- रानी दुर्गावती भारत की एक प्रसिद्ध वीरांगना थीं, जिन्होंने मध्यप्रदेश में शासन किया था। आपको बता दे की दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में हुआ था और उनका राज्य गोंडवाना में था।
- बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण ही उनका नाम दुर्गावती रखा गया था।
- महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था। नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गई।
- विवाह के 4 वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती का पुत्र नारायण 3 वर्ष के ही थे इसलिए रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था।
- सूबेदार बाजबहादुर ने भी रानी दुर्गावती पर बुरी नजर डाली थी लेकिन उसको मुंह की खानी पड़ी। दूसरी बार के युद्ध में दुर्गावती ने उसकी पूरी सेना का सफाया कर दिया और फिर वह कभी पलटकर नहीं आया।
- दुर्गावती ने तीनों मुस्लिम राज्यों को बार-बार युद्ध में हरया था। हारे हुए मुस्लिम राज्य इतने भयभीत हुए कि उन्होंने गोंडवाने की ओर झांकना भी बंद कर दिया। रानी दुर्गावती उन वीरांगनाओं में शामिल रहीं जिन्होंने निडरता और निर्भीकता के साथ मुगलों को चुनौती दी थी।
- 15वीं शताब्दी में तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर पूरे भारत में तेजी से साम्राज्य का विस्तार कर रहे थे, लेकिन मध्य भारत के गोंडवाना साम्राज्य को जीतना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि उनके रास्ते में चट्टान बनकर खड़ी थीं रानी दुर्गावती।
- महारानी ने 16 वर्ष तक राज संभाला। इस दौरान उन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं।
- वीरांगना महारानी दुर्गावती साक्षात दुर्गा थी। इस वीरतापूर्ण चरित्र वाली रानी ने अंत समय निकट जानकर अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में मारकर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गईं।
- रानी दुर्गावती का पराक्रम कि उसने अकबर के जुल्म के आगे झुकने से इंकार कर स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 1564 में बलिदान दे दिया। रानी दुर्गावती का नाम भारत की महानतम वीरांगनाओं की सबसे अग्रिम पंक्ति में आता है।