अक्सर हमने देखा है कि कट्टर इस्लामिक राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के और वामपंथी नेताओं को जब कोई बात अपने पक्ष में करनी हो तो वह संविधान की दुहाई देने लगते हैं, किंतु वही जब वह बात उनके हक में ना हो तो हो संविधान को भूल जाते हैं। ऐसा ही कुछ है ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख ओवैसी के साथ, जो हमेशा से राम मंदिर निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अनदेखी करते आए हैं और बाबरी मस्जिद के विध्वंस का विलाप कर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अपमान भी करते रहे है।
क्या है पूरा मामला और क्या कहा ओवैसी ने :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक कार्यक्रम के दौरान जानी-मानी पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने ओवैसी से पूछा कि, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है और पर्यटक भी जा रहे हैं, तो क्या आप भगवान श्री राम का दर्शन करने जाएंगे "? इस पर ओवैसी ने जवाब देते हुए कहा कि, "इस सवाल का जवाब , मैं खुल कर देना चाहूंगा और हर बार की तरह मैं आज भी कह रहा हूं कि मैं जब तक जिंदा रहूंगा अपनी आने वाली नस्लों को बताता रहूंगा कि आजाद भारत में सुप्रीम कोर्ट को धोखा देकर बाबरी मस्जिद को भारतीय जनता पार्टी द्वारा शहीद किया गया था।
बीजेपी बाबरी मस्जिद शहीद नहीं करती तो कोर्ट का फैसला नहीं आता : ओवैसी
ओवैसी जो कि खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी और नेता बताते हैं उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए सवालिया लहजे में कहा कि, "अगर बीजेपी वहां मस्जिद शहीद नहीं करती तो क्या यह फैसला आ पाता"। ओवैसी ने आगे कहा कि, "बाबरी मस्जिद थी और हमेशा रहेगी"। भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि, "9 में रामलला का जन्म हुआ था और यह रामलला का जन्म स्थान है इसलिए हमने किसी तरह का कब्जा नहीं किया है। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को धोखा देने की बात सिर्फ ओवैसी ही कर सकते हैं ना कि अन्य दूसरा नागरिक ऐसा कभी कहेगा।
राम मंदिर के विरोध में पहले भी ओवैसी दे चुके हैं बयान :
ऐसा पहली बार नहीं है कि राम मंदिर को लेकर के ओवैसी ने विरोध किया हो इससे पहले भी कई बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ओवैसी नकार चुके हैं। अगर आपको याद हो तो पिछले साल 6 दिसंबर 2020 को जिस दिन बाबरी मस्जिद को विध्वंस किया गया था उस दिन ओवैसी ने एक बयान देते हुए कहा था कि, "बाबरी मस्जिद 400 सालों तक खड़ी थी, इसे हमारी आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाने और सिखाने की जरूरत है कि कैसे भाजपा ने बाबरी मस्जिद को शहीद किया"।
ओवैसी ने इस तारीख को नाइंसाफी का दिन बताते हुए कहा था कि, "हमारी आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाएं और उन्हें सिखाएं की 400 से अधिक सालों तक अयोध्या में बाबरी मस्जिद खड़ी थी और इसी मस्जिद के हॉल में हमारे पूर्वज इबादत करते थे। वह बाबरी मस्जिद के आंगन में रोजा तोड़ते थे और जब उनकी मौत हो जाती थी तो पास के ही कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया जाता था। आज ही के दिन 1992 में पूरी दुनिया के सामने हमारी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था इसके जिम्मेदार लोगों को एक दिन की भी सजा नहीं हुई, इस नाइंसाफी को कभी मत भूलिए।
ओवैसी जैसे लोग वोट के नाम पर समाज को धर्म के नाम पर बांट रहे हैं :
ओवैसी भले ही राम मंदिर पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कितना भी विरोध कर ले लेकिन सच यही है कि अब अयोध्या नगरी राम के नाम से राममय होने जा रही है, जिसको नकारा नहीं जा सकता है और जहां तक बात रही बाबरी मस्जिद की तो, मुस्लिमों के कुरान में साफ-साफ लिखा हुआ है कि नमाज अदा करने के लिए कोई जगह तय नहीं है। एक सच्चा मुसलमान कहीं भी नमाज अदा कर सकता है। इसी बुनियाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सच्चे नमाजियों के लिए जो सच्चे मुसलमान हैं, उनको मस्जिद के लिए जमीन दी गई है और वहां भी मस्जिद का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन ओवैसी जैसे कुछ नेता धर्म की रोटी सेकने के लिए अपने साथ वामपंथियों को मिलाकर समाज में जहर घोल रहे हैं और चंद वोटों के लिए धर्म के नाम पर हिंदू मुस्लिम को बांट रहे हैं।