दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में शरजील इमाम को जमानत दे दी है। शरजील इमाम पर आरोप था कि उसने 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज हुआ था। हालांकि, दिल्ली दंगों के मामले में उसे अभी भी जेल में रहना होगा।
अदालत का निर्णय :
1.जमानत की शर्तें और न्यायालय का तर्क
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने शरजील इमाम को जमानत दी। अदालत ने माना कि भड़काऊ भाषण के आरोपों में शरजील को राहत दी जानी चाहिए, हालांकि उसे अन्य मामलों में राहत नहीं मिली है।
पहले की अदालत की टिप्पणियाँ :
इससे पहले, दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने 17 फरवरी 2024 को शरजील को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। जज ने कहा था कि शरजील इमाम के भाषणों और अन्य गतिविधियों ने लोगों को लामबंद किया, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में अशांति फैल गई।
भड़काऊ भाषण का प्रभाव : भाषणों का विश्लेषण :
शरजील इमाम पर आरोप था कि उसने अपने भाषणों में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिससे विशेष समुदाय (मुस्लिम) के लोग विघटनकारी गतिविधियों में भाग लेने के लिए उकसाए गए। अदालत ने कहा था कि शरजील के भाषण इतने भड़काऊ थे कि उन्होंने लोगों की कल्पना पर कब्जा कर लिया और उन्हें हिंसक गतिविधियों के लिए प्रेरित किया।
सोशल मीडिया और वास्तविक तथ्यों से छेड़छाड़ :
शरजील इमाम ने सोशल मीडिया और अपने भाषणों में वास्तविक तथ्यों से छेड़छाड़ की, जिसके कारण शहर में तबाही मचाने के लिए लोगों को उकसाया। इसके परिणामस्वरूप फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे हुए।
निष्कर्ष :
शरजील इमाम को भड़काऊ भाषण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद, वह अभी भी दिल्ली दंगे के आरोपों में जेल में रहेगा। यह मामला इस बात का प्रतीक है कि कैसे भाषण और विचारधाराएं समाज पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं और कानूनी प्रणाली के जरिए न्याय सुनिश्चित किया जाता है।