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भारत की आर्थिक मजबूती को मिला सकारात्मक संकेत

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एस&पी (S&P) ने भारत का आउटलुक 'स्टेबल' से 'पॉजिटिव' कर दिया है। एस&पी ग्लोबल ने अपने आउटलुक में बदलाव करते हुए भारत की ओवरऑल रेटिंग को 'BBB-' रखा है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति और मोदी सरकार की नीतिगत स्थिरता को दर्शाता है।

आर्थिक ग्रोथ और क्रेडिट मेट्रिक्स में सुधार :
एस&पी ग्लोबल ने अपने नोट में कहा है कि पॉजिटिव आउटलुक उनके नजरिए को दर्शाता है कि लगातार पॉलिसी में स्थिरता, बेहतर होते आर्थिक रिफॉर्म्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ऊँचा निवेश लंबी अवधि की विकास संभावनाओं को बनाए रखेंगे। एजेंसी को उम्मीद है कि मौजूदा फिस्कल और मॉनिटरी पॉलिसी से सरकार का कर्ज और ब्याज दोनों कम होगा, जिससे आर्थिक लचीलापन बढ़ेगा।

फिस्कल डेफिसिट में कमी से रेटिंग अपग्रेड की संभावना :
एस&पी ग्लोबल ने संकेत दिया है कि अगर भारत का फिस्कल डेफिसिट आगे जाकर काफी हद तक कम होता है, तो वे रेटिंग को अपग्रेड कर सकते हैं। इससे सामान्य सरकारी कर्ज में कमी आएगी और यह जीडीपी के 7% से भी नीचे चली जाएगी। इंफ्रास्ट्रक्चर और फिस्कल एडजस्टमेंट में लगातार पब्लिक इन्वेस्टमेंट आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है और भारत के कमजोर पब्लिक फाइनेंस में सुधार ला सकता है।

सेंट्रल बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी का प्रभाव :
एस&पी ग्लोबल ने कहा है कि अगर सेंट्रल बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता में लगातार सुधार देखने को मिलता है, जैसे कि महँगाई को वक्त के साथ कम ब्याज दरों पर मैनेज कर लिया जाता है, तो रेटिंग भी बढ़ाई जा सकती है। यह कदम महंगाई नियंत्रण और ब्याज दरों के मैनेजमेंट में सेंट्रल बैंक की दक्षता को दर्शाता है।

सरकार की नीतियों का असर और चुनावों का प्रभाव :
एस&पी ग्लोबल का मानना है कि सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च भारत के विकास की राह को आसान करेगा। वे उम्मीद करते हैं कि चुनाव के नतीजों की परवाह किए बिना भारत में सुधार जारी रहेंगे। हालांकि, उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि अगर पब्लिक फाइनेंस के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता में कमी देखने को मिलती है, तो वे आउटलुक को फिर से 'स्टेबल' भी कर सकते हैं।

अन्य रेटिंग एजेंसियों का दृष्टिकोण :
एस&पी के अलावा अन्य प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों जैसे फिच और मूडीज ने भी भारत को 'BBB-' रेटिंग दी हुई है, जो सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है। हालांकि, फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी 'स्थिर' परिदृश्य कायम रखा है। इन रेटिंग्स का निवेशकों पर प्रभाव होता है और यह देश की उधार लेने की लागत को प्रभावित करती हैं।

हमारा निष्कर्ष :
एस&पी ग्लोबल द्वारा भारत का आउटलुक 'स्टेबल' से 'पॉजिटिव' करना भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और सुधारों की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। सरकार की नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश से भविष्य में और भी बेहतर परिणाम की उम्मीद है, जिससे देश की रेटिंग में सुधार हो सकता है।