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राम मंदिर पर आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए सारे आरोप झूठे साबित हुए पढ़ें यह पूरी रिपोर्ट

जैसा कि आप सबको पता है आने वाले अगले वर्ष में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं इसलिए सभी पार्टियां आने वाले चुनाव में वोट पाने के लिए अपनी राजनीतिक संभावनाओं की तलाश में जुटी हुई है। इसी बीच आम आदमी पार्टी जो कि अब भी के राजनीतिक समय में अपनी झूठी और गंदी राजनीति के लिए विख्यात हो चुकी है... उसने अयोध्या राम मंदिर के निर्माण कार्य में अड़ंगा डालने की कोशिश की है। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राम मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन पर झूठ फैलाते हुए राम मंदिर ट्रस्ट को बदनाम करने की कोशिश की है साथ ही साथ संजय सिंह ने विकास दुबे की पत्नी खुशी दुबे से प्रेस कॉन्फ्रेंस करवा कर उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के वोट के लिए ब्राह्मण कार्ड भी खेला है।

संजय सिंह का अगर हम एक छोटा परिचय दे तो, संजय सिंह वही व्यक्ति है जो देशद्रोह में नामजद रहते हैं... यह वही संजय सिंह हैं जिन्होंने राज्यसभा में आज तक की भारतीय राजनीति की सबसे गंदी हरकत दिखाई थी... जिसके बाद इन्हें राज्यसभा से निलंबित भी कर दिया गया था।


आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए यह सारा बेबुनियाद और झूठा खेल खेल रही है :
आपको बता दें कि संजय सिंह ने रविवार यानी 13 जून 2021 को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें इसने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय पर झूठे व गंभीर आरोप लगाएं। संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए बताया कि अयोध्या में जमीन की गाटा संख्या 243, 244 और 246 जिसकी कीमत तकरीबन ₹5 करोड़ 80 लाख है उसे 2 करोड़ रुपए में पहले खरीदा गया, इसके बाद सुल्तान अंसारी ने इस जमीन की खरीदारी में करोड़ों का हेरफेर किया। संजय सिंह ने बताया कि इस घोटाले में अयोध्या के मेयर तक शामिल है।

संजय सिंह के अनुसार 18 मार्च 2021 को यह जमीन शाम को 7:10 मिनट पर खरीदी गई, राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस जमीन की दो करोड़ रुपए में खरीदी की गई..फिर मात्र 5 मिनट बाद फिर से जमीन को राम जन्म भूमि ट्रस्ट ने साडे ₹18 करोड़ में खरीदा। यानी संजय सिंह के अनुसार एक ही जमीन को दो बार खरीदा गया वह भी तकरीबन साडे 16 करोड़ के अंतर से। संजय सिंह ने बताया की ट्रस्ट द्वारा खरीदारी और बैनामा में डॉ अनिल मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने। संजय सिंह ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार का मामला बताते हुए कहा कि प्रति सेकंड के हिसाब से इस जमीन में साडे ₹5 लाख रुपए का प्रताओ सेकंड घोटाला हुआ है... जो कि जनता द्वारा दिए गए मंदिर निर्माण के चंदे का पैसा जनता पर आघात है।

इस मामले की जाँच CBI और ED से कराने की माँग करते हुए संजय सिंह ने एंग्रीमेंट व बैनामा के स्टाम्प और समय, सब में हेरफेर का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि ट्रस्ट की जमीन का एग्रीमेंट 5:11 में खरीदा गया और जमीन का स्टाम्प 5:22 में। साथ ही ट्रस्ट में प्रस्ताव पारित कराए बिना 5 मिनट में जमीन बेचना का फैसला लेने का आरोप भी लगाया। कुल मिला कर उनका सवाल ये था कि 18 मार्च को जिस जमीन को 2 करोड़ रुपए में खरीदा गया, उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ रुपए में एग्रीमेंट क्यों हुआ?

संजय सिंह ने इस मामले में CBI तथा ED द्वारा जांच कराने की मांग की है। संजय सिंह ने दावा किया कि ट्रस्ट की जमीन का एग्रीमेंट 5:11 पर खरीदा गया और जमीन का स्टांप 5:22 में... साथ ही ट्रस्ट में प्रस्ताव पारित कराए बिना 5 मिनट में जमीन बेचने का फैसला लेने का भी आरोप भी लगाया। कुल मिलाकर आसान भाषा में समझे तो संजय सिंह का कहना है कि 18 मार्च को जिस जमीन को ट्रस्ट द्वारा दो करोड़ रुपए में खरीदा गया उसी जमीन को 10:00 मिनट बाद साडे ₹18 करोड़ में एग्रीमेंट कैसे हुआ।

आपको अभी भी संजय सिंह के आरोपों को समझने में दिक्कत हो रही है तो हम आपको और आसान भाषा में समझाते हैं, संजय सिंह के आरोपों के अनुसार मिनटों में दो करोड़ रुपए की जमीन ₹18 करोड़ की कैसे हो गई। उनके आरोपों के अनुसार किस-किस खाते से ₹17 करोड़ रुपए के RTGS  किए गए, संजय सिंह इसिकी जांच की मांग उठा रहे है। पूर्व सपा नेता पवन पांडे ने भी आरोप लगाते हुए कहा है कि बाबा हरिदास ने उस जमीन को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को बेचा था जिसे ट्रस्ट ने खरीदा है मतलब आरोप है कि दो करोड़ की जमीन खरीद कर ट्रस्ट के साथ 18 करोड़ का एग्रीमेंट कैसे किया गया।

संजय सिंह द्वारा लगाए गए सारे आरोपों का चंपत राय जी ने बेहतरीन तरीके से जवाब दिया :
संजय सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों पर अब चंपत राय ने खुद इन आरोपों के घेरे को झूठा साबित करते हुए सच्चाई सबके सामने रखी है। चंपत राय जी ने बताया कि ट्रस्ट ने निर्माणाधीन राम मंदिर के आसपास छोटे मंदिरों और गृहस्थों की जमीन खरीदी। परकोटा व रिटेनिंग दीवार की वस्तु में सुधार, पूर्व पश्चिम दिशा में आवागमन की सुविधा, खुला मैदान रखने के लिए और सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा आवश्यक था। साथ ही चंपत राय जी ने बताया कि जिन से भूमि ली गई उनके पुनर्वास की भी समुचित व्यवस्था सुयोजित ढंग से की जा रही है

चंपत राय जी ने आगे बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन की खरीदारी चालू है जिसमें क्रय विक्रय का कार्य सहमति के आधार पर किया जाता है और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी होते हैं। यहां तक कि कोर्ट फी और स्टांप तक की खरीदारी में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सारे काम ऑनलाइन किए जा रहे हैं। विक्रेता के खाते में रुपए भी ऑनलाइन ही भुगतान किए जा रहे हैं, जिसमें सहमति पत्र के हिसाब से ही कार्य हो रहा है।

चंपत राय जी ने आगे कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही यहां जमीन के भाव अचानक से बहुत ज्यादा बढ़ गए क्योंकि कई इलाकों से लोग आकर यहां भूमि खरीदने लगे। चंपत राय जी ने बताया कि आम लोगों का छोड़िए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए भूमि की खरीदारी कर रही है। पतरा जी ने आगे संजय सिंह के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जिस भूखंड को लेकर संजय सिंह ने आरोप लगाया है उसे रेलवे लाइन के पास खरीदा गया है जिसकी कीमत सही है और यह एक प्रमुख स्थान है।

चंपत राय जी ने संजय सिंह के आरोपों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अब तक जितनी भी जमीन खरीदी है उसे खुले बाजार की कीमत से कम पर ही लिया गया है। साथ ही साथ चंपत राय जी ने बताया कि जिस भूमि की बात संजय सिंह कर रहे हैं, उस भूमि को बेचने वालों ने वर्षों पूर्व अनुबंधन कर दिया था जो कि 18 मार्च 2021 को बैनामा हुआ.. फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया। चंपत राय ने संजय सिंह के आरोपों को झूठा, भ्रामक व गुमराह करने वाला राजनीति से प्रेरित बताया।

अधिवक्ता अभिषेक द्विवेदी ने भी तथ्यों के साथ संजय सिंह के आरोपों को झूठा ठहराया:

इस मामले पर अधिवक्ता अभिषेक द्विवेदी ने राम मंदिर पर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का जवाब देते हुए चीजों  को आसान तरीके से समझाया है। अधिवक्ता अभिषेक द्विवेदी ने एग्रीमेंट टू सेल और  सेल डीड अंतर समझाते हुए कहा कि एग्रीमेंट का अर्थ हुआ कि किसी बाद की तारीख को जमीन बेचने का वादा किया गया, वहीं डीड मतलब सेल पूर्ण हो गया। 17 सितंबर 2019 को कुसुम पाठक नाम की महिला ने सुल्तान अंसारी समेत कुछ लोगों के साथ एग्रीमेंट टू सेल किया था, जिसका मतलब है कि बाद की किसी तारीख को जमीन बेचने का कुसुम पाठक द्वारा वादा किया गया।

अब गौर करने वाली बात यह है कि जब जी एग्रीमेंट किया गया था उस वक्त राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आया था और राम मंदिर का फैसला आने से पहले इस जमीन का एग्रीमेंट दो करोड़ रुपए का हुआ था... किंतु 18 मार्च 2021 को ही सुल्तान अंसारी ने उसी एग्रीमेंट टू सेल को आधार बनाकर सेल एग्रीमेंट किया, जिसमें 2021 के बाजार के मूल्य के हिसाब से ₹18 करोड़ की बात हुई। अब आप समझ गए होंगे कि संजय सिंह द्वारा लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं और झूठे हैं ऊपर के तथ्य के हिसाब से संजय सिंह जो दस्तावेज पेश कर रहे हैं वह राम मंदिर पर कोर्ट के फैसले आने से पहले के हैं। किंतु राम मंदिर निर्माण के कारण अभी की तत्कालीन समय में जमीनों की कीमत में काफी उछाल आई है और इसी कारण से आम आदमी पार्टी इसको मौका बना कर उत्तर प्रदेश में वोट की राजनीति खेलना चाहती है।

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