उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के देवरनियां थानाक्षेत्र में दलित उत्पीड़न का एक गंभीर मामला सामने आया है। मुस्लिम समुदाय के चार आरोपितों पर अनुसूचित जाति की एक नाबालिग लड़की से अपहरण और बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाया गया है। इस जघन्य अपराध ने इलाके में सनसनी फैला दी है और पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है।
घटना का विवरण : तारीख: 20 मई 2024
इस दुखद घटना की शुरुआत 20 मई 2024 की रात को हुई, जब पीड़िता के घर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। लगभग 11:30 बजे रात को, पीड़िता अपने चाचा के घर जा रही थी। रास्ते में उसे आरोपित राशिद ने तमंचा दिखा कर धमकाया और मुँह दबा कर अपने साथ एक बाग में ले गया। यहाँ राशिद ने पीड़िता के गुप्तांगों को दबाया और सलवार खोल कर बलात्कार करने का प्रयास किया। इस दौरान राशिद ने अपने साथी अशफाक और इशहाक के बेटे नन्ने को भी बुला लिया।
अपहरण का प्रयास :
पीड़िता को बाग में ले जाने के बाद, राशिद और उसके साथी उसे कहीं और ले जाने की योजना बना रहे थे। इसी बीच, राशिद का अब्बा नन्हे भी घटनास्थल पर पहुँच गया और उसने पीड़िता को जल्द से जल्द दूर ले जाने का आदेश दिया। परंतु, इस समय तक पीड़िता के घरवालों ने उसकी गैरमौजूदगी पर ध्यान दिया और उसकी खोजबीन शुरू कर दी। कुछ लोग तलाश करते हुए जंगल की तरफ गए, जहाँ उन्होंने पीड़िता को इन आरोपितों के चंगुल से बचाया।
परिजनों को धमकियाँ :
जब पीड़िता के परिजन घटनास्थल पर पहुँचे, तो आरोपित गुस्से में आग बबूला हो गए। उन्होंने पीड़िता के परिजनों को जातिसूचक गालियाँ दी और जान से मारने की धमकियाँ दी। डायल 112 की मदद से परिजनों ने नाबालिग को छुड़ाया। पुलिस को बुलाने की बात सुनकर आरोपित फरार हो गए। जाते-जाते उन्होंने पीड़िता के पिता को तमंचा दिखाकर कहा कि अगर उन्होंने किसी से कुछ भी कहा, तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा।
पुलिस कार्रवाई :
पीड़िता के पिता ने बुधवार, 22 मई 2024 को थाने में तहरीर दर्ज करवाई। उन्होंने आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की। पुलिस ने IPC की धारा 363, 354(ख), 504, और 506 के साथ-साथ पॉक्सो व SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज की है। इस केस में राशिद, अशफाक, नन्हे और नन्ने को नामजद किया गया है।
आरोपितों की गिरफ्तारी :
शुक्रवार, 24 मई 2024 को पुलिस बल को गश्त के दौरान आरोपितों के एक जगह होने की सूचना मिली। पुलिस ने दबिश देकर राशिद और उसके अब्बा नन्हे को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है, जबकि अन्य फरार आरोपितों की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही बाकी आरोपितों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सामाजिक और कानूनी पहलू :
इस घटना ने समाज में व्याप्त जातिगत और सांप्रदायिक तनाव को उजागर किया है। दलित उत्पीड़न की यह घटना एक बार फिर से समाज के कमजोर तबकों के प्रति होने वाले अत्याचारों को सामने लाती है। ऐसे मामलों में कानून का सख्त और त्वरित कार्यान्वयन अत्यंत आवश्यक है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
न्याय की गुहार :
पीड़िता और उसके परिवार ने आरोपितों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और उन्हें सख्त सजा दी जाए। इस घटना ने बरेली और आसपास के क्षेत्रों में गहरा आक्रोश उत्पन्न कर दिया है और लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।
हमारा निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दलित उत्पीड़न का यह मामला समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल समाज की असमानताओं को दर्शाती हैं, बल्कि कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े करती हैं। पुलिस प्रशासन को इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और समाज में शांति और विश्वास कायम रह सके। इसके साथ ही, समाज को भी अपने स्तर पर जातिगत और सांप्रदायिक भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसके उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।