षाओं की साख और विश्वसनीयता को भी बनाए रखेगा। इससे छात्रों और अभिभावकों को भी राहत मिलेगी और वे बिना किसी डर के परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे। इस कानून के माध्यम से सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पेपर लीक और चीटिंग जैसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।