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विपक्ष के आरोपों का पर्दाफाश: चुनाव आयोग ने टीएमसी के झूठ का किया खंडन

लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। टीएमसी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग के दौरान भाजपा के एजेंट का हस्ताक्षर लिया गया जबकि अन्य पार्टियों के एजेंट नहीं थे। इन आरोपों का जवाब देते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि टीएमसी द्वारा दी गई जानकारी अधूरी और गलत है।

टीएमसी के आरोप और चुनाव आयोग का जवाब :
टीएमसी ने दावा किया कि मतदान केंद्रों पर ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग के दौरान केवल भाजपा उम्मीदवार का प्रतिनिधि ही मौजूद था और उसी के हस्ताक्षर लिए गए। यह आरोप इसलिए गंभीर था क्योंकि इससे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठता है।

चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि कमीशनिंग के दौरान सभी उम्मीदवारों और उनके एजेंटों द्वारा मौजूद कॉमन एड्रेस टैग पर हस्ताक्षर करवाए गए थे। उस समय केवल भाजपा उम्मीदवार का प्रतिनिधि ही मौजूद था, इसलिए ईवीएम और वीवीपैट को चालू करने के लिए उनके हस्ताक्षर लिए गए।

हस्ताक्षर प्रक्रिया और सीसीटीवी कवरेज :
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान केंद्र 56, 58, 60, 61 और 62 पर मौजूद सभी एजेंटों के हस्ताक्षर मतदान के दौरान प्राप्त किए गए थे। सभी ईसीआई मानदंडों का पालन किया गया और मतदान पूरी तरह से सीसीटीवी कवरेज के तहत किया गया था। इसकी विधिवत वीडियोग्राफी भी की गई थी, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना को नकारा जा सके।

आधी-अधूरी जानकारी का खेल :
चुनाव आयोग ने टीएमसी के आरोपों को आधी-अधूरी जानकारी के साथ झूठ फैलाने का प्रयास बताया। आयोग ने कहा कि अगर उस समय अन्य प्रत्याशियों के एजेंट वहां मौजूद होते, तो उनके भी हस्ताक्षर कराए जाते। लेकिन टीएमसी ने केवल भाजपा प्रतिनिधि के हस्ताक्षर को आधार बनाकर यह दावा किया, जो कि पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।

निष्पक्ष चुनाव की आवश्यकता :
भारतीय लोकतंत्र में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निर्वाचन आयोग का कार्य इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। किसी भी प्रकार के आरोप या गलतफहमी से इस प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए आयोग के जवाब से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने सभी मानदंडों का पालन किया और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया।

विपक्ष की रणनीति और जनता का विश्वास :
विपक्षी दलों द्वारा चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना आम बात है, लेकिन बिना पुख्ता सबूतों के लगाए गए आरोप जनता में भ्रम और अविश्वास पैदा कर सकते हैं। टीएमसी के इस मामले में चुनाव आयोग के स्पष्ट और तथ्यों पर आधारित जवाब ने साबित कर दिया कि उनके आरोप बेबुनियाद थे। यह महत्वपूर्ण है कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारी समझे और सही तथ्यों के आधार पर ही आरोप लगाए।

हमारा निष्कर्ष :
टीएमसी के आरोपों का चुनाव आयोग द्वारा खंडन और सटीक जानकारी प्रस्तुत करने से यह स्पष्ट होता है कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है। आयोग द्वारा उठाए गए कदम और उनके जवाब से यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है और चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो रहे हैं। विपक्ष को चाहिए कि वे अपने आरोपों को सही तथ्यों पर आधारित करें ताकि लोकतंत्र की प्रक्रिया में जनता का विश्वास बना रहे।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर से साबित किया कि भारतीय चुनाव आयोग की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है और कैसे वह निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ अपने कार्यों को अंजाम देता है। भविष्य में भी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आयोग को इसी प्रकार से सतर्क और सक्रिय रहना होगा।