जैसा की आप सबको पता है कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीनेशन ड्राइव में कई राज्यों को वैक्सिन की कमी के कारण जूझना पड़ रहा है। वहीं सरकार ने अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों को 3 महीने बाद वैक्सीन लगवाने की सलाह दी है, इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि कोरोना से संक्रमण के बाद ठीक हुए मरीजों में खुद पर खुद एंटीबॉडी तैयार हो जाती है... जो तकरीबन 90 से 120 दिनों तक बरकरार रहती है। इसलिए सरकार ने कहा की कोरोना से ठीक हुए लोग 3 महीने के बाद ही वैक्सीन लगवाएं। लेकिन कुछ लोग कोरोना से दोबारा संक्रमित ना हो इस डर से वह पहले ही वैक्सीन लगवा ले रहे हैं।
तो आइए जानते हैं संक्रमण से ठीक होने के बाद क्या वैक्सीन लगवाना फायदेमंद है या नुकसानदेह।
90 दिनों के बाद वैक्सीन लगवाने पर सरकार का क्या तर्क रहा था :
अगर आपको याद हो तो कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मई की शुरुआत के चौथे चरण के वैक्सीनेशन ड्राइव में सरकार ने कहा था कि जो लोग इस महामारी से एक होकर अपने घर लौटे हैं वह तत्काल वैक्सीन ना लगा कर 3 महीने के बाद ही वैक्सीन लगवाएं इसके पीछे सरकार ने तर्क देते हुए कहा था कि कोरोना संक्रमण का इलाज करवाते वक्त मरीज के शरीर में ठीक होने के बाद खुद पर खुद नेचुरल यानी प्राकृतिक एंटीबॉडी का निर्माण हो जाता है जो तकरीबन 90 से 120 दिनों तक शरीर में बरकरार रहती है इसलिए 90 दिन से पहले वैक्सीन लगवाना व्यर्थ है और बेकार भी।
क्या 90 से 120 दिनों के बाद प्राकृतिक एंटीबॉडी खत्म हो जाएगी :
अब सवाल यह उठता है कि कोरोना महामारी से ठीक होने के बाद क्या 90 से 120 दिनों में प्राकृतिक एंटीबॉडी खत्म हो जाएगी? इसका जवाब यह है कि फिलहाल अभी तक इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिल पाया है कि संक्रमण से ठीक होने के 90 से 120 दिनों बाद शरीर में प्राकृतिक एंटीबॉडी रहेगी या खत्म हो जाएगी.... हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञों ने कुछ अध्ययनों के आधार पर एंटीबॉडी के और मजबूत होने या इसके जीवन भर रहने की भी बात कही है।
किंतु साथ ही साथ यश भी कहा गया है कि 90 से 120 दिनों के बाद एंटीबॉडी की मजबूती संक्रमण की गंभीरता, उम्र और जेंडर जैसे कारणों पर भी निर्भर करती है.... ऐसे में यह स्पष्ट है की प्राकृतिक एंटीबॉडी कम से कम 90 से 120 दिनों तक रहेगी।
प्राकृतिक एंटीओबॉड या वैक्सिन से तैयार एंटीबॉडी में कौन ज्यादा बेहतर :
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक रूप से शरीर में बनने वाली इम्यूनिटी और एंटीबॉडी वैक्सिन से बनने वाली इम्यूनिटी और एंटीबॉडी से बेहतर है। एक अध्ययन के आधार पर बताया गया है कि प्राकृतिक रूप से बनी इम्यूनिटी 99.99 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है जबकि वैक्सीन से प्राप्त इम्यूनिटी महज 90 से 94.5% तक ही सुरक्षा प्रदान करती है।
90 दिनों से पहले वैक्सीन लेना कितना फायदेमंद है:
इसी अध्ययन के आधार पर चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अपने शरीर में बनी प्राकृतिक एंटीबॉडी का लाभ उठाना चाहिए साथ ही जब तक प्राकृतिक एंटीबॉडी 90 दिनों के बाद कमजोर या खत्म ना हो जाए तब तक वैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति जो संक्रमण से ठीक हुआ है और ठीक होने के कुछ दिनों बाद वैक्सीन लेता है तो उसके शरीर से प्राकृतिक एंटीबॉडी खत्म हो जाएगी। इसलिए 90 दिनों के बाद ही कोरोना वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है।