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जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों और देश विरोधियों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी पढ़े रिपोर्ट

जैसा की आप सबको पता है जम्मू कश्मीर में हमेशा से पत्थरबाजों ने कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की है और यह पत्थरबाज चंद पैसों के लिए अपने ही देश के जवानों पर पत्थर फेंकते हैं और मजहब के नाम पर देश को तोड़ने वाले नारे लगाते हैं, लेकिन अब जम्मू कश्मीर सरकार ने रविवार 1 अगस्त को उन तमाम देशद्रोहियों जो सेना पर पत्थर चलाते हैं और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं, उनके लिए एक नया निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में कहा गया है कि अब उन तमाम पत्थरबाजों को जो सेना पर पत्थर चलाते हैं उनको  सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी और ना ही उनका पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इससे उन तमाम पत्थरबाजों द्वारा राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने की स्थिति में विदेश जाने का मौका नहीं मिलेगा।


जारी की गई सर्कुलर में सिक्योरिटी क्लीयरेंस के लिए क्या बातें कही गई हैं :
अगर हम मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो सीआईडी की स्पेशल ब्रांच कश्मीर के एसएसपी ने सभी अधिकारियों और कर्मियों को इस मामले में सर्कुलर जारी कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि, "पासपोर्ट सरकारी नौकरी या सरकारी योजना से जुड़े मामलों में किसी व्यक्ति की सिक्योरिटी क्लीयरेंस की रिपोर्ट तैयार करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए और वह विशेष बात जैसे वह व्यक्ति पत्थरबाजी, कानून-व्यवस्था भंग करने या किसी दूसरे अपराध में शामिल न रहा हो। यदि कोई व्यक्ति इन गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसे सिक्योरिटी क्लीयरेंस नहीं दिया जाएगा"। 

सर्कुलर में यह भी बताया गया है कि, "ऐसे व्यक्तियों की पहचान के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन से भी रिपोर्ट ली जा सकती है कि वह व्यक्ति किसी देश विरोधी गतिविधि में तो शामिल नहीं था"। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के पास  ऐसे लोगों की सीसीटीवी फुटेज, तस्वीरें, वीडियो, ऑडियो और क्वॉर्डकॉप्टर के जरिए ली गई तस्वीरें रहती हैं। इसलिए इनकी मदद से सिक्योरिटी क्लीयरेंस से पहले उन तमाम लोगों की पहचान की जाएगी जो जम्मू कश्मीर में देश विरोधी गतिविधि में शामिल होंगे।

साल 2020 में ही इसकी तैयारी कर ली गई थी :
अगर आपको याद हो तो साल 2020 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने सीआईडी द्वारा चरित्र और पूर्ववृत्त के उचित सत्यापन की सिफारिश की थी। जिसके बाद जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा नियम 1997 में एक संशोधन किया गया था, जिसके तहत सरकारी नौकरी पाने के लिए सीआईडी रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई थी। जिसमें बताया गया था कि उन तमाम लोगों को यह बताना अनिवार्य होगा कि उनके परिवार का कोई सदस्य या करीबी किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ा है या फिर किसी विदेशी मिशन संगठन या जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी प्रतिबंधित संगठन का तो हिस्सा नहीं है। साथ ही साथ इस रिपोर्ट में किसी भी देश विरोधी गतिविधि में पाए जाने पर न तो सरकारी नौकरी दी जाएगी और ना ही पासपोर्ट वेरिफिकेशन होगा जैसी बाते उल्लेखनीय थी।