भारतीय सेना का सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' भारतीय सैनिकों के अद्वितीय शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। इस सम्मान की विशिष्ट डिजाइन स्विट्ज़रलैंड में जन्मी सावित्री बाई खानोलकर द्वारा बनाई गई थी। उनका जीवन और योगदान भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है।
सावित्री बाई खानोलकर का जीवन :
सावित्री बाई खानोलकर का जन्म स्विट्ज़रलैंड में हुआ था और उनके पिता हंगरी और माता रूसी मूल के थे। उनका जन्म नाम 'इवा योन्ने लिण्डा माडे-डे-मारोज' था। इवा ने अपने पिता की देखरेख में भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरा रुचि विकसित किया।
विक्रम खानोलकर से विवाह :
14 वर्ष की आयु में इवा की मुलाकात विक्रम खानोलकर से हुई, जो ब्रिटिश सेण्डहर्सट मिलिटरी एकेडमी से आए थे। पत्र व्यवहार के माध्यम से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और अंततः इवा भारत आकर विक्रम से विवाह कर ली। विवाह के बाद उन्होंने भारतीय संस्कृति को पूरी तरह अपनाया और 'सावित्री बाई खानोलकर' बन गईं।
परमवीर चक्र की डिजाइन :
भारत की आजादी के समय विक्रम खानोलकर सेना में अधिकारी थे। भारतीय सेना के पदकों की डिजाइन की जिम्मेदारी सावित्री बाई को सौंपी गई। उन्होंने पौराणिक कथाओं से प्रेरणा लेते हुए परमवीर चक्र में इंद्र के वज्र की आकृति उकेरी, जो दधीची की हड्डी से बना है और बलिदान का सर्वोच्च उदाहरण है।
हमारा निष्कर्ष :
सावित्री बाई खानोलकर का योगदान भारतीय सेना और देश के लिए अमूल्य है। उनकी डिजाइन न केवल पदक को अद्वितीय बनाती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान भी करती है।
सारांश :
सावित्री बाई खानोलकर, स्विट्ज़रलैंड में जन्मी और भारतीय संस्कृति को अपनाने वाली महिला, ने भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' की डिजाइन तैयार की। उनके द्वारा तैयार की गई डिजाइन पौराणिक कथाओं पर आधारित है और भारतीय सैनिकों के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। उनका योगदान भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है।

