उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में औरंगज़ेब उर्फ़ मोहम्मद फरीद की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद विवाद गहराता जा रहा है। मृतक के परिजनों ने इसे हत्या बताते हुए 10 नामजद आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी है, जिसमें से 6 को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, आरोपियों के परिजन और व्यापारी वर्ग इसे चोरी का मामला बता रहे हैं और व्यापारियों पर गलत आरोप लगाने का दावा कर रहे हैं। इस घटना ने साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दिया है, जिसमें स्थानीय व्यापारियों ने हलाल प्रोडक्ट के बहिष्कार के बाद साजिश का शिकार होने का आरोप लगाया है।
संदिग्ध हालात में मौत और विवाद की शुरुआत :
अलीगढ़ के मामू-भांजा इलाके में मंगलवार (18 जून 2024) को औरंगज़ेब उर्फ मोहम्मद फरीद की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने इसे हत्या करार देते हुए 10 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई। इस मामले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दूसरी ओर, आरोपियों के परिजन और समर्थक औरंगज़ेब को चोर बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वह चोरी के इरादे से उनके घर में घुसा था।
आरोपियों के समर्थन में व्यापारी वर्ग :
अलीगढ़ के उद्योग युवा व्यापर मंडल ने आरोपित हिन्दुओं के समर्थन में मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार (20 मई 2024) को कई व्यापारियों ने स्थानीय भाजपा सांसद सतीश गौतम को ज्ञापन देकर खुद को चोरों से पीड़ित बताया। उन्होंने आरोपित हिन्दुओं पर गलत धाराओं में कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि हलाल प्रोडक्ट के बहिष्कार की वजह से वे मुस्लिमों के निशाने पर हैं।
मामू-भांजा क्षेत्र का विवरण :
अलीगढ़ का मामू-भांजा इलाका गाँधी पार्क थाना क्षेत्र में पड़ता है। इसी क्षेत्र में रेडियो मार्केट नाम का क्षेत्र है, जहाँ सैकड़ों व्यापारियों के प्रतिष्ठान हैं। यहाँ के अधिकांश व्यापारी हिंदू हैं। फरीद उर्फ औरंगज़ेब की हत्या में नामजद किए गए लगभग आधे दर्जन आरोपी इसी बाजार के कारोबारी हैं और वे अलग-अलग तरह के कारोबार में संलग्न हैं।
सांसद को सौंपा गया ज्ञापन :
20 मई (गुरुवार) को भाजपा सांसद सतीश गौतम ने इस बाजार का दौरा किया था। यहाँ दर्जनों व्यापारियों ने एकजुट होकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि जिस घटना में IPC की धारा 304 के तहत कार्रवाई की जानी थी, उसमें मुस्लिमों के दबाव के कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 302 लगाई गई है।
गैर-इरादतन हत्या की धाराओं की मांग :
व्यापारियों का कहना है कि मृतक औरंगजेब से नामजद लोगों की पहले से कोई दुश्मनी नहीं थी और जिन व्यापारियों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनका कहना है कि औरंगज़ेब चोरी करते हुए पकड़ा गया था, और लोगों ने उसकी पिटाई की थी। आरोपियों का दावा है कि औरंगज़ेब को जीवित हालत में पुलिस को सौंपा गया था। ऐसे में उसकी मौत गैर-इरादतन हत्या की धारा में आनी चाहिए, न कि 302 IPC के तहत।
हलाल प्रोडक्ट के बहिष्कार का मुद्दा :
बीजेपी सांसद को दिए गए ज्ञापन में व्यापारियों ने यह भी बताया कि वे हलाल प्रोडक्ट का बहिष्कार करने के कारण मुस्लिमों के निशाने पर हैं। फरवरी 2024 में उत्तर प्रदेश शासन ने हलाल उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, तब बाजार ने पूरा समर्थन दिया था। व्यापारियों ने हलाल सामान लेने और देने पर रोक लगा दी थी। व्यापारियों का आरोप है कि इस बहिष्कार के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
भविष्य में साजिश का डर :
व्यापारियों ने अपने ज्ञापन में यह आशंका जताई है कि भविष्य में भी मामू-भांजा इलाके के कारोबारियों को किसी ना किसी साजिश का शिकार बनाया जा सकता है। उन्होंने सामूहिक तौर पर शासन से संरक्षण की माँग की है। व्यापारियों का कहना है कि एक साजिश के तहत फैलाए जा रहे साम्प्रदायिक एंगल से उनके कारोबार को काफी नुकसान हो रहा है।
चोर और डकैतों से परेशान व्यापारी :
व्यापारियों ने भाजपा सांसद को दिए ज्ञापन में कहा है कि इस तरह का प्रोपेगेंडा फैलाने का उद्देश्य यह भी है कि भविष्य में यदि उनके यहाँ चोरी आदि की घटनाएँ होती हैं तो वे डर कर शिकायतें ना करें। व्यापारियों का कहना है कि यहाँ पहले भी कई चोर पकड़े गए हैं, जिनमें अधिकतर वर्ग विशेष (मुस्लिम समुदाय) से हैं। व्यापारियों का दावा है कि घटना को लेकर हंगामा इसलिए भी किया जा रहा है, ताकि वे चोरी आदि की घटनाओं को नजरअंदाज करते रहें और कोई एक्शन ना लें।
साम्प्रदायिक तनाव और न्याय की मांग :
अलीगढ़ की इस घटना ने साम्प्रदायिक तनाव को और बढ़ा दिया है। व्यापारी वर्ग जहां एक ओर न्याय की मांग कर रहा है, वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग इसे हत्या करार देकर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस विवाद ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। प्रशासन को इस मामले में निष्पक्ष जांच कर न्याय सुनिश्चित करना होगा, ताकि साम्प्रदायिक सद्भाव बना रहे और दोषियों को सजा मिले।