Default Image

Months format

View all

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

404

Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist. Back Home

Ads Area

मणिपुर में जातीय हिंसा पर नियंत्रण: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की पहल

मणिपुर में कई महीनों से जारी जातीय हिंसा के बीच राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हाल ही में आश्वासन दिया है कि इस समस्या का समाधान आगामी 2-3 महीनों में निकाल लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में मणिपुर शामिल है, और वह राज्य में शांति स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

हिंसा में कमी और सामान्य स्थिति की वापसी :
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि राज्य के अधिकांश हिस्सों में हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा, “पिछले कई महीनों में राज्य के अधिकांश हिस्सों में हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है। कुछ जगहों से हिंसा की छिटपुट घटनाएँ सामने आई हैं। मणिपुर के अधिकांश हिस्सों में आम दिनों की तरह स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले हुए हैं।” उन्होंने कहा कि विस्थापित लोगों की वापसी और पर लगाम प्राथमिकता में शामिल है।

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की भूमिका :
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मणिपुर को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। वे राज्य में शांति स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री और गृह मंत्री, दोनों मणिपुर में हो रहे घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहे हैं। वे राज्य में जातीय मुद्दों को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।”

राज्यपाल अनुसुइया उइके की सक्रियता :
मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और मणिपुर के विभिन्न राहत शिविरों में शरण लिए हुए विस्थापित लोगों की कठिनाइयों से अवगत कराया। इसके अलावा, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात की।

सुरक्षा बलों की तैनाती और उनकी भूमिका :
लोकसभा चुनाव ड्यूटी से वापस लौटने के बाद सुरक्षा बलों की विभिन्न इलाकों में तैनाती शुरू कर दी गई है। सुरक्षा बलों ने मणिपुर में लगभग 55 संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की है। राज्य में एक साल से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा से निपटने के प्रयासों के तहत इन जगहों पर पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएँगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की थी और केंद्रीय बलों की रणनीतिक तैनाती का निर्देश दिया था।

हिल ट्राइबल काउंसिल का विरोध :
हालाँकि, कुछ इलाकों में सुरक्षा बलों की फिर से तैनाती का विरोध हो रहा है। हिल ट्राइबल काउंसिल ने तेंगनौपाल जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तैनाती के प्रस्ताव की निंदा की है और इस तैनाती को वापस लेने की माँग की है। काउंसिल का कहना है कि सुरक्षा बलों की तैनाती से इलाके में शांति और सद्भाव को नुकसान पहुँचेगा।

निष्कर्ष, आगे की राह :
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा का समाधान निकालना सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता से यह संभव हो सकता है। राज्य में शांति और स्थिरता की वापसी के लिए सभी पक्षों का सहयोग आवश्यक है। विस्थापित लोगों की वापसी और सुरक्षा बलों की सही तैनाती से मणिपुर में शांति स्थापित करने के प्रयासों को मजबूती मिल सकती है।