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मोहम्मद जुबैर की विवादित पोस्ट: हरिद्वार पुलिस का फैक्ट चेक और साम्प्रदायिक तनाव की संभावना

जुबैर द्वारा साझा की गई विवादित खबर : ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और स्वघोषित फैक्ट चेकर, मोहम्मद जुबैर ने एक बार फिर विवादित खबर साझा की है। जुबैर ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में दावा किया कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें रूड़की का एक यूट्यूबर कुरान जलाते और उसे नष्ट करते हुए दिख रहा है। जुबैर ने यह लिखते हुए वीडियो साझा नहीं की, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।

हरिद्वार पुलिस का फैक्ट चेक :
जुबैर के पोस्ट के बाद हरिद्वार पुलिस ने मामले की जाँच की और एक स्पष्ट फैक्ट चेक जारी किया। पुलिस ने कहा कि, “संदर्भित प्रकरण में Ex-मुस्लिम समीर पिछले लगभग 03 साल से ‘पाडली गुर्जर’ नामक स्थान में नहीं रह रहा है और न ही जनपद हरिद्वार में कहीं भी पवित्र कुरान की बेअदबी का कोई प्रकरण हुआ है। अतः बिना जानकारी के प्रकरण को शेयर न करें अन्यथा आपके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।”

जुबैर की जिम्मेदारी और लोगों का गुस्सा :
मोहम्मद जुबैर पर पहले भी तथ्य-जाँच के मामलों में सवाल उठ चुके हैं। जुबैर ने अपने पोस्ट में बिना किसी ठोस प्रमाण के कुरान जलाने की घटना को साझा किया, जो पुलिस के अनुसार गलत था। इससे लोगों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने जुबैर पर कार्रवाई की माँग की। एक यूजर ने पुलिस से सवाल किया कि जुबैर ने तथ्यों की जाँच क्यों नहीं की और बिना स्पष्टीकरण प्राप्त किए इसे पोस्ट क्यों किया।

साम्प्रदायिक तनाव फैलने का खतरा :
इस तरह की खबरें साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की संभावना को बढ़ा देती हैं। पहले भी, जुबैर द्वारा भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा का कटा हुआ वीडियो साझा करने के बाद देश में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें उदयपुर में दरजी कन्हैया लाल की हत्या भी शामिल है। ऐसी घटनाओं के बाद जुबैर पर कार्रवाई की माँग और तेज हो गई है।

हमारा निष्कर्ष :
मोहम्मद जुबैर की इस विवादित पोस्ट ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बिना ठोस तथ्य-जाँच के खबर साझा करना कितना सही है। हरिद्वार पुलिस का फैक्ट चेक इस मामले में राहत की बात है, लेकिन इससे जुड़ी चिंताएं और जिम्मेदारियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी को जिम्मेदारी से काम करना होगा और सोशल मीडिया पर साझा की जाने वाली सूचनाओं की सत्यता की जाँच करना अत्यंत आवश्यक है।