बिहार में एक नेता और पूर्व सांसद पिछले 14 वर्षों से अपनी रिहाई का इंतजार कर रहा है, उस नेता का नाम है आनंद मोहन सिंह। आपको बता दें कि 26 जनवरी को आनंद मोहन सिंह निकलने वाले थे लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। आपको याद हो तो 23 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे के बाद ऐसा माना जा रहा था कि आनंद मोहन सिंह 26 जनवरी को परिहार पर जेल से बाहर आ जाएंगे, जिसके बाद आनंद मोहन सिंह के समर्थक तथा उनके परिवार जन बेसब्री से आनंद मोहन सिंह का इंतजार कर रहे थे। लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण आनंद मोहन सिंह का रिहाई का सपना फिर से टूट गया।
14 साल की सजा काट लेने के बाद भी आखिर रिहाई क्यूँ नहीं :
आनंद मोहन सिंह के 14 साल की सजा काट लेने के बाद भी आखिर रिहाई का फैसला कहां अटका हुआ है तो आपको बता देगी दैनिक भास्कर एक रिपोर्ट के अनुसार एक नोटिफिकेशन के कारण आनंद मोहन सिंह और इनके जैसे सैकड़ों कैदियों के जेल से बाहर आने का मामला अटका हुआ है। सरकार चाहे तो यह बेहद आसानी से हो सकता है, क्योंकि हाईकोर्ट की तरफ से इस मामले पर बहुत पहले ही फैसला सुनाया जा चुका है।
परिहार की पॉलिसी पर आनंद मोहन सिंह जेल से निकल सकते हैं। क्या है परिहार ?... आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पॉलिसी सबसे पहले 1984 में बनी थी जिसके अनुसार 14 वर्ष की सजा काट लेने के बाद कैदी को परिहार के आधार पर कैदी का 20 साल की सजा काटना मान लिया जाता है, इस वजह से जेल चाहे तो अपनी तरफ से कैदी को छोड़ सकता है।
संशोधन कर दो क्लोज जोड़े गए और जोड़े गए :
लेकिन 2002 में इस पॉलिसी में संशोधन कर दो क्लोज जोड़े गए, जिसमें पहले क्लोज के आधार पर कैदियों को परिहार पर छोड़ने के लिए जेलर की जगह रिमिशन बोर्ड बनाया गया और की इन्हीं रिमिशन बोर्ड के पास यह निर्णय लेने का हक होता है कि कैदी को 14 वर्ष की सजा काटने के बाद छोड़ा जाए या नहीं। इस बोर्ड में गृह सचिव, डिस्ट्रिक्ट जज, जेल आईजी, होम सेक्रेट्री, पुलिस प्रतिनिधि के साथ लॉ सेक्रेट्री शामिल होते हैं, जो मिलकर कैदी को छोड़ने का निर्णय लेता है।
दूसरी क्लॉज़ के अनुसार इस प्रावधान में 5 तरह के कैदियों को नहीं छोड़ने का नियम बना है। ये वो कैदी है जो 1 से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी होते हैं उन्हें छोड़ने का निर्णय सिर्फ और सिर्फ सरकार ले सकती है।
आनंद मोहन सिंह की रिहाई के लिए नियम क्या कहता है :
आपको बता दें कि आनंद मोहन एक सरकारी अधिकारी के हत्या के आरोप में पिछले 14 वर्षों से जेल में बंद है। ऐसे में आनंद मोहन सिंह को परिहार मिलने का क्या नियम कहता है, आपको बता दें कि 2002 में रिमिशन के नियम संशोधन जरूर हुए थे लेकिन अपनी लचर सरकार व्यवस्था के कारण 2007 तक रिमिशन बोर्ड ही नहीं बन पाया था, जिसके बाद हाईकोर्ट की तरफ से या आदेश जारी किया गया कि 2002 का सर्कुलर 2007 तक लागू नहीं किया जाएगा। आनंद मोहन सिंह को सजा 2007 में हुई थी इसी का आधार बनाकर आनंद मोहन सिंह की रिहाई की मांग की जा रही है।