2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद ही मोदी जी विश्व भर में डिप्लोमेटिक यात्रा पर निकल गए थे। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा के पीछे सबसे प्राथमिक लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए विश्व भर के देशों से विश्वास जुटाना करना था। 6 जून 2015 को मोदी बांग्लादेश में थे और इसी दिन बांग्लादेश भारत सीमा विवाद पर ऐतिहासिक फैसला हुआ और मोदी जी बांग्लादेश के ऊंची सभा को संबोधित कर रहे थे। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को बिना शर्त वापस लौटने को भारत के शांति प्रयास को विश्व में एक उदाहरण के तौर पर पेश कर रहे थे। ताकि स्थाई सदस्यता के लिए दावेदारी मजबूत हो।
हाफिज सईद ने तब कहा था दरिया में खून बहेगा :
हाफिज सईद को बदले हुए भारत का अंदाजा नहीं था। वह भारत को कांग्रेस शासित भारत समझकर बांग्लादेश में मोदी के दिए बयान पर प्रतिक्रिया दे बैठा। उसने बांग्लादेश बनने के मोदी के बयान पर 'दरिया में खून बहेगा' बोलकर पाकिस्तान की किसी बड़ी सभा को संबोधित कर रहा था।
उस समय सिंधु जलसंधि पर विवाद चल रहा था। जोकि भारत की तरफ से सिंधु जलसंधि पर सख्ती की वजह से उत्पन्न हुआ था। हाफिज सईद मोदी के इस सख्त रुख पर क्रोधित हो गया और बोल बैठा कि, मोदी हम तुम्हारी जुबान खींच कर रहेंगे, तुम पानी बंद करोगे हम तुम्हारी सांसे बंद करेंगे, इंशाल्लाह!
हाफिज सईद की आवाज भी अब नहीं सुनाई देती :
2015 से अब तक महज 8 वर्ष हुए हैं। 8 वर्ष भारत में सत्ता परिवर्तन राजनीति के लिए लंबा समय होता है। लेकिन इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में 8 वर्ष बहुत अल्प माना जाएगा। इस अल्प समय में हाफिज सईद इंशाल्लाह जीवित है और बोलने योग्य स्वस्थ्य भी निश्चित ही होगा। लेकिन अब उसकी आवाज नहीं सुनाई देती। खबर है कि वह और उसका पूरा आतंकी परिवार डर के साए में जी रहा है।
पाकिस्तान का आईएसआई भी उसे सुरक्षा देने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। उसके जिंदा रहने की खबर मन में ललासा पैदा करती है कि कदाचित एक बार मोदी की जुबान खींचने वाला बयान पुनः दे दे। 9 वर्ष के लंबे शासन काल के बावजूद मोदी जी आज भी उसी जुबान में कदाचित और बुलंद आवाज में विश्व भर में वैसे ही बोलते हैं। न उनकी आवाज में, न ही उनकी सांस में कोई परिवर्तन आया है।
पीएम मोदी के सामने सब फेल है :
मोदी कभी पलट कर जवाब नहीं देते। ऐसा नहीं कि वह जवाब देना नहीं चाहते। बल्कि जिसे मोदी से जवाब लेना है कम से कम उसकी हैसियत मोदी के बराबर होनी चाहिए। जस्टिन ट्रूडो विकसित देश के प्रधानमंत्री हैं और 10 वर्ष पहले भारत के फॉरेन रिजर्व में फूटी कौड़ी नहीं हुआ करती थी। लेकिन ट्रूडो के संसद में बयान के बाद पीएम मोदी ने स्वयं कोई जवाब नहीं दिया। इसके बावजूद ट्रूडो अब वापस से भारत से मित्रता की गुंजाइश तलाशने में लग गए हैं।
हाफिज सईद तो फिर भी इंटरनेशनल क्रिमिनल है और 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड। मोदी सबको अपनी करनी से जवाब देते हैं। आज मोदी की सांस थामने वाले हाफिज सईद की स्वयं सांस फूली हुई है। मोदी एक मजबूत व्यक्तित्व ही हैं। इसलिए वह देश के नक्शे पर भी मजबूत है और विश्व के नक्शे पर भी। क्योंकि पीएम मोदी न ही ट्रूडो की तरह कोकिन का सेवन करते हैं और न ही नेहरू की तरह ट्रिपल 5 सिगरेट का ही।