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भारतीय सभ्यता की गौरवशाली वैज्ञानिक धरोहर: मिथक और सत्य :

भारत की सभ्यता और संस्कृति की गाथा अद्वितीय है, जो सदियों से विज्ञान, चिकित्सा, गणित और खगोलशास्त्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए विख्यात है। आधुनिक इतिहास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे सही परिप्रेक्ष्य में समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक और उनकी खोजें
1.महर्षि सुश्रुत: शल्य चिकित्सा के जनक
महर्षि सुश्रुत को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का जनक माना जाता है। उनकी रचना 'सुश्रुतसंहिता' में 300 प्रकार की शल्य क्रियाओं का विवरण है। उन्होंने सुई, चाकू और चिमटे जैसे शल्य चिकित्सा में उपयोगी औजारों का उल्लेख किया है, जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के उपकरणों से मेल खाते हैं।

2.आचार्य चरक: आयुर्वेद के विशेषज्ञ
आचार्य चरक ने 'चरकसंहिता' की रचना की, जिसमें शरीर विज्ञान, गर्भ विज्ञान और औषधि विज्ञान का गहन विवरण है। उन्होंने डायबिटीज, हृदय रोग और क्षय रोग जैसी बीमारियों के उपचार के बारे में बताया।

3.भास्कराचार्य: गुरुत्वाकर्षण के रहस्य
भास्कराचार्य ने 'सिद्धांतशिरोमणि' में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बारे में लिखा, "पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को अपनी ओर खींचती है।" न्यूटन से सैकड़ों साल पहले इस अवधारणा का वर्णन करना अद्वितीय है।

4.आचार्य कणाद: परमाणु की अवधारणा
महर्षि कणाद ने द्रव्य के परमाणु होने की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सभी पदार्थ अणु और परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं, जो कि आधुनिक परमाणु विज्ञान की नींव है।

भारतीय विमानन और शिक्षा प्रणाली :
1.शिवकर बापूजी तलपडे: विमान निर्माण की धरोहर
शिवकर बापूजी तलपडे ने 1897 में विमान बनाया और मुंबई में उड़ाया। इसके गवाह हजारों लोग थे, जिनमें महा गोविंद रानाडे और महाराज गायकवाड जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल थे। यह ऐतिहासिक घटना भारतीय विमानन इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर है।

2.प्राचीन गुरुकुल प्रणाली
1835 तक भारत में 700,000 गुरुकुल थे, जो शिक्षा का मुख्य केंद्र थे। यहां विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाती थी और यह शिक्षा प्रणाली समाज के सभी वर्गों के लिए खुली थी।

विदेशी आक्रमण और उनकी नीतियाँ :
1.मुगल और अंग्रेजों का शोषण
मुगलों और अंग्रेजों ने भारतीय समाज को विभाजित किया और भारतीय संसाधनों का शोषण किया। अंग्रेजों की नीतियों के कारण 1900 में भारत का वैश्विक व्यापार में हिस्सा 24% से घटकर 1% हो गया। इन नीतियों के परिणामस्वरूप 3 मिलियन भारतीय भूख से मारे गए।

2.भारतीय अविष्कारों की चोरी
अंग्रेजों ने भारतीय अविष्कारों को अपने नाम से पेटेंट कराया। शिवकर बापूजी तलपडे के विमान निर्माण का श्रेय राइट बंधुओं को दे दिया गया। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां भारतीय वैज्ञानिकों की खोजों को अंग्रेजों ने अपने नाम से प्रस्तुत किया।

हमारा निष्कर्ष :
भारतीय सभ्यता ने विज्ञान, गणित, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया है। पश्चिमी इतिहासकारों और वामपंथी विचारधाराओं ने भारतीय वैज्ञानिक धरोहर को नजरअंदाज किया है। आज आवश्यकता है कि हम अपनी धरोहर को पुनः समझें और विश्व को इस महान वैज्ञानिक और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराएं। भारतीय ज्ञान और विज्ञान की समृद्ध धरोहर को पहचानना और उसका सही मूल्यांकन करना हमारा कर्तव्य है।