विपक्षी दलों के उकसावे भरे बयान : लोकसभा चुनाव के परिणामों से पहले, विपक्षी दलों के नेताओं के उत्तेजक बयान सामने आ रहे हैं। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने अपने कार्यकर्ताओं से मतगणना के दिन सतर्क रहने की अपील की है। कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं से मतगणना सेंटर पर निगरानी रखने और किसी भी गड़बड़ी को रिकॉर्ड कर पार्टी द्वारा जारी नंबर पर भेजने का निर्देश दिया है।
अखिलेश यादव और पप्पू यादव के विवादित बयान :
इंडी गठबंधन के प्रमुख नेताओं, जैसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बिहार के पप्पू यादव ने भी उत्तेजक बयान दिए हैं। अखिलेश यादव ने अपने भाषण में कार्यकर्ताओं को "गांधीजी के करो या मरो आंदोलन" की तरह तैयार रहने की अपील की है। वहीं, पप्पू यादव ने अपने समर्थकों से "कफन बांध कर मरने के लिए तैयार" रहने को कहा है, यदि लोकतंत्र की हत्या होती है तो महाभारत का संग्राम होगा।
भीड़ जुटाने का उद्देश्य और संभावित परिणाम :
इन बयानों का मुख्य उद्देश्य मतगणना सेंटर के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाना है। कांग्रेस ने टीवी पर नतीजे देखने से मना करते हुए कार्यकर्ताओं को मतगणना सेंटर पर बुलाया है, ताकि वे गुस्से का इज़हार वहां कर सकें। इस तरह की भीड़ और उत्तेजना से मतगणना प्रक्रिया बाधित हो सकती है और हिंसा भड़क सकती है, जैसा कि बंगाल में हुआ था।
चुनाव आयोग की भूमिका :
हालांकि, संभव है कि चुनाव आयोग इन बयानों पर संज्ञान ले, लेकिन इससे पहले ही ऐसी उत्तेजक बयानबाजी लोकतंत्र के लिए खतरा साबित हो सकती है। चुनाव के परिणाम से असंतुष्ट होकर कार्यकर्ताओं का हिंसक होना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित कर सकता है।
खबर का संक्षिप्त सारांश :
चुनावी नतीजों से पहले विपक्षी दलों के उत्तेजक बयान कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाने का प्रयास प्रतीत हो रहे हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेता अपने कार्यकर्ताओं को मतगणना सेंटरों पर भीड़ जुटाने और गड़बड़ी की स्थिति में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसे बयान और उकसावे लोकतंत्र को खतरे में डाल सकते हैं, जिससे चुनाव आयोग को गंभीरता से संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

